मोदी-काल में ढह रहा आतंकवाद और नक्सलवाद
राज्यसभा में अमित शाह ने कांग्रेस के शासनकाल को धिक्कारा
कांग्रेस ने आतंकवाद-नक्सलवाद-उग्रवाद को पाला-पोसा
देश में अब न आतंक बर्दाश्त होगा और न आतंकवादी
नई दिल्ली, 21 मार्च (एजेंसियां)। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में कांग्रेस के शासनकाल और विपक्ष की भूमिका को खूब धिक्कारा। शाह ने कहा, कांग्रेस ने ही देश में आतंकवाद, नक्सलवाद और उग्रवाद को पाला-पोसा। इस वजह से चार दशक के दौरान देश के 92 हजार निर्दोष नागरिक बेवजह मारे गए। नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद आतंकवाद, नक्सलवाद और पूर्वोत्तर के उग्रवाद को मुंहतोड़ जवाब दिया गया। मोदी सरकार के कार्यकाल में यह ढह रहा है। अमित शाह ने कहा, अब न आतंक बर्दाश्त होगा और न आतंकवादियों को बर्दाश्त किया जाएगा।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में आतंकवाद पर करारा हमला बोलते हुए सरकार की जीरो टॉलरेंस की नीति का जिक्र किया और अनुच्छेद 370 समेत तमाम मुद्दों पर कांग्रेस एवं विपक्ष को घेरा। उन्होंने कहा, चार दशक से देश में तीन नासूर थे, पहला आतंकवाद, दूसरा नक्सलवाद और तीसरा पूरब का उग्रवाद। हमने आतंकवाद को मुंहतोड़ जवाब दिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई। मैं इस सदन में जिम्मेदारी के साथ कहता हूं कि इस देश से नक्सलवाद 21 मार्च 2026 तक समाप्त हो जाएगा।
सरकार के विकास कार्य गिनाते हुए अमित शाह ने विपक्ष पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि जो काला चश्मा पहनकर आंखें मूंदकर बैठे हैं, उनको विकास के दृश्य नहीं दिखाए जा सकते। एक सांसद कश्मीर गए। वहां कार्यकर्ताओं के साथ बर्फ के साथ खेले भी। उन्होंने कहा कि उन्हें दूर से आतंकी दिखाई दिया। उनकी नजर में ही आतंकी है तो आपको सपने में भी वही आएगा। हम तो दिखाई देते ही दो आंखों के बीच में गोली मारते हैं। हमारी सरकार न तो आतंक को बर्दाश्त कर सकती है और न ही आतंकियों को। आतंकियों के लिए देश में कोई जगह नहीं है।
अमित शाह ने कहा, जब 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आई, तो हमें 2014 से पहले की कई विरासती समस्याएं मिलीं। इस देश की सुरक्षा और विकास को हमेशा तीन मुख्य मुद्दों के कारण चुनौती दी गई। इन तीन मुद्दों ने देश की शांति में बाधा उत्पन्न की, देश की सुरक्षा पर सवाल उठाए और लगभग चार दशकों तक देश के विकास की गति को बाधित किया। उन्होंने देश की पूरी व्यवस्था को भी कई बार हास्यास्पद बना दिया। ये तीन मुद्दे थे जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद, तिरुपति से पशुपतिनाथ तक का सपना दिखाने वाला वामपंथी उग्रवाद और पूर्वोत्तर का उग्रवाद। यदि आप इन तीनों मुद्दों को एक साथ जोड़ दें, तो इस देश के लगभग 92,000 नागरिक चार दशकों में मारे गए। इन तीनों मुद्दों के उन्मूलन के लिए कभी भी सुनियोजित प्रयास नहीं किया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने सत्ता में आने के बाद ये प्रयास किए।
राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कामकाज पर चर्चा का जवाब देते हुए अमित शाह ने कहा, एक तरह से गृह मंत्रालय बहुत कठिन परिस्थितियों में काम करता है। संविधान ने कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यों को दी है। सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है। यह एक सही निर्णय है। इसमें कोई बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन जब कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यों की है तो 76 साल बाद अब ऐसी स्थिति है कि कई तरह के अपराध राज्य की सीमा तक सीमित नहीं रह गए हैं, वे अंतरराज्यीय भी हैं और बहुराज्यीय भी हैं। मसलन नारकोटिक्स, साइबर अपराध, संगठित अपराध गिरोह, हवाला। ये सभी अपराध सिर्फ एक राज्य के भीतर नहीं होते हैं। उन्होंने कहा कि देश में कई अपराध देश के बाहर से भी होते हैं। इसलिए इन सबको ध्यान में रखते हुए गृह मंत्रालय में बदलाव करना जरूरी हो जाता है। मैं यह गर्व के साथ कहता हूं कि 10 साल में पीएम नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए गृह मंत्रालय में लंबे समय से लंबित बदलाव एक ही बार में कर दिए।