म्यांमार की मदद में भारत का ऑपरेशन ब्रह्मा शुरू
म्यांमार में 334 परमाणु बमों जितनी उर्जा वाला था भूकंप
प्रधानमंत्री मोदी ने म्यांमार के मिलिटरी जुंटा चीफ से की बात
भूकंप का आया 16वां झटका, मृतकों की संख्या 1000 के पार
नई दिल्ली, 29 मार्च (एजेंसियां)। म्यांमार में शनिवार को भी भूकंप के झटके महसूस किए गए। अब तक धरती 16 बार कांपी। शुक्रवार दोपहर आए भूकंप के कारण म्यांमार में भारी तबाही हुई जिसमें अब तक एक हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। सैकड़ों लोग लापता बताए जा रहे हैं। भूकंप में अभी तक 2376 से अधिक लोग घायल हैं। म्यांमार की मदद के लिए भारत ने ऑपरेशन ब्रह्मा के तहत वायुसेना के मालवाहक विमान से राहत सामग्री और बचाव दल भेजा है। इस सिलसिले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने म्यांमार के मिलिटरी जुंटा चीफ से बात भी की। भूकंप प्रभावित इलाकों में लोगों की मदद और राहत-बचाव कार्य के लिए भारत से एनडीआरएफ की टीम भेजी गई है।
म्यांमार की मदद के लिए सबसे पहले भारत आगे आया। भारत ने राहत और बचाव कार्यों के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के 80 कर्मियों का दल म्यांमार भेजा है। इसमें खोजी कुत्ते भी शामिल हैं। भारत सरकार ने ऑपरेशन ब्रह्मा के नाम से राहत कार्रवाई शुरू की है। इससे पहले भी भारत ने 2015 में नेपाल भूकंप और 2023 में तुर्किये के भूकंप में राहत सामग्री के साथ-साथ बचाव दल भेजा था। एनडीआरएफ को म्यांमार में सहायता प्रदान करने के लिए मजबूत कंक्रीट कटर, ड्रिल मशीनें, हथौड़े आदि जैसे भूकंप बचाव उपकरणों के साथ भेजा गया है। एनडीआरएफ के 80 कर्मियों की एक टीम गाजियाबाद के हिंडन से भारतीय वायुसेना के दो विमानों में म्यांमार के लिए रवाना की गई। गाजियाबाद स्थित 8वीं एनडीआरएफ बटालियन के कमांडेंट पीके तिवारी शहरी खोज और बचाव (यूएसएआर) टीम का नेतृत्व करेंगे। एनडीआरएफ टीम अंतरराष्ट्रीय खोज एवं बचाव सलाहकार समूह के मानदंडों के अनुसार म्यांमार में ढही संरचना की खोज एवं बचाव अभियान का काम करेगी। इसके लिए वह अपने साथ बचाव कुत्तों को भी साथ ले गई है। भारत ने शनिवार को भारतीय वायु सेना के सी130जे सैन्य परिवहन विमान पर म्यांमार के यांगून शहर में लगभग 15 टन राहत सामग्री भेजी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत म्यांमार और थाईलैंड को हर संभव सहायता देने के लिए भारत तैयार है।
अमेरिकी एजेंसी यूनाइटेड स्टेट जियोलॉजिकल सर्वे का कहना है कि थाईलैंड और म्यांमार मिला कर भूकंप में मरने वालों की संख्या 10,000 तक जा सकती है। म्यांमार दो भूगर्भीय प्लेटों के बीच में स्थित है, इस कारण वहां भूकंप की स्थिति ज्यादा खराब होती है। इस भूकंप के विनाशकारी होने के पीछे की सबसे बड़ी वजह ये है कि इसका केंद्र धरती में बहुत गहराई में नहीं था। आम तौर पर भूकंप के केंद्र जमीन में 25 किमी तक नीचे होते हैं, लेकिन इस भूकंप का केंद्र महज 10 किमी ही नीचे था।
इस विनाशकारी भूकंप से थाईलैंड के बैंकॉक में 30 मंजिला इमारत ढह गई। वहां 2,000 से ज्यादा इमारतों को नुकसान हुआ। थाईलैंड में एक मस्जिद गिरने से 20 लोगों की भी मौत की खबर आई है। वहीं, कई बौद्ध पगोडा भी तबाह हो चुके हैं। भवनों के धराशाई होने से सैकड़ों लोगों की मौत हुई। जियोलॉजिस्ट जेस फीनिक्स ने कहा है कि म्यांमार से थाईलैंड तक आए इस भूकंप ने 334 परमाणु विस्फोट जितनी ऊर्जा पैदा की, ऐसे झटके महीनों तक आ सकते हैं। इस भूकंप की वजह से पैदा हुई ऊर्जा ने सबकुछ तबाह कर दिया है और पलक झपकते ही बड़ी से बड़ी इमारतें जमींदोज हो गई।
थाईलैंड के जियोलॉजिस्ट्स के मुताबिक यह देश में 200 साल में आया सबसे बड़ा भूकंप है। भूकंप के झटके इतने शक्तिशाली थे कि केंद्र से सैंकड़ों किमी दूर बैंकॉक के कई इमारतें नष्ट हो गईं। 1930 से 1956 तक 6 बड़े भूकंप आए थे। इस बार भी मांडले में इरावदी नदी का पुराना अवा ब्रिज ढह गया। लोग डरे हुए हैं, घरों में जाने की हिम्मत नहीं। म्यांमार की खराब मेडिकल सुविधाएं मुसीबत बढ़ा रही हैं। हर तरफ अफरा-तफरी है, लोग अपनों को ढूंढ़ रहे हैं।