कर्नाटक जाति रिपोर्ट पर प्रमुख समुदायों ने जताई आपत्ति
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| मुख्यमंत्री सिद्धरामैया की अध्यक्षता में १७ अप्रैल को होने वाली विशेष कैबिनेट बैठक में जाति जनगणना रिपोर्ट पर चर्चा की जानी है, लेकिन कई समुदायों ने इस पर आपत्ति जताई है, जबकि कई अन्य ने इसका विरोध किया है और नए सिरे से जांच की मांग की है|
कर्नाटक राज्य वोक्कालिगा संघ के अध्यक्ष बी केंचप्पा गौड़ा ने संवाददाताओं से कहा कि सर्वेक्षण रिपोर्ट दोषपूर्ण है| प्रमुख वोक्कालिगा समुदाय से ताल्लुक रखने वाले गौड़ा ने कहा इस सर्वेक्षण रिपोर्ट का कोई आधार नहीं है| यह पूरी तरह से दोषपूर्ण है| इसे २०११ की जनगणना के आधार पर तैयार किया गया है, जो आज के संदर्भ में अर्थहीन है| इसके अलावा, हमारे समुदाय के किसी भी व्यक्ति ने कभी गणनाकर्ताओं को नहीं देखा, फिर भी जाति जनगणना की गई, जो अपने आप में संदेह पैदा करती है| जगदिका लिंगायत महासभा के प्रधान महासचिव एस एम जामदार, जो सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी हैं, ने कहा कि जाति जनगणना अवैध और दोषपूर्ण है| उन्होंने कहा मेरा मानना है कि राज्य सरकार के पास भारतीय जनगणना अधिनियम के तहत जनगणना कराने का कोई अधिकार नहीं है| केवल भारत सरकार ही ऐसा कर सकती है और उन्होंने १९३१ के बाद से आज तक ऐसा नहीं किया है|
भारत सरकार के अलावा कोई भी प्राधिकरण जनगणना करता है तो यह अवैध है| जामदार ने बताया कि जब पूरी आबादी का सर्वेक्षण किया जाता है तो उसे जनगणना कहते हैं और जब आबादी के एक छोटे हिस्से को कवर किया जाता है तो उसे नमूना सर्वेक्षण कहते हैं| उन्होंने कहा एक अच्छा नमूना सर्वेक्षण करने के लिए पूरे नमूने को कवर करना होता है, लेकिन इस सर्वेक्षण (राज्य सरकार द्वारा) में २५ से ३० प्रतिशत नमूने को छोड़ दिया गया| इसलिए डेटा दोषपूर्ण है| उनके अनुसार, सर्वेक्षण के दौरान अपने बच्चों की शिक्षा और रोजगार के लिए आरक्षण का लाभ उठाने के उद्देश्य से लोगों द्वारा धोखाधड़ी की गई| उन्होंने कहा कि लोगों ने आरक्षण का लाभ उठाने के लिए अपनी जातियों को पिछड़े समुदायों में शामिल कर लिया| लिंगायत कर्नाटक का एक और प्रमुख समुदाय है, जिसका राज्य में दबदबा है| चित्रदुर्ग में मुरुघा मठ के प्रभारी बसवप्रभु स्वामीजी ने कहा हम इस पर निर्णय लेने के लिए सिफारिशों के सार्वजनिक होने का इंतजार करेंगे| हमें देखना होगा कि यह हमारे पक्ष में है या हमारे खिलाफ|
भारत वीरशैव महासभा इस पर अंतिम फैसला लेगी| विवादास्पद सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण, जिसे संक्षेप में जाति जनगणना कहा जाता है, शुक्रवार को राज्य मंत्रिमंडल के समक्ष प्रस्तुत किया गया| कानून और संसदीय मामलों के मंत्री एच के पाटिल ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा कि जाति जनगणना रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है और १७ अप्रैल को ’विशेष मंत्रिमंडल बैठक’ में इस पर विस्तृत चर्चा होगी|