बिजली निजीकरण के खिलाफ 16 अप्रैल से चलेगा अभियान
निजीकरण सुधार और सफलता की नहीं, लूट की कहानी है
लखनऊ, 13 अप्रैल (एजेंसियां)। विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने निजीकरण पर मुख्य सचिव के बयान पर आपत्ति जताई है। उन्होंने आरोप लगाया है कि दिल्ली, ओड़ीशा, चंडीगढ़ में निजीकरण सफलता की कहानी नहीं है बल्कि सार्वजनिक संपत्ति की लूट की कहानी है। समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने कहा कि निजीकरण के विरोध में 16 अप्रैल से व्यापक जनसंपर्क किया जाएगा।
समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि बिजली कर्मचारी किसी भी कुर्बानी के लिए तैयार हैं लेकिन निजीकरण के नाम पर उत्तर प्रदेश में किसी भी कीमत पर सार्वजनिक संपत्ति की लूट नहीं होने देंगे। ओडिशा के विद्युत नियामक आयोग के पूर्व अध्यक्ष उपेंद्रनाथ बेहरा को बैठक में बताना चाहिए था कि निजीकरण होने के 17 साल बाद ओड़ीशा के विद्युत नियामक आयोग ने वर्ष 2015 में तीनों निजी कंपनियों के लाइसेंस अक्षमता और भारी भ्रष्टाचार के चलते रद्द कर दिए थे। क्या यही सफलता की कहानी है?
उन्होंने कहा कि असली सुधार सरकारी क्षेत्र में ही हुआ है। चंडीगढ़ का विद्युत विभाग लगातार मुनाफा कमा रहा था। सालाना मुनाफा लगभग 200 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष का था। करीब 22 हजार करोड़ रुपए की चंडीगढ़ विद्युत विभाग की परिसंपत्तियों को मात्र 871 करोड़ रुपए में बेच दिया गया। क्या यह सफलता की कहानी है? कुछ ऐसा ही दिल्ली में हुआ। दिल्ली में निजीकरण होने के समय कंपनी में 5431 कर्मचारी थे। एक वर्ष के अंदर ही 1970 कर्मचारियों को जबरन सेवानिवृत्ति दे दी गई। कर्मचारियों का क्लेम भुगतान नहीं किया गया।