एनडीए से अब कोई नाता नहीं
पशुपति पारस का ऐलान- सभी 243 सीटों पर करेंगे तैयारी
नई दिल्ली, 15 अप्रैल,(एजेंसी)। एनडीए से अपने नर्म गर्म रिश्ते को लेकर बराबर खबर में बने रहने वाले पूर्व केंद्रीय मंत्री राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (रालोजपा) के प्रमुख पशुपति पारस ने सोमवार को बड़ा ऐलान कर दिया. पशुपति पारस ने कहा कि वो एनडीए से अलग हो रहे हैं. उन्होंने यह घोषणा सोमवार को राजधानी में पार्टी की तरफ से आयोजित संकल्प सम्मेलन में कही.
पशुपति पारस ने अपने दिवंगत भाई रामविलास पासवान द्वारा स्थापित लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) से बगावत करते हुए 2021 में रालोजपा की स्थापना की थी. उन्होंने बीआर आंबेडकर की जयंती के अवसर पर पटना में रालोजपा की ओर से आयोजित संकल्प सम्मेलन में अपनी पार्टी के एनडीए से अलग होने की घोषणा की.
एनडीए से अलग होने का ऐलान
इस मौके पर पशुपति पारस ने रामविलास पासवान को दूसरा आंबेडकर बताते हुए उन्हें भारत रत्न देने की मांग भी की. पारस ने कहा कि मैं 2014 से एनडीए के साथ रहा हूं. लेकिन, आज मैं घोषणा करता हूं कि अब से मेरी पार्टी का एनडीए के साथ कोई संबंध नहीं होगा. अपनी पार्टी के समर्थकों और नेताओं के बीच पशुपति पारस ने कहा कि हम आज से एनडीए से अलग हो रहे हैं.
एनडीए से अब हमारा कोई रिश्ता नहीं रहेगा. जिस गठबन्धन में सम्मान मिलेगा, उसमें जाएंगे. हालांकि उनका यह भी कहना था कि वो राज्य की सभी 243 सीटों पर घूमेंगे और जब समय आएगा तो तय करेंगे की क्या करना है.
नीतीश सरकार दलित विरोधी
उन्होंने राज्य सरकार पर भी निशाना साधा. उनका कहना था कि नीतीश सरकार दलित विरोधी है. भ्रष्टाचार के बिना कोई काम नहीं होता है. औरंगाबाद में लोजपा रामविलास के एक कार्यकर्ता के बेटे ने कोमल पासवान पर गाड़ी से चढ़ा दिया. आज तक सरकार ने कुछ नहीं किया. बिहार में रोज हत्या, लूट की घटनाएं हो रही हैं.
मुस्लिम भाइयों के साथ अन्याय
उन्होंने कहा कि अब हम लोग पूरा बिहार घूमेंगे. उन्होंने अपने समर्थकों से आह्वान किया कि वो बिहार में सत्ता का परिवर्तन करें. पशुपति पारस ने वक्फ बिल पर भी अपनी बातों को रखा. उनका कहना था कि मुस्लिम भाइयों के साथ अन्याय हुआ है. इस बिल का हम विरोध करते हैं. उन्होंने शराबबंदी पर कहा कि बिहार में शराबबंदी हैं लेकिन हम उसका विरोध नहीं करते हैं, लेकिन जो गरीब लोग जेल में बंद हैं, मेरी मांग है कि उनको रिहा किया जाए.
उन्होंने यह भी कहा पासी समाज के लिए ताड़ी पर बैन है, उसको खोला जाए. इस मौके पर रालोजपा पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के अलावा पूर्व सांसद प्रिंस पासवान, संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष सूरजभान सिंह सहित पार्टी के कई नेता कार्यकर्ता मौजूद थे.
केंद्रीय मंत्री के पद से इस्तीफा
पशुपति पारस ने पिछले साल लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय मंत्री के पद से उस समय इस्तीफा दे दिया था, जब उनके भतीजे चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी-रामविलास (लोजपा-आरवी) को एनडीए की घटक के रूप में चुनाव लड़ने के लिए पांच सीटें आवंटित की गई थीं और इन सभी सीटों पर पार्टी उम्मीदवार विजयी रहे थे.
लोजपा (आरवी) को जो सीटें मिली थीं, उनमें रामविलास पासवान का गढ़ कहलाने वाली हाजीपुर सीट भी शामिल थी, जिससे पारस 2019 में लोकसभा सदस्य चुने गए थे. वर्तमान में इस सीट का प्रतिनिधित्व चिराग पासवान कर रहे हैं, जो केंद्रीय मंत्री भी हैं.
रालोजपा के दावे को दरकिनार
एनडीए में नजरअंदाज किए जाने के बावजूद पशुपति पारस ने बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत अन्य शीर्ष नेताओं से मुलाकात कर गठबंधन में मजबूत स्थिति बनाए रखने की कोशिश की. हालांकि, पिछले साल राज्य की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के दौरान एनडीए ने एक सीट पर रालोजपा के दावे को दरकिनार कर दिया. यही नहीं, रालोजपा का संभावित उम्मीदवार बीजेपी में शामिल हो गया, जिसने उनके बेटे को टिकट दे दिया.
इसके अलावा, राज्य सरकार ने पारस से वह बंगला खाली कराकर चिराग पासवान को आवंटित कर दिया, जिससे वह (पारस) अपनी पार्टी का संचालन कर रहे थे. पारस ने 2020 के विधानसभा चुनावों के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ अपने भतीजे के विद्रोह को अस्वीकार करते हुए उनसे नाता तोड़ लिया था.
नीतीश सरकार पर बोला हमला
रालोजपा के कार्यक्रम में पारस ने नीतीश पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया और दावा किया कि 38 में से 22 जिलों का दौरा करने के बाद उन्हें एहसास हो गया है कि बिहार एक नयी सरकार चाहता है. पारस ने आरोप लगाया कि नीतीश कुमार के 20 साल के शासन में राज्य में शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है, कोई नया उद्योग स्थापित नहीं हुआ है और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के कारण सभी कल्याणकारी योजनाओं का क्रियान्वयन प्रभावित हो रहा है.