कर्नाटक में जाति जनगणना रिपोर्ट के क्रियान्वयन का वोक्कालिगा संगठन ने किया विरोध

-१० साल पुराने सर्वेक्षण की प्रासंगिकता पर उठाए सवाल

कर्नाटक में जाति जनगणना रिपोर्ट के क्रियान्वयन का वोक्कालिगा संगठन ने किया विरोध

मैसूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| सामाजिक आर्थिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण, जिसे जाति जनगणना के नाम से जाना जाता है, को ‘अवैज्ञानिक’ दस्तावेज बताते हुए बेंगलूरु उत्तर तालुक वोक्कालिगा संघ ने कर्नाटक सरकार द्वारा जाति जनगणना रिपोर्ट के क्रियान्वयन का विरोध किया है|

यहां मंगलवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए बेंगलूरु उत्तर तालुक वोक्कालिगा संघ की प्रचार समिति के अध्यक्ष एम. एन. पिलप्पा ने कर्नाटक सरकार को रिपोर्ट को ‘जल्दबाजी’ में लागू करने के खिलाफ आगाह किया, क्योंकि इसमें बहुत सारी खामियां हैं| चूंकि सर्वेक्षण २०१५ में किया गया था और पिछले १० वर्षों में बहुत सारे आर्थिक और सामाजिक बदलाव हुए हैं, इसलिए उन्होंने कहा कि कर्नाटक राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के तत्कालीन अध्यक्ष एच. कांताराजू द्वारा तैयार की गई जाति जनगणना रिपोर्ट अब प्रासंगिक नहीं है| उन्होंने कहा कि इस विशाल रिपोर्ट की विषय-वस्तु को पढ़ने, अध्ययन करने और पूरी तरह से समझने के लिए बहुत समय की आवश्यकता है, जिसे इसके कमीशन होने के १० साल बाद हाल ही में स्वीकार किया गया है| उन्होंने कहा कि वोक्कालिगा और लिंगायत समुदायों के नेताओं के अलावा, विशेषज्ञों ने भी कर्नाटक सरकार को ‘पुरानी’ रिपोर्ट को स्वीकार करने के खिलाफ चेतावनी दी थी| उन्होंने राज्य सरकार से एक नया सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक सर्वेक्षण कराने का आग्रह किया|

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