कर्नाटक सरकार के खिलाफ ६० प्रतिशत कमीशन के आरोपों को एसआईटी जांच में शामिल करें: बोम्मई
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| कर्नाटक कैबिनेट द्वारा पिछली भाजपा सरकार के खिलाफ ४० प्रतिशत कमीशन के आरोपों की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने के फैसले पर भगवा पार्टी के नेता बसवराज बोम्मई ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की| उन्होंने शनिवार को मांग की कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को भी एसआईटी के दायरे में लाया जाए|
उन्होंने विभिन्न ठेकेदार संघों द्वारा लगाए गए आरोपों का हवाला देते हुए आग्रह किया कि एसआईटी को पिछले दो वर्षों में वर्तमान सरकार के खिलाफ लगाए गए ६० प्रतिशत कमीशन के आरोपों की जांच करनी चाहिए| उनकी यह टिप्पणी न्यायमूर्ति नागमोहन दास आयोग की रिपोर्ट के आधार पर एसआईटी जांच की घोषणा के एक दिन बाद आई है|
राज्य में भाजपा के कार्यकाल के दौरान किए गए सिविल कार्यों में ४० प्रतिशत कमीशन के आरोपों की जांच के लिए सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के तहत गठित एक सदस्यीय जांच आयोग ने पिछले महीने मुख्यमंत्री सिद्धरामैया को २०,००० पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी| राज्य सरकार के फैसले के बारे में पूछे जाने पर बोम्मई ने कहा कि ४० प्रतिशत भ्रष्टाचार के आरोपों के बारे में झूठे प्रचार की जांच के लिए पहले ही एक आयोग का गठन किया जा चुका है| उन्होंने मांग की कि उस आयोग की रिपोर्ट की सामग्री सार्वजनिक की जाए| बोम्मई ने कहा यह सरकार चीजों को छिपाने की कोशिश क्यों कर रही है? पिछले दो वर्षों में, इस सरकार के खिलाफ ६० प्रतिशत भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं| इसे भी एसआईटी जांच में शामिल किया जाना चाहिए|
कर्नाटक के पूर्व सीएम ने बताया कि लोक निर्माण, आबकारी और विद्युत ठेकेदार संघों ने खुले तौर पर आरोप लगाया है कि वर्तमान सरकार में ६० प्रतिशत भ्रष्टाचार व्याप्त है| उन्होंने कहा कि जांच में भाजपा के कार्यकाल के आरोप भी शामिल होने चाहिए| उन्होंने कहा राजनीतिक विरोधियों ने हमारे खिलाफ झूठे आरोप लगाए, लेकिन सबूत कहां हैं? अब सीएम सिद्धरामैया और डिप्टी सीएम डी के शिवकुमार कह रहे हैं कि अगर कमीशन की मांग की जा रही है तो लोगों को लोकायुक्त के पास शिकायत दर्ज करानी चाहिए| भाजपा के कार्यकाल के दौरान भी हमने यही कहा था- लेकिन कोई भी शिकायत लेकर आगे नहीं आया| वरिष्ठता के आधार पर पूरे हो चुके कार्यों के भुगतान रोके जाने के आरोपों का जवाब देते हुए बोम्मई ने दावा किया कि सरकार के पास पूरे हो चुके प्रोजेक्ट के भुगतान के लिए फंड नहीं है|
उन्होंने आरोप लगाया इसलिए, भले ही टेंडर दिए जा चुके हों, लेकिन ठेकेदार काम करने से कतरा रहे हैं| बोम्मई ने आगे आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और सीएम सिद्धरामैया जाति जनगणना की राजनीति में लिप्त हैं| उन्होंने दावा किया सर्वेक्षण करने से पहले ही उन्हें आधिकारिक तौर पर इसे जाति जनगणना घोषित कर देना चाहिए था| इसके बजाय, उन्होंने इसे सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण के रूप में पेश किया और जाति से संबंधित डेटा एकत्र किया|
उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष ने रिपोर्ट पेश की, लेकिन न तो सचिव और न ही आयोग के अन्य सदस्यों ने उस पर हस्ताक्षर किए| उन्होंने कहा अगर यह सरकार वास्तव में पिछड़े वर्गों की परवाह करती है, तो उन्हें रिपोर्ट सार्वजनिक करनी चाहिए और बताना चाहिए कि उनके कल्याण के लिए उनके पास क्या योजनाएं हैं| बोम्मई ने यह भी याद दिलाया कि सरकार ने कहा था कि कैबिनेट इस मुद्दे पर चर्चा करेगी, लेकिन अब इसे अगली कैबिनेट बैठक तक के लिए टाल दिया गया है|
उन्होंने कहा वे इसका अध्ययन करने के लिए एक और कैबिनेट उपसमिति बना रहे हैं| बोम्मई ने आरोप लगाया मुख्यमंत्री केवल यह बात कर रहे हैं कि पिछड़े समुदाय किसी का पेट नहीं भरेंगे| पिछले तीन-चार सालों से वे इस मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं| सिद्धरामैया प्रतिबद्ध नहीं हैं| जहां प्रतिबद्धता नहीं होती, वहां समिति बना दी जाती है|