योगी ने साकार किया राम को रोटी से जोड़ने का सपना

धार्मिक स्थलों पर भी रोजगार के अवसर बढ़े

 योगी ने साकार किया राम को रोटी से जोड़ने का सपना

लखनऊ, 11 अप्रैल (एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश के धार्मिक स्थलों के विकास और पुनरुद्धार का नतीजा है कि वहां रोजी-रोजगार के अवसर भी खूब बढ़े हैं। पर्यटकों की आमद में बेतहाशा इजाफा ने स्थानीय स्तर पर रोजगार को खूब बढ़ा दिया है। तीन साल से घरेलू पर्यटकों के आमद के हिसाब से यूपी देश में नंबर वन पर स्थापित हो गया है। पर्यटकों की आमद के हिसाब से उत्तर प्रदेश लगातार नए रिकॉर्ड बना रहा है। 2022 से ही घरेलू पर्यटकों के लिहाज से उत्तर प्रदेश देश में नंबर एक पर बना हुआ है। सरकार के आंकड़ों पर गौर करें तो 2017 में उत्तर प्रदेश में आने वाले पर्यटकों की संख्या मात्र 24 करोड़ थीजो 2024 में बढ़कर 65 करोड़ हो गई। आठ वर्षों में 41 करोड़ की यह वृद्धि खुद में अभूतपूर्व है। स्वाभाविक है कि महाकुंभ के नाते 2025 एक नया रिकॉर्ड रचेगा। यह संख्या एक अरब का ऊपर तक जा सकती है।

पंजाबहरियाणा और दिल्ली चैंबर ऑफ कॉमर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में 60 फीसद से अधिक घेरलू यात्राएं धार्मिक स्थलों की होती हैं। धार्मिक पर्यटन आर्थिक उन्नति और सांस्कृतिक आदान-प्रदान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं का अधिकतम लाभ लेने के लिए ऐसी सभी जगहों को बेहतरीन बुनियादी सुविधाओंसड़क और एयर कनेक्टिविटीआने वालों की सुरक्षा और सेवा देनी होती है। यह सारा काम उत्तर प्रदेश सरकार पूरी संजीदगी से कर रही है।

इसकी पृष्ठभूमि मार्च 2017 में जब योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने तभी से शुरू हो गई थी। तब अयोध्या जाना तो दूर की बातकोई नेता अयोध्या का नाम तक नहीं लेना चाहता था उस अयोध्या में वह बार बार गए। हर बार उन्होंने अयोध्या को विकास की बड़ी सौगात दी। दीपावली के एक दिन पूर्व भव्य दीपोत्सव आयोजन कराया। इससे एक बार फिर देश-दुनिया में राम को मानने वालों का ध्यान अयोध्या की ओर गया। राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने और मंदिर का शिलान्यास होने के बाद तो केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार ने अयोध्या के कायाकल्प के लिए खजाने का मुंह खोल दिया। मुख्यमंत्री की मंशा अयोध्या की दुनिया की सबसे खूबसूरत पर्यटन नगरी बनाने की है। इसे वे कई बार सार्वजनिक मंचों से भी कह चुके हैं। उसी मंशा के अनुरूप अयोध्या में लगातार काम भी हो रहे है। काशीप्रयागब्रज क्षेत्र पर भी उनका इसी तरह फोकस है।

उल्लेखनीय है कि राम और रोटी का रिश्ता अटूट है। दोनों एक-दूसरे के पूरक हैं। राम मंदिर आंदोलन को धार देकर भाजपा ने इसे सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का सबसे प्रमुख एजेंडा बनाया। करीब 500 वर्षों के लंबे संघर्ष के बाद जब राम मंदिर आंदोलन के बारे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया और अयोध्या में राम जन्मभूमि पर रामलला के भव्य मंदिर का निर्माण शुरू हुआ तो केंद्र और उत्तर प्रदेश में भाजपा ही सत्ता में रही। सोने पर सुहागा यह कि इस समय उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर योगी आदित्यनाथ थे। यह वह पीठ है जिसका राम मंदिर आंदोलन से वास्ता करीब 100 वर्षों का है। योगी के दादागुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथगुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ और खुद योगी आदित्यनाथ राम मंदिर आंदोलन के हर महत्वपूर्ण घटना के समय मौजूद रहे। ऐसे में जनमानस के मन में यह बैठ गया है कि अयोध्या में श्रीराम को फिर से पुनर्स्थापित करने का काम भाजपा ने किया। इस काम में गोरक्षपीठ की अहम भूमिका रही। बतौर पीठ के पीठाधीश्वर एवं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न केवल इस कसौटी पर खरे उतरेबल्कि काशीमथुराप्रयागराज सहित अन्य धार्मिक स्थलों के नियोजित विकास से अपने पद एवं दायित्व के अनुसार उसे विस्तार भी दिया। यह सिलसिला अभी जारी है।

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