बांग्लादेश के बाद भारत को जहन्नुम बना रहा जेहादवादी इस्लामवाद
शुभ-लाभ चिंता
जहरीला और राक्षसी इस्लामवाद और जेहादवाद भारत और बांग्लादेश में जहन्नुम की तरह फैल रहा है, जिससे इस क्षेत्र और दुनिया के लिए गंभीर सुरक्षा खतरा पैदा हो गया है। राहुल गांधी या ममता बनर्जी जैसी नेता भारत के दुश्मन की तरह काम कर रहे हैं। वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ ममता बनर्जी ने जिस तरह मुसलमानों को भड़का कर पश्चिम बंगाल में आग लगाई है, उसने बंगाल को बांग्लादेश की तरह हिंसा की आग में झोंकने का काम किया है। जब देश में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) आया था, तब भी ऐसा ही नारकीय दृश्य पैदा किया गया था। खुफिया एजेंसियों ने गृह मंत्रालय को सतर्क किया है कि वक्फ विरोध के बहाने भारत को अस्थिर करने का एक बड़ा षडयंत्र रचा जा रहा है।
खुफिया एजेंसियों ने इस्लामिक जेहादवाद की कई घटनाओं को लेकर विस्तार से छानबीन की है। इसमें पश्चिम बंगाल केंद्र में है। इसके अलावा बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, तेलंगाना, कर्नाटक और केरल के कई जिलों में की गई व्यापक पड़ताल का हवाला दिया गया है। मार्च 2025 में रमजान और ईद के त्यौहार पर कई ऐसी घटनाएं हुईं, जिसने खुफिया एजेंसियों को चौंकाया। भारत विरोधी, इजराइल विरोधी, अमेरिका विरोधी प्रदर्शन खुलेआम हो रहे हैं। उन्हें रोकने वाला कोई नहीं। यहां तक कि भाजपा शासित मध्य प्रदेश में भी, मुसलमानों ने फिलिस्तीन के समर्थन में पोस्टर लहराए, जिन पर नारे लिखे थे, मैं फिलिस्तीन के साथ खड़ा हूं, अल-अक्सा की रक्षा करो, फिलिस्तीन की रक्षा करो, और अल-अक्सा हमारा गौरव है। कुछ नारे और भी अधिक घृणित थे, जिनमें इजराइल, नेतन्याहू और ट्रंप की मौत का आह्वान किया गया था। ऐसे जेहादी जुलूस केरल और कर्नाटक में तो आम हैं। दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी भारत में रहती है। भारत में मुसलमानों की आबादी 210 मिलियन से ज्यादा है। धीरे-धीरे, बाहरी तत्वों ने इस आबादी को कट्टरपंथी बनाने और भारत विरोधी बनाने काफी सफलता हासिल की है। निश्चित रूप से, भारतीय मुसलमानों का बड़ा हिस्सा हमेशा पाकिस्तान के साथ सहानुभूति रखता रहा है, लेकिन अब यह खतरनाक तरीके से तीव्र होता जा रहा है।
बांग्लादेश में इस्लामवादियों और जेहादियों की गतिविधियां लगातार बढ़ती जा रही हैं। वहां कई विदेशी ब्रांड जैसे बाटा, कोक, केएफसी, पिज्जा हट और अन्य पर इस्लामवादियों ने हमला किया, लूटपाट की और तोड़फोड़ की, लेकिन मुहम्मद यूनुस की अवैध इस्लामी सरकार ने इन व्यापारिक प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए कोई पहल नहीं की। इसी समय, तौहीदी जनता और अल-कुद्स कमेटी बांग्लादेश के बैनर तले स्थानीय युवा भारत विरोधी, इजराइल विरोधी और यहूदी विरोधी नारे लगाते हुए विशाल रैलियां निकाल रहे हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और सऊदी क्राउन प्रिंस मुहम्मद बिन सलमान के पुतले भी जला रहे हैं। वे अलकायदा, इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस), हमास आदि के झंडे लहरा रहे हैं और भारतीय, अमेरिकी और इजराइली झंडे जला रहे हैं।
भारत में भी ऐसी ही घटनाएं हो रही हैं। फिर बांग्लादेश और भारत में क्या फर्क रहा? बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी), जमात-ए-इस्लामी (जेईआई), इस्लामिस्ट कॉन्स्टिट्यूशन मूवमेंट (आईसीएम) और जातीय पार्टी (जेपी) सहित इस्लामिस्ट राजनीतिक दल ढाका शहर और देश के अन्य हिस्सों में भारत, अमेरिका, इजराइल विरोधी प्रदर्शन कर रहे हैं और हमास से समर्थन का सिलसिला बनाए हुए हैं। यही गतिविधियां तो भारत में भी हो रही हैं। फिर बांग्लादेश और भारत में क्या फर्क रहा?
अमेरिका ऐसे तत्वों को कानून के शिकंजे में कसने या उन्हें अमेरिका से बाहर निकालने का काम कर रहा है। अपने तरीके से इजराइल भी ऐसे तत्वों से निपट रहा है। लेकिन भारत क्या कर रहा है? इस सवाल का जवाब है कि भारत कुछ नहीं कर रहा है। अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवा (यूएससीआईएस) ने एक ताजा नोटिस में आतंकवादी समर्थकों और यहूदी विरोधियों के खिलाफ कड़ी चेतावनी जारी की है, जिसमें कहा गया है कि गैर-नागरिकों की गतिविधियों की जांच की जाएगी और उन्हें संदेह पुख्ता होने पर उन्हें अमेरिका में नहीं रहने दिया जाएगा। अमेरिका विरोधी, यहूदी विरोधी और इस्लामिक जेहादी गतिविधियों में लगे लोग निष्कासन या गिरफ्तारी के दायरे में आएंगे। एक अन्य नोटिस में, यूएससीआईएस ने ऐसे तत्वों को एलिएंस कहा है और निर्देश जारी किया है कि अमेरिका और यहूदी विरोधी गतिविधियों और ऐसे नागरिकों को शारीरिक नुकसान करने वाले इस्लामिक तत्वों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।
अमेरिकी अधिकारी ट्रिशिया मैकलॉघलिन ने कहा, बाकी दुनिया के आतंकवाद समर्थकों के लिए अमेरिका में कोई जगह नहीं है, और हम उन्हें स्वीकार करने या उन्हें यहां रहने देने के लिए बाध्य नहीं हैं। ऐसा कह कर अमेरिका ने इस्लामिक आतंकवाद के समर्थकों के खिलाफ सख्त चेतावनी जारी कर दी है। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी, जमात-ए-इस्लामी और जातीय पार्टी के बहुत बड़ी संख्या में नेताओं के साथ-साथ उनके परिवार के सदस्यों के पास अमेरिकी नागरिकता और ग्रीन-कार्ड है। इन यहूदी विरोधियों ने बांग्लादेश से तस्करी करके लाए गए गंदे पैसे का इस्तेमाल करके सम्पत्तियां खरीदी हैं और व्यापारिक उपक्रमों में निवेश किया है। डोनाल्ड ट्रंप के सत्ता में आने के बाद उनपर खतरा मंडराने लगा है। लेकिन भारत सरकार ऐसे तत्वों को खदेड़ भगाने के लिए कोई निर्णायक सख्त रवैया नहीं अपना रहा है।