प्रधानमंत्री ने यूपी के 21 उत्पादों को दिया जीआई टैग

बनारसी तबला, लाल पेड़ा, ठंडाई और भरवा मिर्च भी शामिल

प्रधानमंत्री ने यूपी के 21 उत्पादों को दिया जीआई टैग

वाराणसी11 अप्रैल। उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक और शिल्प विरासत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने वाराणसी दौरे के दौरान प्रदेश के 21 पारंपरिक उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (जीआईटैग का प्रमाण पत्र प्रदान किया। इस कार्यक्रम ने न सिर्फ प्रदेश की विविधताओं को एक नई उड़ान दीबल्कि योगी सरकार की एक जिलाएक उत्पाद नीति की सफलता को भी रेखांकित किया। बनारसी तबला और भरवा मिर्च जैसे खास व्यंजन और कारीगरी अब वैश्विक मंच पर अपनी विशिष्ट पहचान के साथ चमक बिखेरेंगे। उल्लेखनीय है कि 77 जीआई उत्पादों के साथ उत्तर प्रदेश भारत में पहले स्थान पर है। इसमें भी अकेले 32 जीआई के साथ काशी क्षेत्र दुनिया का जीआई हब है।

वाराणसी की दो विशिष्ट पहचानें बनारसी तबला और भरवा मिर्च अब जीआई टैग प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त उत्पाद बन गए हैं। संगीत प्रेमियों के लिए बनारसी तबला वर्षों से एक खास स्थान रखता हैवहीं बनारसी भरवा मिर्च अपने अनूठे स्वाद और पारंपरिक विधि के कारण हमेशा चर्चा में रहती है। वाराणसी के ही अन्य उत्पाद जैसे शहनाईमेटल कास्टिंग क्राफ्टम्यूरल पेंटिंगलाल पेड़ाठंडाईतिरंगी बर्फी और चिरईगांव का करौंदा को भी जीआई टैग प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है। ये सभी न केवल सांस्कृतिक धरोहर हैंबल्कि इनसे जुड़े हज़ारों कारीगरों को अब वैश्विक बाजार में अपने हुनर को दिखाने का अवसर मिलेगा। पद्मश्री से सम्मानित जीआई विशेषज्ञ डॉ. रजनीकांत के अनुसारकाशी क्षेत्र दुनिया का जीआई हब है। 32 जीआई टैग के साथ लगभग 20 लाख लोगों के जुड़ाव और 25500 करोड़ के वार्षिक कारोबार अकेले काशी क्षेत्र से है।

इस जीआई सूची में बरेली का फर्नीचरजरी जरदोजी और टेराकोटामथुरा की सांझी क्राफ्टबुंदेलखंड का काठिया गेहूं और पीलीभीत की बांसुरी भी शामिल हैं। ये सभी उत्पाद अपने-अपने क्षेत्रों की सांस्कृतिक पहचान हैं और अब जीआई टैग प्रमाण पत्र मिलने से इन्हें कानूनी संरक्षण और ब्रांड वैल्यू दोनों मिलेंगे। चित्रकूट का वुड क्राफ्टआगरा का स्टोन इनले वर्क और जौनपुर की इमरती को भी जीआई टैग प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है। इससे स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश के हर क्षेत्र में छिपे पारंपरिक शिल्प और स्वाद को अब वैश्विक मंच पर ले जाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

जीआई टैग न केवल उत्पाद की मौलिकता को दर्शाता हैबल्कि इसके जरिए किसानों और कारीगरों को बाजार में बेहतर दाम मिलते हैं। इससे रोजगार के नए अवसर भी सृजित होते हैं। योगी सरकार के सतत प्रयासों और ओडीओपी नीति के चलते उत्तर प्रदेश जीआई टैग प्राप्त उत्पादों की संख्या में लगातार शीर्ष पर बना हुआ है।

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