तो कश्मीरी युवा मिटाने लगे एके-47 वाला टैटू
मोदी सरकार ने तोड़ी आतंकवाद की कमर
श्रीनगर, 29 मार्च (एजेंसियां)। कश्मीर के युवा अब एके-47 राइफलों वाले टैटू अपने शरीर से मिटवा रहे हैं। इसके पीछे मजहबी कारण से लेकर घाटी के माहौल में आए बदलाव तक का असर है। जम्मू-कश्मीर के युवा अब आतंक से मुंह मोड़ रहे हैं। कुछ वर्ष पहले तक आतंकवादियों को अपना नायक मानने वाले युवा अब इस जाल में नहीं फंस रहे। जो युवा कभी रियाज नाइकू और बुरहान वानी बनने का सपना देखने वाले सेना में जाने को अपनी पहली पसंद मान रहे हैं। इसी कड़ी में जम्मू-कश्मीर के युवा अब अपने टैटू हटवा रहे हैं।
बीते चार साल में कई हजार युवा अपने टैटू मिटवा चुके हैं। टैटू विशेषज्ञों का कहना है कि अब लोग कश्मीरी संस्कृति और धर्म के बारे में जागरूक हो रहे हैं। अब जो लोग नए टैटू बनवा रहे हैं, उनकी भी प्राथमिकता में बदलाव आया है। यहां के टैटू स्टूडियो में पूरे दिन युवाओं की भीड़ रहती है। वहां से कुछ दूरी पर लेजर पेन से टैटू मिटाने वाले विशेषज्ञ बासित बशीर का क्लीनिक भी है। उनके क्लीनिक पर युवाओं की भीड़ हाल के दिनों में बढ़ गई है। बासित ने बताया कि सबसे अधिक एके-47 वाले टैटू हटवाने के लिए युवा आ रहे हैं। ब्वायफ्रेंड और गर्लफ्रेंड के टैटू भी मिटवाए जा रहे हैं। वर्षों से हिंसा और आतंक की परछाई में रहे युवाओं के मन-मस्तिष्क पर भी आतंक की छाप आ गई थी। इसी के चलते उनके टैटू भी एके-47, कंकाल की खोपड़ी, बिच्छू, सांप और शेर जैसे टैटू शरीर के अलग अलग हिस्सों में बनवाने लगे। रिपोर्ट में बशीर ने बताया कि अब तक वह लगभग एक लाख लोगों के शरीर से ऐसे टैटू मिटा चुके हैं।
टैटू हटवाने के लिए आने वाले लोग कैमरे पर या आधिकारिक तौर पर बात नहीं करना चाहते। ऐसा इसलिए है क्योंकि कश्मीर में टैटू को एक टैबू के तौर पर देखा जाता है। इसके अलावा कई लोगों का कहना है कि ट्रेंड के दौरान बनवाए गए टैटू से अब लोगो का उतना जुड़ाव नहीं रहा। इसके अलावा टैटू हटाने के पीछे मजहबी कारण भी है। इस्लाम मजहब में भी स्थायी टैटू की इजाजत नहीं है। टैटू बनवाकर मस्जिद में जाना हराम है। मस्जिद के इमाम भी टैटू के खिलाफ लगातार तक़रीर देते रहते हैं। इसके चलते भी बड़ी संख्या में युवा अपने शरीर के अलग-अलग हिस्सों में बने टैटू हटवाने के लिए पहुंच रहे हैं। टैटू बनवाने के शरीर पर कई नुकसान भी हैं, लेकिन अभी भी लोगों में टैटू बनवाने को लेकर क्रेज बना हुआ है। कहा जा रहा है कि कश्मीर में अब मजहबी की बातें ज्यादा हावी हो रही हैं। बड़े पैमाने पर लोग मजहब के प्रति झुकाव महसूस कर रहे हैं। टैटू बनवाने वाले इस्लाम धर्म से जुड़े प्रतीक गुदवा रहे हैं।