कॉर्बेट सिटी रामनगर में गहराया जनसंख्या असंतुलन

पुछड़ी बस्ती का नाम रख दिया रहमतनगर

कॉर्बेट सिटी रामनगर में गहराया जनसंख्या असंतुलन

नैनीताल, 11 अप्रैल (एजेंसियां)। कॉर्बेट सिटी रामनगर का जनसंख्या संतुलन बिगड़ गया है। स्थिति इतनी अराजक हो गई है कि वन विभाग की जमीन पर अतिक्रमण कर बसाई गई पुछड़ी बस्ती का रहमत नगर नाम भी रख दिया गया है। इसकी शासन द्वारा जांच शुरू कर दी गई है। वन भूमि और कोसी नदी के किनारे अवैध कब्जे कर मुस्लिमों द्वारा उक्त भूमि को सौ-सौ रुपए के स्टाम्प पेपर पर बेचे जाने की खबरों के बाद इस मामले की जांच स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम के सुपुर्द कर दी गई है।

कॉर्बेट सिटी रामनगर में कोसी नदी किनारे वन भूमि पर अवैध कब्जे हो गए हैडेमोग्राफी चेंज के साथ-साथ यहां नए नए किस्म के अपराध भी पनप रहे हैं। बाहर से आए मुस्लिम परिवारों को बसाने का षड्यंत्र यहां चल रहा हैजानकारी के मुताबिकइस मामले में राजनेताओं का खुला संरक्षण दिया जा रहा है और इसके पीछे वजह हैवोट बैंक की राजनीति! खास बात ये कि इस अवैध बस्ती का नाम भी रहमत नगर पड़ गया है।

नैनीताल जिले के रामनगर की कोसी नदी किनारे ये पुछड़ी बस्ती बसी हुई है। ये बस्ती पहले कोसी नदी में खनन का काम करने वाले श्रमिकों की झोपड़ बस्ती थीजिसने अब पक्की बस्ती का रूप ले लिया हैजबकि ये नदी किनारे वन भूमि है। इस वन भूमि को राजनीति संरक्षण प्राप्त भू माफिया सौ-सौ रु के स्टांप पेपर पर बेच रहे हैं। ऊंची कीमतों पर बिक रही इस सरकारी जमीन की कमाई का हिस्सा वोट बैंक की राजनीति करने वालो के जेब में जा रहा है। बताया गया है कि अभी तक अरबों रुपए की जमीन खुर्दबुर्द हो चुकी है। इस बस्ती में आधार कार्ड बनाने से लेकर वोटर कार्ड बनाने का खेल पिछले कुछ समय से चल रहा है। यहां यूपी बिहार से आए मुस्लिमों ने अपने ठिकाने बना लिए हैं और राम नगर की डेमोग्राफी ही बदल डाली है। उत्तराखंड में जनसंख्या असंतुलन का ये एक नायाब उदाहरण है। जानकारी के मुताबिकवन भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर बसावट का खेल 2005 में शुरू हुआ था। जो अभी तक चल रहा है। यहां राजनीतिक कारणों से बिजली के कनेक्शन लगाए गएफिलहाल नए कनेक्शन लगाए जाने पर रोक लगा दी गई है।

डीएफओ प्रकाश आर्य का कहना है कि यहां 1002 लोगों के अवैध कब्जे हैंजिन्हें अपनी भूमि के दस्तावेज दिखाने के लिए दो बार नोटिस दिए जा चुके हैं। उन्होंने कहा कि अतिक्रमण का ड्रोन सर्वे और सेटलाइट से सर्वे का काम भी पूरा करा लिया गया हैबेहतर होगा कि अवैध रूप से बसे लोग सरकारी जमीन से हट जाएं। उन्होंने बताया कि ये बस्ती खाली होनी है और इसमें वन विभाग को पुलिस प्रशासन का सहयोग चाहिए।

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उत्तराखंड सरकार के वन भूमि से अतिक्रमण हटाओ अभियान के नोडल अधिकारी डॉ. पराग मधुकर धकाते कहते हैं कि जो भूमि सरकारी है उस पर अतिक्रमण बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। लोग खुद ही अवैध कब्जा हटा लें अन्यथा शासन प्रशासन अपनी भूमि खाली करवाएगा। डा धकाते ने बताया कि जिन लोगों ने अतिक्रमण करवाया या वनभूमि की खरीद फरोख्त कर रहे हैं उनकी पहचान भी की जा रही है जिन पर कारवाई की जाएगी चाहे वो कितने भी प्रभावशाली क्यों न हो। आईजी रिद्धिम अग्रवाल ने कहा कि शासन द्वारा रामनगर की पुछड़ी बस्ती मामले में गठित एसआईटी ने अपनी जांच शुरू कर दी हैइसकी रिपोर्ट आने पर शासन को प्रेषित की जाएगी। यहां सक्रिय जमीन खरीद फरोख्त करने वालों पर पुलिस प्रशासन की नजर है और उन पर पूर्व में एफ आई आर भी दर्ज है। जल्द ही इस रिपोर्ट पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

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