कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा

कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से सरकार के खिलाफ जनता का गुस्सा

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| मेट्रो और बस किराए, दूध और बिजली की कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर जनता ने नाराजगी जताई है| लगातार बढ़ती कीमतों से तंग आकर आम लोग सरकार पर भड़क गए हैं और उन्हें चिंता है कि अगर कीमतें इसी तरह बढ़ती रहीं तो वे कैसे गुजारा करेंगे| किसानों के बहाने दूध-दही की कीमातों में ४ रुपए की वृद्धि की गई है| सरकार कीमतें बढ़ाकर आम जनता से पैसा ऐंठने की कोशिश कर रही है| यदि दूध उत्पादकों को लाभ पहुंचाना था तो अन्य माध्यमों से कीमत कम की जानी चाहिए थी| जनता ने इस बात पर आक्रोश व्यक्त किया है कि इसे एक तरफ रखकर ग्राहकों से जबरन वसूली करना तथा किसानों को लाभ पहुंचाना कितना उचित है|


पिछले दो वर्षों से सरकार केवल कीमतें बढ़ाने में व्यस्त रही है| पिछले दो-तीन महीनों में मेट्रो, बस, बिजली, दूध और पीने के पानी की कीमतें बढ़ गई हैं| अब वे ऑटो किराया बढ़ाने की भी योजना बना रहे हैं| दूध की कीमतों में वृद्धि के कारण होटलों में कॉफी और चाय की कीमत भी बढ़ जाएगी| दूसरी ओर, मुफ्त गारंटी देने का दावा करने वाली सरकार, कीमतें बढ़ाकर मध्यम और गरीब लोगों को लूटने की कोशिश कर रही है| त्योहार के दौरान लोगों को रियायती दामों पर चीजें मिलनी चाहिए| हालांकि, सरकार ने दूध और बिजली के दाम बढ़ाकर दोहरा झटका दिया है| कई महिलाओं ने असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यदि मूल्य वृद्धि पर नियंत्रण नहीं किया गया तो लोग दूध और घी भी इस सरकार के भरोसे छोड़ देंगे| मेट्रो किराए में अत्यधिक वृद्धि की गई|

इसके बाद बस किराये में भी वृद्धि कर दी गई| अब दूध के दाम बढ़ा दिए गए हैं| दूध एक ऐसा पदार्थ है जिसका सेवन छोटे-बड़े सभी लोग करते हैं| इन आवश्यक डेयरी उत्पादों की कीमतों में बेतरतीब वृद्धि नहीं की जानी चाहिए| यदि हम ऐसा करेंगे तो बाजार में प्रतिस्पर्धा के कारण हमारे दूध को नुकसान होगा| यदि अन्य राज्यों में दूध की कीमतें बढ़ने के बहाने दूध की कीमतें बार-बार बढ़ाई जाती रहेंगी तो यह आम लोगों पर बोझ होगा| लोगों ने मूल्य वृद्धि की तत्काल समीक्षा की मांग की है| यह मूल्य वृद्धि और कर वृद्धि की सरकार है| दूध की कीमतों में तीन गुना वृद्धि की गई है| बिजली के बिल बार-बार झटके से आ रहे हैं| दैनिक आवश्यकताओं की वस्तुओं की कीमतें पहले ही आसमान छू रही हैं| इस बीच, दूध और दही की कीमत भी बढ़ गई है, जिससे जले पर नमक छिड़कने जैसा काम हो गया है| सत्तारूढ़ सरकारों को आम लोगों की पीड़ा पर ध्यान देना चाहिए, न कि उन्हें पीड़ा में धकेलना चाहिए| सभी सरकारें प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, किसी न किसी तरह से कीमतें बढ़ाती रही हैं| हाल ही में मूल्य वृद्धि की श्रृंखला से लोग परेशान हैं| लोगों की पीड़ा पर ध्यान देना सरकार की जिम्मेदारी है|

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