कांग्रेसकालीन 450 करोड़ के शराब घोटाले की जांच सीबीआई को
छत्तीसगढ़ के सीएम ने सीबीआई जांच की सिफारिश की
रायपुर, 11 अप्रैल (एजेंसियां)। छत्तीसगढ़ की विष्णुदेव साय सरकार ने ईओडब्लू में दर्ज 450 करोड़ रुपए के आबकारी (शराब) घोटाले की जांच सीबीआई से करने की सिफारिश की है। शराब घोटाले की फाइल सीबीआई दफ्तर दिल्ली को भेजी गई है। सीबीआई जल्द ही शराब घोटाले की जांच शुरू करेगी।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के समय हुए शराब घोटाले को लेकर छत्तीसगढ़ एसीबी और ईओडब्लू की ओर से 7 सितंबर 2024 को एफआईआर दर्ज की गई थी। इस मामले में छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा, कांग्रेस सरकार में आबकारी विभाग के प्रबंध संचालक रहे अरुणपति त्रिपाठी के अलावा कारोबारी अनवर ढेबर समेत और भी कई आरोपी हैं। एजेंसियों ने झारखंड के कारोबारी विकास सिंह की शिकायत पर 450 के घोटाले का आरोप यहां दर्ज किया। उनका आरोप है कि छत्तीसगढ़ के अधिकारियों के साथ मिलकर झारखंड में शराब घोटाला किया गया है, जिससे करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ है। धोखाधड़ी और आपराधिक षडयंत्र रचने की धाराओं में आर्थिक अपराध अन्वेषण और एंटी करप्शन ब्यूरो की ओर से यह एफआईआर दर्ज की गई। इसमें बताया गया है कि आरोपित अनिल टुटेजा, अरुणपति त्रिपाठी और उनके सिंडिकेट ने झारखंड के अधिकारियों के साथ मिलकर सभी ने साजिश के तहत झारखंड की आबकारी नीति में फेरबदल किया। इसके बाद राज्य में देसी और विदेशी शराब का टेंडर भी सिंडिकेट के लोगों को दिलवाया गया।
झारखंड में बिना हिसाब की डुप्लीकेट होलोग्राम लगी देशी शराब की बिक्री की गई। विदेशी शराब की सप्लाई का काम अपने करीबी एजेंसी को दिलाया गया। इसके बाद उन कंपनियों से करोड़ों रुपए का अवैध कमीशन लिया गया। इससे करोड़ों रुपए की अवैध कमाई की गई। झारखंड के आईएएस अधिकारी और तत्कालीन आबकारी सचिव विनय कुमार चौबे, वहां के संयुक्त आबकारी आयुक्त गजेंद्र सिंह, झारखंड के पूर्व वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव के पुत्र रोहित उरांव सहित अन्य को छत्तीसगढ़ की ईओडब्लू द्वारा समन प्रेषित कर अभियोजन की स्वीकृति मांगी गई थी लेकिन इस पर ईओडब्लू के पत्र का न तो कोई जवाब मिला और न ही अभियोजन की कोई अनुमति दी गई।