ईसाई धर्मांतरण के लिए एसटी बच्चों का हो रहा ब्रेनवॉश

मंडला में बाल आयोग ने अवैध हॉस्टल से बरामद किए 48 बच्चे

 ईसाई धर्मांतरण के लिए एसटी बच्चों का हो रहा ब्रेनवॉश

मंडला, 29 मार्च (एजेंसियां)। मध्य प्रदेश के मंडला जिले में ईसाई मिशनरियां सक्रिय हैं। ये स्कूल चला रही हैंये हॉस्टल चला रही हैंजिनमें बच्चों को शिक्षा के नाम पर ईसाई बनाया जा रहा है। मंडला के घुटास ग्राम में साइन फॉर इंडिया नाम का स्कूल हैइसके हॉस्टल में रहने वाले 15 लड़कियों और 33 लड़कों को ईसाई बना दिया गया है। इस स्कूल को हॉस्टल चलाने की अनुमति तक नहीं है।

मध्य प्रदेश बाल संरक्षण आयोग की जांच में पता चला कि इन बच्चों का ब्रेनवॉश करके उन्हें ईसाई धर्म अपनाने के लिए मजबूर किया गया। इस स्कूल को ओड़ीशा का ज्योति राज बिना किसी अनुमति के चला रहा है। आयोग ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सारी जानकारी भोपाल मुख्यालय व प्रशासन को कार्रवाई के लिए भेज दी है।

 

बाल संरक्षण आयोग के सदस्य ओंकार सिंह ने बताया कि ये 48 बच्चे दामोहअनूपपुरओड़ीशा राज्य और आसपास के इलाकों से लाए गए थे। टीम ने जब बच्चों से बात कीतो चौंकाने वाली बातें सामने आईं। बच्चे डॉक्टर या इंजीनियर बनने के बजाय पास्टर और सिस्टर बनने की बात कह रहे थे। बच्चों ने खुद बताया कि उन्हें ईसाई धर्म से जुड़ने के लिए कहा गया है। जांच में पाया गया कि उनका पूरी तरह से ब्रेनवॉश कर दिया गया था। स्कूल में बाइबिल समेत कई मजहबी किताबें भी मिलींजो इस बात का सबूत थीं कि यहां धार्मिक गतिविधियां चल रही थीं।

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आयोग की टीम के सामने ही एक अजीब नजारा देखने को मिला। स्कूल में प्रार्थना खुले में नहींबल्कि छत के नीचे एक अंडरग्राउंड जगह पर हो रही थी। आमतौर पर स्कूलों में प्रार्थना खुले में होती हैलेकिन यहां ऐसा नहीं था। टीम ने बच्चों से बातचीत और प्रार्थना का पूरा वीडियो रिकॉर्ड कियाजो अब सबूत के तौर पर प्रशासन और भोपाल मुख्यालय को भेजा गया है। डीपीसी केके उपाध्याय ने बताया कि उन्हें पहले से शक था कि स्कूल में कुछ गलत चल रहा है। जब आयोग की टीम पहुंचीतो बच्चों को बाइबिल के साथ प्रार्थना कक्ष में जाते देखा। बच्चों ने कहा कि वे रोज शाम 6:30 बजे ईसाई प्रार्थना करते हैं और पहले वे दूसरे धर्म को मानते थे।

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बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. निवेदिता शर्मा ने बताया कि स्कूल के दस्तावेजों में बच्चों का धर्म हिंदू और जाति गोंड लिखा थालेकिन हॉस्टल के रिकॉर्ड में उन्हें क्रिश्चियन दिखाया गया। बच्चों के पूरे कागजात भी नहीं मिले। हैरानी की बात ये कि हॉस्टल में बच्चियों के बाथरूम में कैमरे लगे थेजो बेहद आपत्तिजनक है। इन 48 बच्चों में 15 लड़कियां और 33 लड़के शामिल हैं जो मंडलाओड़ीशा और अनूपपुर से लाए गए थे। बच्चों के माता-पिता की अनुमति के बिना उन्हें धार्मिक गतिविधियों में शामिल किया जा रहा था।

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मंडला जिले के सामाजिक कार्यकर्ता तारेंद्र चौरसिया ने बताया कि बच्चों के हाथ में कलावामाथे पर तिलकसब गायब हैं। हिंदू प्रतीकों को मिटा दिया गया है। गोंड बच्चे हैं। पूरी तरह से ईसाई बनाए जा चुके हैं। प्रार्थना में ईशू की प्रार्थना करते हैंबाइबिल हाथ में लिए रहते हैं। ये सभी बच्चे गोंड और बैगा जनजाति के हैं। बैना जनजाति की संख्या तेजी से खत्म हो रही है और इसमें सबसे बड़ा योगदान इन मिशनरियों का है। तारेंद्र चौरसिया ने कहासबसे बड़ा विषय यह है कि यहां आदिवासी बच्चों के साथ-साथ बैगा जनजाति बच्चों को भी कन्वर्ट किया जा चुका है। बिना माता-पिता के अनुमति के इनको प्रार्थना कराई जाती है एवँ उनके स्कूल फॉर्म में भी क्रिश्चियन रिलिजन लिखा गया है। इसी तरह आदिवासी जिला मंडला में ईसाई मिशनरियों के द्वारा विद्यालय को धर्मांतरण का अड्डा बनाया हुआ हैलगभग सभी स्कूलों में इसी तरह के मामले सामने आ रहे हैं।

इस मामले से जुड़े वीडियो और फोटो पूरी कहानी बताते हैं। प्रार्थना करने से लेकर एमपी बाल संरक्षण आयोग के सदस्यों से बातचीत तक केइन वीडियो और अन्य जानकारियों को कार्रवाई के लिए आगे भेजा गया है। हैरानी की बात है कि बामुश्किल 100 परिवारों वाले इस पिछड़े से गांव में ईसाई मिशनरियां करोड़ों खर्च करके स्कूल बना रही हैं और उसमें बच्चों को मामूली फीस पर पढ़ाया जा रहा है। आखिर इसके पीछे का मकसद क्या है और कौन इस काम के लिए पैसे दे रहा हैइसकी जांच बेहद जरूरी है। साफ तौर पर ये पूरा मामला ईसाई मिशनरियों की करतूतों की ओर इशारा कर रहा है। बिना अनुमति के स्कूल चलानाबच्चों का ब्रेनवॉश करना और धर्मांतरण की कोशिश करना गंभीर अपराध है। मुख्य आरोपी ज्योति राज ओड़ीशा का रहने वाला है और उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग तेज हो गई है। प्रशासन से संपर्क कर इस मामले में सख्त कदम उठाने को कहा गया है।

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