पूर्व नरेश पर देश में अशांति फैलाने का आरोप
नेपाल में हिंदू राष्ट्र और राजशाही की वापसी का आंदोलन
लगाया गया जुर्माना, पासपोर्ट जब्त करने की तैयारी
काठमांडू, 31 मार्च (एजेंसियां)। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र वीर विक्रम शाह पर देश में अशांति फैलाने और सामाजिक सद्भाव बिगाड़ने का आरोप लगाया लगाया है। प्रधानमंत्री ओली ने कहा कि पूर्व राजा ज्ञानेंद्र देश में सामाजिक सद्भाव को बिगाड़ने और समाज में विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। जिसके परिणामस्वरूप राजतंत्र समर्थक प्रदर्शनों में हिंसा भड़क गई।
प्रतिनिधि सभा में बोलते हुए प्रधानमंत्री ओली ने आरोप लगाया कि पूर्व राजा शाह ने उन व्यक्तियों के साथ मिलकर काम किया है जिन्होंने बैंक ऋण चुकाने से इनकार किया। उनका कहना था कि शाह ने अपनी महत्वाकांक्षाओं के लिए सामाजिक अशांति फैलाने की कोशिश की, जिससे तिनकुने क्षेत्र में हिंसक घटनाएं हुईं। सुरक्षाकर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पों में एक टीवी कैमरामैन सहित दो लोगों की मौत हो गई, और 110 अन्य घायल हो गए। प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि नेपाल में हिंदू राजतंत्र की बहाली की जाए। हिंसक विरोध प्रदर्शनों के सिलसिले में अब तक 110 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।
प्रधानमंत्री ओली ने यह भी कहा कि गृह मंत्रालय जल्द ही इस घटना की विस्तृत जानकारी संसद को देगा और पूरे मामले पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि पिछले एक साल की घटनाओं का विश्लेषण करना जरूरी है, और धर्म, संस्कृति और परंपरा जैसे संवेदनशील मुद्दों पर लोगों की भावनाएं भड़काकर हिंसा को उकसाने की कोशिश की गई। ओली ने दावा किया कि पूर्व राजा ने अराजक तत्वों को अपने घर बुलाया और एक तथाकथित कमांडर नियुक्त किया, जो देश में अशांति फैलाने के प्रयासों में शामिल था।
ओली की इन टिप्पणियों पर राष्ट्रीय प्रजातंत्र पार्टी (आरपीपी) के सांसदों ने संसद में विरोध जताया। यह पार्टी नेपाल को फिर से हिंदू राष्ट्र बनाने और राजतंत्र की पुनर्बहाली का समर्थन करती है। हाल ही में एक राजनीतिक दलों की बैठक में पीएम ओली ने इस पार्टी को शामिल नहीं किया था, जिसके कारण यह विवाद और गहरा सकता है। नेपाल में राजशाही का समर्थन करने वाले कई राजनीतिक दल भी हैं। इन सबने मिलकर संयुक्त जन आंदोलन समिति बनाई। इनका कहना है कि 1991 के संविधान को नेपाल में बहाल की जाए। समिति का कहना है कि इस संविधान में राजशाही के साथ-साथ बहुदलीय संसदीय लोकतंत्र प्रणाली की मान्यता है। इसके साथ ही इसमें नेपाल को 'हिंदू राष्ट्र' बताया गया है, जो कि लोकतंत्र में धर्मनिरपेक्ष कर दिया गया है।
नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के नेतृत्व वाली सरकार ने पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह की सुरक्षा में भारी कटौती कर दी है और उनका पासपोर्ट रद्द करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पूर्व राजा पर 7.93 लाख नेपाली रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
नेपाल के लोगों का आरोप है कि नेपाल को राजनीतिक अस्थिरता के साथ-साथ वित्तीय अस्थिरता में भी झोंक दिया गया है। बेरोजगारी और गरीबी लगातार बढ़ रही है और नेपाल की सारी पार्टियां भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। उनका ध्यान जनता के कल्याण में लगने के बजाय जनता को लूटने-खसोटने में है। इसको देखते हुए देश में राजशाही और हिंदू राष्ट्र की बहाली की मांग उठाई जा रही है। नेपाल में राजशाही का समर्थन करने वाले कई राजनीतिक दल भी हैं। इन सबने मिलकर संयुक्त जन आंदोलन समिति बनाई है। इनका कहना है कि 1991 के संविधान को नेपाल में बहाल की जाए। समिति का कहना है कि इस संविधान में राजशाही के साथ-साथ बहुदलीय संसदीय लोकतंत्र प्रणाली की मान्यता है। इसके साथ ही इसमें नेपाल को हिंदू राष्ट्र बताया गया है।