कई गुत्थियां सुलझेंगी, कई चेहरे बेपर्द होंगे
मुंबई हमले का सरगना तहव्वुर 18 दिन की एनआईए रिमांड में
18 साल बाद भारत आ सका तहव्वुर राणा
नई दिल्ली, 11 अप्रैल (एजेंसियां)। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमलों का सरगना तहव्वुर राणा अमेरिका से प्रत्यर्पित कर गुरुवार 10 अप्रैल को भारत लाया गया। 64 साल के तहव्वुर को एनआईए के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एक विशेष अमेरिकी विमान से लॉस एंजिल्स से दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर लाया गया। भारत पहुंचते ही एनआईए ने उसे आधिकारिक तौर पर गिरफ्तार कर लिया। हवाई अड्डे पर ही डॉक्टरों के एक पैनल ने उसकी मेडिकल जांच की। उसके बाद उसे पाटियाला हाउस स्थित एनआईए की विशेष कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे 18 दिनों के लिए एनआईए रिमांड में भेज दिया गया। एनआईए के आईजी आशीष बत्रा, डीआईजी जया राय और एसपी प्रभात कुमार एनआईए की टीम को लीड कर रहे थे। अमेरिका से लाए गए आतंकी तहव्वुर राणा से 18 दिनों तक एनआईए पूछताछ करेगी। आज भी उससे गहन पूछताछ की गई। पूछताछ में हमले के मुख्य साजिशकर्ता हेडली से उसके संबंध और पाकिस्तान के अधिकारियों के साजिश में शामिल होने के ठोस सबूत मिलने की संभावना है।
मुंबई हमलों के इस मास्टरमाइंड को भारत लाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे थे। अमेरिका में जब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने तो इस प्रक्रिया में तेजी आ गई। फरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण का ऐलान किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वाशिंगटन में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान भी डोनाल्ड ट्रंप ने तहव्वुर को भारत प्रत्यर्पित किए जाने के बारे में कहा था। ट्रंप ने कहा था, तहव्वुर राणा को भारत भेजा जाएगा, जहां उसे इंसाफ मिलेगा। तहव्वुर ने अपना प्रत्यर्पण रोकने के लिए कई उपाय किए। लगातार अमेरिकी कोर्ट के चक्कर लगाता रहा था। लेकिन आखिरकार उसे भारत आना ही पड़ा। राहत नहीं मिली। तहव्वुर ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में 27 फरवरी 2025 को इमरजेंसी एप्लीकेशन फॉर स्टे दायर की थी। लेकिन वह खारिज कर दी गई।
मुंबई हमले की जांच करने वाली एजेंसी एनआईए ने 405 पन्नों की चार्जशीट में तहव्वुर राणा को आरोपी बनाया है। चार्जशीट में कहा गया है कि वह हमले का सरगना डेविड कोलमैन हेडली उर्फ दाऊद सईद गिलानी की मदद कर रहा था। तहव्वुर और हेडली ने मुंबई हमले का ब्लूप्रिंट तैयार किया था। तहव्वुर ने आतंकियों को बताया था कि मुंबई में आतंकियों को कहां ठहरना है और कहां-कहां हमले करने हैं। तहव्वुर ने यह भी बताया था कि उसे जानकारी थी कि हेडली किससे मिल रहा है और उनसे क्या बात कर रहा है। उसे हमले की योजना और टारगेट के बारे में भी बता था। तहव्वुर राणा अपने बचपन के दोस्त और आतंकियों के मददगार डेविड कोलमैन हेडली की आर्थिक सहित हर तरह से मदद करके इस्लामी आतंकियों का सपोर्ट कर रहा था।
कनाडाई-अमेरिकी नागरिक हेडली की मां अमेरिका और उसके अब्बू पाकिस्तानी मूल के थे। अमेरिकी अधिकारियों ने अक्टूबर 2009 में हेडली को अमेरिका के शिकागो से गिरफ्तार किया था। अमेरिकी कोर्ट ने 24 जनवरी 2013 को मुंबई में आतंकी हमलों में शामिल होने का दोषी मानते हुए हेडली को 35 साल जेल की सजा सुनाई थी। तहव्वुर और हेडली बचपन के दोस्त हैं। हेडली भी शुरुआती 5 साल की पढ़ाई पाकिस्तान के हसन अब्दाल कैडेट स्कूल में की है। इसके बाद वह परिवार के साथ अमेरिका चला गया। तहव्वुर राणा भी इसी स्कूल में पढ़ा है। बाद में वह पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के रूप में काम करने लगा। फिर वह कनाडा चला गया। कुछ साल के बाद उसे कनाडा की नागरिकता मिल गई। तहव्वुर की फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज नाम की कंसल्टेंसी फर्म की एक शाखा मुंबई में भी थी। इसी फर्म के सहारे कोलमैन हेडली हेडली भारत आया था और हमले करने वाली जगहों की रेकी की थी। 26 नवंबर 2008 को मुंबई में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने हमला किया था। आतंकियों ने मुंबई के लियोपोल्ड कैफे, छत्रपति शिवाजी टर्मिनस, होटल ताज पैलेस, होटल ओबेरॉय ट्राइडेंट, कामा हॉस्पिटल, नरीमन हाउस, मेट्रो सिनेमा और सेंट जेवियर कॉलेज ने निशाना बनाया था। वे अपने साथ भारी मात्रा में आईईडी, आरडीएक्स, हैंड ग्रेनेड और के-47 राइफलें और पिस्टल वगैरह लेकर आए थे।
मुंबई हमले में 166 लोग मारे गए थे और 300 लोग जख्मी हुए थे। मृतकों में अमेरिकी, इज़राइली सहित कई विदेशी नागरिक भी शामिल थे। आतंकियों के खिलाफ एनएसजी, मरीन कमांडो फोर्स, मुंबई पुलिस, आरएएफ, सीआरपीएफ, मुंबई फायर ब्रिगेड और रेलवे पुलिस फोर्स ने ऑपरेशन चलाया था। इस दौरान एक आतंकी अजमल कसाब को जिंदा गिरफ्तार किया था। साल 2012 में उसे फांसी दी दे गई।