ट्रम्प ने चीन पर टैरिफ बढ़ाकर 145% किया
कल 125% टैरिफ का ऐलान किया था; कई अमेरिकी कंपनियों के शेयर गिरे
वाशिंगटन, 10 अप्रैल (एजेंसी)। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को चीन पर टैरिफ की दरों को बढ़ाकर 145% कर दिया है। इससे पहले उन्होंने बुधवार को चीन पर 125% टैरिफ का ऐलान किया था, जबकि बाकी देशों पर 10% बेसलाइन टैरिफ लगाया था।
चीन पर 145% टैरिफ लगाने का आसान भाषा में मतलब है कि चीन में बना 100 डॉलर का सामान अब अमेरिका में जाकर 245 डॉलर का हो जाएगा। अमेरिका में चीनी सामानों के मंहगे होने से उसकी बिक्री कम हो जाएगी।
अमेरिकी शेयर मार्केट में गिरावट
सरकारी बॉन्ड बाजार में, अमेरिकी ट्रेजरी में फिर से बिकवाली शुरू हो गई। वहीं शेयर मार्केट के नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्स में लगभग 7% की गिरावट आई। इसके साथ ही एप्पल, एनवीडिया और अन्य कंपनियों शेयरों में भी गिरावट आई। तेल की कीमतों में लगभग 4% की गिरावट आई, जो 63 डॉलर प्रति बैरल से नीचे कारोबार कर रहा था।
ट्रम्प ने 1 फरवरी को चीनी प्रोडक्ट्स पर 10% लगाया, जो 3 मार्च को बढ़ाकर 20% कर दिया। इसके बाद 2 अप्रैल को इसे बढ़ाते हुए 54% कर दिया। फिर यह 9 अप्रैल को 104% हो गया, जबकि 10 अप्रैल को इसे बढ़ाकर 145% कर दिया।
कल कहा था जो देश डील करेंगे, उनके लिए टैरिफ 10% रहेगा
ट्रम्प ने कल कहा था कि 75 से ज्यादा देशों ने अमेरिका के प्रतिनिधियों को बुलाया है और इन देशों ने मेरे मजबूत सुझाव पर अमेरिका के खिलाफ किसी भी तरह से जवाबी कार्रवाई नहीं की है। इसलिए मैंने 90 दिन के विराम (पॉज) को स्वीकार किया है। टैरिफ पर इस रोक से नए व्यापार समझौतों पर बातचीत करने का समय मिलेगा।
इससे पहले उन्होंने 2 अप्रैल को अलग-अलग देशों के लिए रेसिप्रोकल (जैसे को तैसा) टैरिफ का ऐलान किया था। इसके तहत भारत पर भी 26% टैरिफ लगाया था।
मंदी, महंगाई का खतरा था, ट्रम्प के करीबी भी टैरिफ के खिलाफ थे
1. ट्रम्प टैरिफ के चलते अमेरिका समेत ग्लोबल मार्केट में 10 लाख करोड़ डॉलर की गिरावट आई थी। हालांकि, टैरिफ रोकने के फैसले के कुछ घंटों के अंदर ही अमेरिकी शेयर बाजार की वैल्यू 3.1 लाख करोड़ डॉलर बढ़ गई।
2. ट्रम्प के कई करीबी सलाहकारों और खुद इलॉन मस्क भी टैरिफ वॉर रोकने की सलाह दे चुके थे। ट्रम्प की रिपब्लिकन पार्टी के कई नेता भी टैरिफ के खिलाफ थे। मिच मैककोनल, रैंड पॉल, सुसन कोलिन्स व लिसा मुर्कोव्स्की ने टैरिफ को ‘असंवैधानिक, अर्थव्यवस्था के लिए नुकसानदायक और कूटनीतिक रूप से खतरनाक’ बताया था।
3. टैरिफ के चलते अप्रत्याशित तौर पर अमेरिकी बॉन्ड्स की बिकवाली शुरू हो गई थी। क्रूड की कीमतों में भारी गिरावट दर्ज की गई, यह कोरोना काल जैसी स्थिति बन रही थी।
4. वॉल स्ट्रीट के बैंकों ने टैरिफ के चलते अमेरिका में महंगाई, बेरोजगारी बढ़ने और मंदी आने की चेतावनी दी थी।
5. अमेरिका चीन से 440 अरब डॉलर का आयात करता है। इस पर उसने 124% टैरिफ लगाया है। चीन से प्रोडक्ट्स मंगवाने वाली अमेरिकी कंपनियों के लिए अब इसका विकल्प खोजना बड़ी चुनौती बन रहा था। ऐसे में बाकी देशों पर टैरिफ रोकना इन कंपनियों की सप्लाई चेन के लिए जरूरी था।
चीन नई इंडस्ट्री व इनोवेशन बढ़ाने पर जोर दे रहा
चीन के पास अमेरिका के करीब 600 अरब पाउंड (करीब 760 अरब डॉलर) के सरकारी बॉन्ड हैं। मतलब ये कि चीन के पास अमेरिकी इकोनॉमी को प्रभावित करने की बड़ी ताकत है। वहीं, चीन ने अपनी तैयारी भी शुरू कर दी है।
चीन ने 1.9 लाख करोड़ डॉलर का अतिरिक्त लोन इंडस्ट्रियल सेक्टर को दिया है। इससे यहां फैक्ट्रियों का निर्माण और अपग्रेडेशन तेज हुआ। हुआवेई ने शंघाई में 35,000 इंजीनियरों के लिए एक रिसर्च सेंटर खोला है, जो गूगल के कैलिफोर्निया हेडक्वार्टर से 10 गुना बड़ा है। इससे टेक्नोलॉजी और इनोवेशन कैपेसिटी तेज होगी।