एआई कौशल में भारत ने अमेरिका को पछाड़ा

वैश्विक प्रौद्योगिकी का अग्रणी भागीदार बना भारत

एआई कौशल में भारत ने अमेरिका को पछाड़ा

जल्द ही होगा भारत का अपना इंटरनेट ब्राउजर

नई दिल्ली, 21 मार्च (एजेंसियां)। भारत विश्व की कौशल राजधानी के रूप में स्थापित हो रहा है। एआई कौशल के क्षेत्र में भारत दुनिया में नंबर एक पर है। एआई कौशल सूचकांक में अमेरिका और जर्मनी से भी आगे है। अब जल्दी ही भारत का अपना इंटरनेट ब्राउजर होगा। इसकी तैयारी अब बिल्कुल निर्णायक स्टेज पर है। वैश्विक प्रौद्योगिकी के लिए पसंदीदा भागीदार बना हुआ है। ऐसा कोई उद्योग या देश नहीं हैजो तकनीक की अग्रणी भूमिका में आए बगैर आगे बढ़ रहा हो। सारा विकास प्रौद्योगिकी से संचालित हो रहा है। नैसकॉम के चेयरमैन राजेश नांबियार ने कहा कि वैश्विक प्रतिभा केंद्र के रूप में भारत की ताकत बढ़ रही है। प्रौद्योगिकी अधिक तेजी से अर्थव्यवस्थाओं को आकार दे रही है। उन्होंने कहा कि एक और बात जो भारत को व्यापक वैश्विक तकनीकी तंत्र में महत्वपूर्ण भागीदार बनाती हैवह इसका संपन्न स्टार्टअप और नवाचार तंत्र है।34,000 से अधिक प्रौद्योगिकी और 3,600 डीप टेक स्टार्टअप के साथ देश की बुनियादी स्थिति मजबूत है। एआई और क्वांटम कंप्यूटिंग जैसी तकनीकी अच्छी तरह से स्थापित हैं। उन्होंने कहा, 2026 में आईटी उद्योग का मूल्यांकन 300 अरब डॉलर के पार पहुंच जाएगा।यह 58 लाख को रोजगार देता है।

केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने कहाभारत का सभी के लिए एआई मंत्र ठोस बुनियाद पर आधारित है। उद्योग जगत को वैश्विक कौशल राजधानी के रूप में भारत की स्थिति का लाभ उठाने के लिए अनुसंधान और विकास को प्राथमिकता देनी चाहिए। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत का सेमीकंडक्टर अभियान लगातार धूम मचा रहा है। इसमें भारत की युवा पीढ़ी सार्थक भूमिका अदा कर रही है। एमईआईटीवाई की अगुवाई में चिप्स टू स्टार्ट-अप (सी2एस) कार्यक्रम भारत के सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से की गई एक बड़ी पहल है। इसका लक्ष्य चिप डिजाइन में विशेषज्ञता प्राप्त बीटेकएमटेक और पीएचडी स्तर पर 85,000 इंजीनियरों को तैयार करना है।

भारत में तकनीकी रूप से आगे बढ़ने और अपना खुद का इंटरनेट ब्राउजर विकसित करने की क्षमता है। इसके लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बृहस्पतिवार को भारतीय वेब ब्राउजर डेवलपमेंट चैलेंज (आईडब्ल्यूबीडीसी) के विजेताओं को सम्मानित करने के मौके पर कही। उन्होंने विदेश ब्राउजर पर निर्भरता खत्म करने और डाटा सुरक्षा के लिहाज से स्वदेशी वेब ब्राउजर को जरूरी बताया। केंद्रीय मंत्री ने इस मौके पर यह भी कहा कि भारत सरकार सुरक्षित और अभिनव डिजिटल समाधानों के माध्यम से नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि सेवा क्षेत्र एक अहम उद्योग है जिसे निरंतर विकसित किया जाना चाहिए लेकिन साथ ही भारत को एक विनिर्माण करने वाला राष्ट्र भी बनने की आवश्यकता है।

केंद्रीय मंत्री ने स्वदेशी ब्राउजर के विकास पर काम करने के लिए टीम जोहो को एक करोड़ रुपए का पहला पुरस्कारटीम पिंग को 75 लाख रुपए का दूसरा पुरस्कार और टीम अजना को 50 लाख रुपए का तीसरा पुरस्कार दिया। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत स्वदेशी वेब ब्राउजर विकसित करने के इस चैलेंज की शुरुआत की थी।

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भारत में सेमीकंडक्टर नवाचार तेजी से विकसित हो रहा है। आईआईटी दिल्लीआईआईटी बॉम्बेआईआईटी गुवाहाटीआईआईटी (बीएचयू) वाराणसीएनआईटी राउरकेला और सविता इंजीनियरिंग कॉलेज सहित शीर्ष इंजीनियरिंग संस्थान एनालॉग और डिजिटल हैकथॉन के माध्यम से चिप डिजाइन नवाचार में अग्रणी बनकर उभरे हैं। चिप्स टू स्टार्ट-अप (सी2एस) पहल के तहत आयोजित एनालॉग डिजाइन हैकथॉन में आईआईटी दिल्ली की टीम को पहला और एनआईटी राउरकेला की टीम को दूसरा पुरस्कार मिला।

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केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहासेमीकंडक्टर डिजाइन को एक रणनीतिक रूप से अनिवार्यता मानते हुए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (एमईआईटीवाई) देश के चिप डिजाइन पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने की दिशा में हरसंभव कदम उठा रहा है। एमईआईटीवाई की अगुवाई में चिप्स टू स्टार्ट-अप (सी2एस) कार्यक्रम भारत के सेमीकंडक्टर पारिस्थितिकी तंत्र को मजबूत करने के उद्देश्य से की गई एक बड़ी पहल है। इसका लक्ष्य चिप डिजाइन में विशेषज्ञता प्राप्त बीटेकएमटेक और पीएचडी स्तर पर 85,000 इंजीनियरों को तैयार करना है।

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देश के सेमीकंडक्टर कार्यक्रम का विस्तार करते हुए मंत्रालय ने डिजिटल इंडिया आरआईएससी-वी प्रोसेसर लॉन्च करने की भी घोषणा की है। इसके लिए 10 अप्रैल, 2025 से आवेदन आमंत्रित किए जाएंगे। यह पहल सी-डैक के वेगा प्रोसेसर और आईआईटी मद्रास के शक्ति माइक्रोप्रोसेसरों से संचालित होगी। 100 घंटे तक चले एनालॉग और डिजिटल हैकथॉन में 40 विशिष्ट टीमों, 200 नवप्रवर्तकों ने भाग लिया। कोडिंग और डिजाइन की चुनौतियों से प्रतिभागियों का सामना हुआ। एनालॉग डिजाइन हैकाथॉन में आईआईटी दिल्ली की टीम इंट्यूशन ने पहला पुरस्कार जीताजबकि एनआईटी राउरकेला की टीम एनालॉग एज ने दूसरा पुरस्कार जीता। आईआईटी गुवाहाटी की टीम एफईटीमैनियाक्स को तीसरा पुरस्कार दिया गया। डिजिटल डिजाइन हैकथॉन के लिएआईआईटी बॉम्बे की टीम आरआईएससीबी ने पहला पुरस्कार जीताजबकि सविता इंजीनियरिंग कॉलेज की टीम सिलिकॉन स्क्रिप्टर्स दूसरे स्थान पर रही। तीसरा पुरस्कार आईआईटी (बीएचयू) वाराणसी की टीम डायडेलस को मिला।

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