हिंदुओं के गांव में खुल गया हजारों मुस्लिमों का खाता
विरोध भी करेंगे और फ्रॉड करके योजनाओं का लाभ भी लूटेंगे
फ्रॉड करके लूट लिए पीएम किसान निधि के करोड़ों रुपए
यूपी, बिहार और प. बंगाल के मुसलमानों का मिला खाता
राजस्थान के जिस गांव में एक भी मुस्लिम नहीं, उस गांव के पते पर भी बंगाल और बिहार के मुस्लिमों का रजिस्ट्रेशन पाया गया है। राजस्थान के पाली में 29000 फर्जी खाते बना कर पीएम किसान सम्मान निधि का पैसा हड़पा जाता रहा। बीते साल इसी तरह का फर्जीवाड़ा छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले में हुआ था। बेरला ब्लॉक के बरगांव में 656 मुस्लिमों के नाम पर खुले फर्जी खातों में इस योजना के पैसे जा रहे थे। जांच में पता चला कि इस गांव में सिर्फ 19 मुस्लिम किसान ही रहते हैं। अन्य सभी मुस्लिम नाम फर्जी थे। इससे पूर्व तमिलनाडु में भी प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि में बड़ा घोटाला हुआ था। तमिलनाडु में धोखाधड़ी करके 110 करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान ऑनलाइन निकाल ले लिया गया था। यह घोटाला सरकारी अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत से हुआ था।
राजस्थान के पाली में मुस्लिमों के नाम पर भारी फ्रॉड सामने आया है। यहां हिंदुओं के गांव में मुस्लिमों के नाम से फर्जी अकाउंट बनाकर प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि से 7 करोड़ रुपए ले लिए गए। इन गांवों में एक भी मुस्लिम नहीं हैं। जिन खातों में ये ट्रांसफर किए गए, वे पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के नाम पर बनाए गए हैं। पाली में ऐसे लगभग 29 हजार फर्जी खाते मिले हैं। जांच में पाली जिले के देसूरी में 20 हजार, रानी में 9,004 और मारवाड़ जंक्शन में 62 फर्जी खाते मिले। इस मामले में अब मुकदमा दर्ज किया गया है। हैरानी की बात है कि ये फर्जीवाड़ा साल 2020 में हुआ, लेकिन अधिकारियों ने यह बात सामने नहीं आने दी। इस मामले में अधिकारियों ने एफआईआर भी नहीं दर्ज करवाई थी।
साल 2019 से अगस्त 2020 के बीच फर्जी किसानों के नाम से सीएससी और ईमित्र के माध्यम से पीएम सम्मान निधि के लिए आवेदन किया गया। आवेदन का सत्यापन पटवारी ने किया और उसे तहसीलदार को भेज दिया। तहसीलदार ने भी जांच करके आवेदन पत्रों को कलेक्टर भेज दिया। इस तरह यह फर्जी सूची केंद्र सरकार के पास पहुंच गई। इसके बाद केंद्र सरकार ने इन खातों में किसान निधि के पैसे भेजने शुरू कर दिए।
साल 2020 में अधिकारियों ने पाया कि देसूरी में पीएम किसान सम्मान निधि के लिए मुस्लिमों ने भारी संख्या में आवेदन किए। इसके कारण लंबित आवेदनों की संख्या में भारी वृद्धि हो गई। उस साल 5 नवंबर को 265 लंबित आवेदनों की संख्या 21 दिसंबर तक अचानक 19,331 तक पहुंच गई। बाद में पता चला कि ये खाते फर्जी हैं। ये खाते पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के नाम पर बनाए गए। इनमें से 95 प्रतिशत खाते मुस्लिमों के नाम से थे। जबकि देसूरी गांव में एक भी मुस्लिम नहीं रहता है। इस तरह राजस्थान के बाहर के 4,793 बैंक अकाउंट में किसान सम्मान निधि के 1 करोड़ 51 लाख 24 हजार रुपए ट्रांसफर भी हो गए।
यही हाल रानी ब्लॉक के वरकाणा गांव का भी हुआ। इस गांव में भी एक भी मुस्लिम नहीं रहता हैं। यहां मुस्लिमों के नाम से 9,004 फर्जी खाते खोल लिए गए। इन सबका पंजीकरण एक ही दिन किया गया था। आश्चर्य की बात ये है कि ये सभी खाते रानी स्थित बैंक की एक शाखा में खोले गए। मुस्लिमों के नाम पर बने इन खातों में किसान सम्मान निधि की 3 किस्त भी जा चुकी थी। ये सभी खाते भी पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों के नाम पर खुले हैं। इनमें से अधिकांश मुस्लिम हैं। इन सभी का पंजीकरण एक ही समय पर किया गया था और इन सभी आवेदनों को सरकारी पोर्टल पर अलग-अलग तारीख को एक ही समय में स्वीकृत भी किया गया था। वहीं, राज्य के मारवाड़ जंक्शन में फिलहाल 62 फर्जी खाते मिले हैं।
अधिकारियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश और बिहार में कई ऐसे गिरोह सक्रिय हैं, जो फर्जी आईडी बनाकर किसान सम्मान निधि के पैसे ले रहे हैं। बिना किसी ओटीपी के पोर्टल पर इन फर्जी आवेदनों को स्वीकृत कर लिया गया, जबकि उस गांव के जो असली किसान हैं उनके आवेदन को खारिज कर दिया गया। इस तरह कुल 32 हजार फर्जी आवेदन दिए गए थे। जिला प्रशासन के निर्देश पर भौतिक सत्यापन में पाली के देसूरी में 20 हजार, रानी में 9,004 और मारवाड़ जंक्शन में 62 फर्जी खाते मिले हैं। जहां देसूरी में 1.51 करोड़ और रानी में 5.40 करोड़ रुपए ट्रांसफर हुए हैं। पाली जिला कलेक्टर एलएल मंत्री के अनुसार पाली में मारवाड़ जंक्शन, देसूरी और रानी तहसीलदार ने घटना को लेकर संबंधित थानों में मामले दर्ज करवाए हैं। पूरे मामले की जांच एडीएम सीलिंग अश्विन के पवार को सौंपी गई है। दरअसल प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत केंद्र सरकार पात्र किसानों के खातों में हर साल 6 हजार रुपए जमा कराती है। यह राशि तीन किस्तों में किसानों के बैंक खातों में सीधे ट्रांसफर की जाती है
फ्रॉड के सभी मामले एक जैसे हैं, जिसमें भौतिक सत्यापन के जरिए यह सामने आया कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के लिए जिन लोगों ने आवेदन किया, वे इन तहसीलों के रहने वाले है ही नहीं। यहां तक कि ये इनकम टैक्स देने वाले लोग हैं और कई ऐसे लोग हैं, जिनकी मौत हो चुकी है या फिर राजस्व रिकॉर्ड में उनके नाम ही नहीं हैं। बड़ा सवाल है कि इन फर्जी खातों से ग़बन किए गए पैसों की रिकवरी कैसे हो पाएगी।
राजस्थान में सामने आया मामला किसी बड़े गिरोह का काम लगता है, क्योंकि ऐसा ही मामला मार्च 2024 में छत्तीसगढ़ में भी सामने आया था। बेमेतरा जिले के एक गांव में 856 फर्जी किसानों के खातों में किसान सम्मान निधि का पैसा डालने का आरोप लगा था। इनमें से 198 किसानों के खातों तो पश्चिम बंगाल में थे। मामला सामने आने के बाद जिले के कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए थे। जिले के बेरला ब्लॉक के बरगांव में 656 मुस्लिमों के नाम पर खुले खातों में इस योजना के पैसे जा रहे थे। जांच में पता चला कि इस गांव में सिर्फ 19 मुस्लिम किसान ही हैं। ये सभी गांव में रहते भी नहीं थे। इस पूरे मामले में लगभग 3 करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया था।