रामनवमी पर रामसेतु के पास समर्पित पंबन सेतु

प्रधानमंत्री ने देश के पहले वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज पंबन का उद्घाटन किया

रामनवमी पर रामसेतु के पास समर्पित पंबन सेतु

भारतीय इंजीनियरिंग का शानदार नमूना बना पंबन सेतु

पंबन सेतु भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज बना

रामेश्वरम, 06 अप्रैल (एजेंसियां)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चैत्र रामनवमी के अवसर पर रविवार 6 अप्रैल 2025 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में पंबन सेतु राष्ट्र को समर्पित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने रामेश्वरम में भारत के पहले वर्टिकल लिफ्ट समुद्री ब्रिज पंबन का उद्घाटन किया। उन्होंने रामेश्वरम से तांब्रम (चेन्नई) के बीच एक नई ट्रेन सेवा को भी हरी झंडी दिखाई। साथ ही उन्होंने एक तटरक्षक जहाज को भी रवाना किया। उन्होंने राज्य में कई अन्य विकास परियोजनाओं की शुरुआत भी की। समुद्र के ऊपर बना यह रेलवे ब्रिज अतीत और भविष्य को जोड़ता है। पंबन ब्रिज अपने किस्म का भारत का पहला पुल है, जिसे इंजीनियरिंग का शानदार नमूना माना जा रहा है। पंबन ब्रिज रामेश्वर के पंबन द्वीप को भारत की मुख्य भूमि तमिलनाडु के मंडपम से जोड़ता है। यह भारत का पहला वर्टिकल लिफ्ट सी ब्रिज हैजिसकी ऊंचाई 3 मीटर है। समुद्र तल से इसकी नेविगेशनल एयर क्लीयरेंस 22 मीटर है। ब्रिज की लंबाई 2.08 किलोमीटर (यानी 2,070 मीटर या 6790 फीट) है। इसे सरकारी कंपनी रेल विकास निगम लिमिटेड ने 535 करोड़ रुपए की लागत से बनाया है।

अंग्रेज जमाने के बने जिस पंबन ब्रिज से यात्रियों से भरी ट्रेन बह गई थीउस जगह पर मोदी सरकार ने शक्तिशाली नया पुल स्थापित कर दिया और उसे रामनवमी के दिन राष्ट्र को समर्पित कर दिया। पीएम मोदी ने साल 2019 में इसका शिलान्यास किया था। इसे डबल ट्रैक और हाई-स्पीड ट्रेनों के लिए डिजाइन किया गया है। इसे 2022 में बनना थालेकिन कोविड के कारण इसमें देर हो गई। रामायण में कहा गया है कि लंका में रावण का वध करने जाने के लिए भगवान राम ने रामेश्वरम के पास धनुषकोडी से ही सेतु का निर्माण किया था। आज उसी के पास पंबन सेतु बन कर खड़ा हो गया है।

पंबन ब्रिज में समुद्र के पार 100 स्पैन (यानी अलग-अलग हिस्से) हैं। इनमें से 99 स्पैन 18.30 मीटर का और एक प्रमुख लिफ्ट स्पैन 72.5 मीटर का है। समुद्री जहाज गुजरते समय यह स्पैन ऊपर उठ जाएगा। ऊपर उठने वाले लिफ्ट स्पैन 16 मीटर चौड़ा है और इसका कुल वजन 550 टन है। पंबन ब्रिज एक रेलवे ब्रिज हैजो बांद्रा-वर्ली सी लिंक के बाद देश का दूसरा सबसे लंबा रेलवे ब्रिज है। दक्षिण रेलवे ने कहा कि पुराने पुल की तुलना में इसकी ऊंचाई को भी काफी बढ़ाया गया है। इससे ज्यादा ऊंचाई वाले जहाज पुल के नीचे से गुजर पाएंगे। पुराना पुल 19 मीटर ऊंचाई तक खुलता थालेकिन नए पुल में 22 मीटर खुलता है। इसके अलावाइस पुल पर रेलवे का दोहरा ट्रैक बिछाया गया है। इसके साथ ही ट्रैक का इलेक्ट्रिफिकेशन भी किया गया है।

नए पंबन ब्रिज पर ट्रेन की गति 75 किलोमीटर प्रतिघंटा रहेगी। इससे पहले यह गति सीमा सिर्फ 10 किलोमीटर प्रति घंटा थी। लिफ्ट स्पैन वाले हिस्से पर ट्रेन की अधिकतम गति की सीमा 50 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई है। यह वर्टिकल लिफ्ट स्पैन देश का पहला और दुनिया में दूसरा है। इस स्टील ब्रिज का डिजाइन अंतर्राष्ट्रीय कंसल्टेंट टिपसा ने किया है। इसे यूरोपीय और भारतीय कोड के साथ डिजाइन किया गया है। टिकाऊ एवं मजबूती के लिए इसमें स्टेनलेस स्टील का प्रयोग किया गया है। इस पर जंग या समुद्र की नमकीन पानी से बचाने के लिए ब्रिज पर पॉलीसिलोक्सेन कोटिंग की गई है। इससे पहले वाले पुल में जंग लगने के कारण उसे साल 2022 में बंद कर दिया गया था। इससे रामेश्वरम और मंडपम के बीच रेल सम्पर्क खत्म हो गया था।

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रेलवे ब्रिज के समानांतर ही एक सड़क पुल भी है। इस सड़क पुल से मंडपम और रामेश्वरम का सम्पर्क बना रहा। पीएम मोदी द्वारा उद्घाटन करने से पहले दक्षिण रेलवे ने नए पंबन ब्रिज का कई चरणों में ट्रायल किया। सबसे पहले 12 जुलाई 2024 पर हल्के इंजन का ट्रायल रन किया गया। सुरक्षा की पुष्टि होने के बाद 4 अगस्त 2024 को इस पर टावर कार ट्रायल रन किया गया। इस ट्रायल में रामेश्वरम स्टेशन तक ओवरहेड इक्विपमेंट टावर कार चलाई गई थी। इस ब्रिज का अंतिम ट्रायल 31 जनवरी 2025 को हुआ। इस ट्रायल में रामेश्वरम एक्सप्रेस ट्रेन को ब्रिज पर दौड़ाया गया। यह ट्रायल पूरी तरह सफल रहा था। ट्रेन को मुख्य भूमि मंडपम से रामेश्वरम स्टेशन तक ले जाया गया था। इस दौरान इंडियन कोस्ट गार्ड की पेट्रोलिंग बोट के लिए लिफ्ट स्पैन को पहली बार ऊपर उठाया गया था।

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नए पंबन ब्रिज की खास बात यह है कि यह समुद्री हलचल या चक्रवात का भी ध्यान रखता है। अगर समुद्री हवा की गति 58 किलोमीटर प्रति घंटा या उससे ज्यादा हो जाती है तो यह वर्टिकल सिस्टम काम नहीं करेगा। यहां पर ऑटोमैटिक रेड सिग्नल हो जाएगा। यानी हवा की गति सामान्य होने तक पुल पर ट्रेन की आवाजाही बंद रहेगी। तूफानचक्रवात जैसी आपदा में सुरक्षा को ध्यान में रखकर यह सिस्टम तैयार किया गया है।

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नए पंबन ब्रिज का निर्माण रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) ने किया है। यह रेल मंत्रालय के अधीन एक नवरत्न कंपनी है। ब्रिज निर्माण के दौरान पर्यावरणीय प्रतिबंधसमुद्र की तेज लहरेंतेज हवाएं और खराब मौसम जैसी कई चुनौतियां आईं। यह इलाका चक्रवात और भूकंप के लिए संवेदनशील हैइसलिए इंजीनियरों ने बहुत सोच-समझकर मजबूत डिजाइन तैयार किया। अब यह नया ब्रिज अमेरिका के गोल्डन गेट ब्रिजलंदन का टावर ब्रिज और डेनमार्क-स्वीडन को जोड़ने वाला ओरेसुंड ब्रिज जैसे दुनिया के अन्य मशहूर ब्रिज की श्रेणी में गिना जा रहा है। ये सब ब्रिज अपने तकनीकी डिजाइन और इंजीनियरिंग के लिए जाने जाते हैं। अब नया पंबन ब्रिज भी इन प्रतिष्ठित ब्रिज की कतार में शामिल हो गया है। इसमें आधुनिक तकनीक के साथ भारत के समुद्री और भूकंपीय हालात से कामयाबी के साथ निपटने की सामर्थ्य है।

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