घुसपैठ का प्रमुख मार्ग बन गया कठुआ का बार्डर

घुसपैठ का प्रमुख मार्ग बन गया कठुआ का बार्डर

जम्मू24 मार्च (ब्यूरो)। यह पूरी तरह से सच है कि कठुआ हाल के वर्षों में पाकिस्तान समर्थित आतंकियों की घुसपैठ का एक प्रमुख मार्ग बन गया है। यही नहीं आतंकियों के ताजा हमलों का शिकार भी कठुआ जिले को ही होना पड़ रहा है जो अभी तक शांत माना जाता रहा है। इतना जरूर था कि पिछले एक साल में आतंकी गतिविधियां जम्मू क्षेत्र के छह नए जिलों तक फैल गई हैं।

दरअसल आतंकी हैंडलर पुराने आतंकवादी मार्गों को फिर सक्रिय कर रहे हैं। और इनमें बहुत से कठुआ जिले से सटे बार्डर पर भी हैं जो पंजाब से भी सटे हुए हैं। अधिकारियों के बकौलकभी डोडापुंछ और राजौरी में आतंकवाद चरम पर था और तब सांबा-कठुआ सेक्टर आतंकियों की घुसपैठ के लिए सबसे सुरक्षित रास्ता माना जाता था। अब पाकिस्तानी आतंकी संगठनों के हैंडलर इन पुराने मार्गों को फिर से सक्रिय करने की कोशिश कर रहे हैंताकि जम्मू के शांत इलाकों में आतंकवाद फैलाया जा सके। इस चुनौती से निपटने के लिए भारतीय सेना और पुलिस ने बड़े पैमाने पर आतंक विरोधी अभियान शुरू किए हैं। इसी संबंध में सेना की राइजिंग स्टार कोर ने जानकारी दी कि हीरानगर में 23 मार्च को शुरू किया गया आपरेशन विशेष खुफिया जानकारी के आधार पर चलाया जा रहा है।

कठुआ में सुरक्षा हालात पहले से ही गंभीर बने हुए हैं। हाल ही में बिलावर तहसील में 5 लोगों की रहस्यमयी मौत के कारण तनाव और विरोध प्रदर्शन देखने को मिले। 8 मार्च को ईशू नाले में तीन शव मिलेरू 15 वर्षीय वरुण सिंहउनके चाचा योगेश सिंह (32) और मामा दर्शन सिंह (40) की लाशें बरामद हुईं। ये तीनों 5 मार्च से लापता थेजब वे एक शादी समारोह में गए थे। ठीक इसी प्रकार 16 फरवरी को कोहाग गांव में भी दो शव मिले थे। शमशेर (37) और रोशन (45) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। इन मौतों को लेकर स्थानीय लोग सड़कों पर उतर आए और सुरक्षा बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।

अब जबकि कल रात को सुरक्षा बलों ने हीरानगर में घुसे आतंकियों को घेर लिया था और आपरेशन तब तक जारी रखनले की बात की जा रही है जब तक सभी आतंकियों को ढेर नहीं कर दिया जाता। इस बीचखुफिया एजेंसियां चेतावनी दे रही हैं कि कठुआ और सांबा के रास्ते से और घुसपैठ की कोशिशें हो सकती हैं। यह घटना जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के बढ़ते खतरे को दर्शाती है और यह साबित करती है कि पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठनों से निपटने के लिए सुरक्षा बलों को सतर्क और आक्रामक रणनीति अपनानी होगी। वर्ष 2024 में सिर्फ जम्मू संभाग में हुए आतंकी हमलों में 44 लोगों की मौत हुईजिनमें 18 सुरक्षा बलों के जवान शहीद हुएजबकि 13 आतंकियों को मार गिराया गया। डोडाकठुआ और रियासी में सबसे ज्यादा (9-9) हत्याएं दर्ज हुईंइसके बाद किश्तवाड़ (5)उधमपुर (4)जम्मू (3)राजौरी (3) और पुंछ (2) में आतंकी हमलों की घटनाएं हुईं। हालांकि2024 में राजौरी और पुंछ में आतंकी घटनाओं में कमी आईलेकिन रियासीडोडाकिश्तवाड़कठुआउधमपुर और जम्मू में आतंकवाद का नया खतरा बढ़ गया है।

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