दुष्कर्म मामले में रेवन्ना की याचिका पर सुनवाई करने पर जताई सहमति

कर्नाटक हाईकोर्ट ने साफ किया रुख

दुष्कर्म मामले में रेवन्ना की याचिका पर सुनवाई करने पर जताई सहमति

बेंगलुरु 07 अप्रैल (एजेंसी)। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने सोमवार को दुष्कर्म के एक मामले में निलंबित जनता दल (एस) (जेडीएस) सांसद प्रज्वल रेवन्ना की नई जमानत याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जताई जबकि उच्चतम न्यायालय ने पहले राहत के लिए उनकी याचिका खारिज कर दी थी।


सांसदों और विधायकों से जुड़े मामलों के लिए नामित विशेष अदालत के हिस्से के रूप में मामले की सुनवाई कर रहे न्यायमूर्ति प्रदीप सिंह येरुर ने कहा कि आगामी अदालती छुट्टियों के कारण याचिका पर अवकाश के बाद सुनवाई की जा सकती है।


राज्य की ओर से पेश हुए विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) ने जमानत याचिका का विरोध किया और जोर देकर कहा कि उच्चतम न्यायालय द्वारा याचिका खारिज किए जाने के बाद से परिस्थितियों में कोई महत्वपूर्ण बदलाव नहीं आया है।


उन्होंने कहा, ''सर्वोच्च न्यायालय ने पहले ही जमानत देने से इनकार कर दिया है। वह मुख्य आरोपी है और केवल सह-आरोपी व्यक्तियों के लिए सुनवाई रोकी गई है। इसके अलावा वह चार अतिरिक्त मामलों का सामना कर रहा है।''

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रेवन्ना के वकील ने तर्क दिया कि आरोपपत्र दाखिल करना और मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगाना कथित तौर पर अन्य आरोपियों की याचिकाओं के कारण परिस्थितियों में काफी बदलाव है। वकील ने तर्क दिया, ''साढ़े चार साल बाद बिना किसी उचित स्पष्टीकरण के शिकायत दर्ज की गई है। मेरे मुवक्किल को उसके नियंत्रण से परे देरी के कारण अनिश्चित काल तक हिरासत में रहने की उम्मीद नहीं की जा सकती।''

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न्यायमूर्ति येरुर ने आरोपों की गंभीरता और सर्वोच्च न्यायालय के पिछले फैसले को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ''भले ही दूसरों के खिलाफ रोक हो और आपके खिलाफ ठोस परिस्थितियां हों, जब तक कि आप कुछ असाधारण नहीं दिखाते... मैं आपकी बात सुनूंगा, कोई कठिनाई नहीं है।''

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न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि एक विशेष अदालत के रूप में मामले को किसी अन्य पीठ को हस्तांतरित नहीं किया जा सकता है, जिससे समय-निर्धारण में बाधाएं बढ़ जाती हैं। उन्होंने कहा, ''अगर मैं कोई तारीख देता हूं तो कोई अन्य अदालत इस पर सुनवाई नहीं कर सकती क्योंकि यह एक विशेष अदालत है।''
इस मामले को अब औपचारिक रूप से 15 अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

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