किराए के खातों में पहुंच रही थी साइबर ठगी की रकम
यूपी से लेकर बंगाल तक फैले नेटवर्क का पर्दाफाश
बरेली, 08 अप्रैल (एजेंसियां)। बरेली में पुलिस ने साइबर ठगों के गिरोह का पर्दाफाश किया है। यह गिरोह साइबर ठगी की रकम ट्रांसफर कराने के लिए किराये पर बैंक खाते उपलब्ध कराता था। पुलिस ने सात जालसाजों को पकड़ा है। पूछताछ में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं।
बरेली के इज्जतनगर थाना पुलिस ने साइबर ठगी की रकम ट्रांसफर करने के लिए खाते उपलब्ध कराने वाले गिरोह का खुलासा किया है। सात जालसाजों को गिरफ्तार करके उनके पास से काफी सामान बरामद किया है। पूछताछ के बाद उन्हें जेल भेज दिया। इज्जतनगर थाना प्रभारी विजेंद्र सिंह ने बताया कि हाफिजगंज थाना क्षेत्र के गांव परेवा निवासी वीरेंद्र लखनऊ के बुद्ध विहार में रहकर गिरोह चला रहा था। पुलिस ने वीरेंद्र को गिरफ्तार करने के साथ ही उसके साथी थाना नवाबगंज के आदर्श कालोनी भट्ठा मोहल्ला निवासी दीपक कुमार व रोहित कुमार, गांव मुल्लापुर निवासी रिजवान, इज्जतनगर के धौरेरा माफी निवासी अनुज कुमार, पीलीभीत के थाना जहानाबाद के गांव बसंतपुर निवासी जीशान, ललौरीखेड़ा निवासी विजयपाल को भी पकड़ लिया।
इंस्पेक्टर ने बताया कि जालसाजों से नौ मोबाइल फोन, दो सिमकार्ड, सात डेबिट कार्ड, सात आधार कार्ड, सात फर्जी आधार कार्ड, एक चेकबुक और सात पर्चियां बरामद की गई हैं। जालसाज अपने सरगना वीरेंद्र से कमीशन की रकम लेने के लिए इकट्ठा हुए थे, तभी पुलिस ने उन्हें दबोच लिया। इज्जतनगर थाने में गिरोह के खिलाफ आईटी एक्ट, कूटरचना और धोखाधड़ी के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। गिरफ्तार साइबर ठग ग्रामीण क्षेत्रों के हैं। इंस्पेक्टर नीरज सिंह की पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वह ग्रामीणों को लालच देकर उनके नाम से अलग-अलग बैंकों में खाते खुलवाते थे। फिर ग्रामीणों से खाते का डेबिट कार्ड, पासबुक और खाते से लिंक सिम कार्ड ले लेते थे। यह सभी चीजें गिरोह के सदस्य अपने सरगना वीरेंद्र को देते थे।
वीरेंद्र लखनऊ में बैठकर इन्हें कोरियर से कोलकाता में बैठे साइबर ठगों को देता था। वहीं से साइबर ठग इन खातों जरिये ठगी करते व इनमें रकम ट्रांसफर करवाते थे। रकम आने पर ठग रकम निकाल लेते थे और वीरेंद्र को 20 फीसदी कमीशन देते थे। वीरेंद्र इस कमीशन में से दस फीसदी हिस्सा खाते खुलवाने वाले अपने गुर्गों को देता था। गुर्गे मामूली रकम खाताधारक तक पहुंचाते थे।
जब ठग किसी को झांसे में लेकर खाते में रुपए ट्रांसफर कराते हैं तो पीड़ित ऑनलाइन साइबर क्राइम पोर्टल या पुलिस से शिकायत करते हैं। शिकायत के बाद सबसे पहले खाते को ट्रेस किया जाता है। पकड़े जाने के डर से साइबर ठग कमीशन पर या किराये पर खाते लेते हैं। इन खातों का संचालन अपने हाथ में लेकर उनमें ठगी की रकम डलवाते और निकालते हैं। जब पुलिस खातों की जांच करती है तो फंसता वह है जिसका वास्तव में खाता होता है। पिछले दिनों साइबर ठगी के एक मामले में छत्तीसगढ़ पुलिस ने इज्जतनगर क्षेत्र में दबिश दी थी।
पुलिस ने महलऊ निवासी साकिब, रहपुरा चौधरी निवासी रिजवान अहमद और सीबीगंज के भिंडौलिया निवासी रिफाकत को गिरफ्तार किया था। तीनों पर डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने का आरोप था। माना जा रहा है कि तभी से इज्जतनगर पुलिस इस गिरोह के अन्य सदस्यों की तलाश में थी, जिसमें सफलता मिल गई। एसपी सिटी मानुष पारीक ने बताया कि सभी सात आरोपी जेल भेज दिए गए हैं। पुलिस गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी जुटा रही है। साक्ष्य मिले तो ठग मंडली पर और बड़ी कार्रवाई भी की जा सकती है।