विजयेंद्र ने मुस्लिम कोटा विवाद पर सीएम की आलोचना की
-पीएम मोदी की टिप्पणी का बचाव किया
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण के विवादास्पद मुद्दे पर वाकयुद्ध को तेज करते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बी वाई विजयेंद्र ने बुधवार को मुख्यमंत्री सिद्धरामैया पर पलटवार करते हुए दावा किया कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है|
प्रधानमंत्री की हालिया टिप्पणियों पर मुख्यमंत्री की आपत्ति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए विजयेंद्र ने कहा मुख्यमंत्री सिद्धरामैया, प्रधानमंत्री ने केवल यह दोहराया है कि डॉ. बी आर अंबेडकर द्वारा तैयार संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है| विजयेंद्र ने तीखा प्रहार करते हुए कहा कर्नाटक के लोगों के कल्याण के लिए काम करने के बजाय, आपकी प्राथमिकता जाति और धर्म के आधार पर विभाजनकारी राजनीति करके अपनी स्थिति को बनाए रखना है| जनता के विरोध की चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा यदि आप इस विभाजनकारी एजेंडे को नहीं छोड़ते हैं, तो बहुत जल्द ही इस राज्य के लोग विरोध में उठ खड़े होंगे और आपको उचित सबक सिखाएंगे| उन्होंने कर्नाटक सरकार पर मुस्लिम समुदाय के वास्तविक विकास के लिए नहीं बल्कि अपने वोट बैंक को खुश करने के लिए नीतियां बनाने का आरोप लगाया| उन्होंने कहा प्रधानमंत्री ने आपकी योजनाओं की सही आलोचना की है, जो चुनावी लाभ के लिए एक धार्मिक समूह को लाभ पहुंचाने के लिए बनाई गई हैं|
उन्होंने आरोप लगाया आप ही समुदायों के बीच विभाजन और नफरत को बढ़ावा दे रहे हैं| जैसा कि प्रधानमंत्री ने कहा, आप राष्ट्रकवि कुवेम्पु द्वारा देखे गए सद्भाव के बगीचे में आग लगा रहे हैं| संवैधानिक पहलू पर प्रकाश डालते हुए, विजयेंद्र ने कानून की सीएम की व्याख्या पर सवाल उठाया| उन्होंने कहा हमें उम्मीद थी कि आप जैसे वकील संविधान को समझेंगे| लेकिन आपके हालिया बयानों से कुछ और ही पता चलता है| क्या आपने अनुच्छेद १५(१) नहीं पढ़ा है, जो स्पष्ट रूप से धर्म के आधार पर किसी भी तरह के आरक्षण या भेदभाव को प्रतिबंधित करता है? आप तर्क देते हैं कि डॉ. अंबेडकर ने कभी भी धर्म-आधारित आरक्षण का स्पष्ट रूप से विरोध नहीं किया, लेकिन क्या आपने इस बात पर ध्यान दिया है कि अनुच्छेद १५(१) वास्तव में क्या कहता है?
तुलना करते हुए विजयेंद्र ने बताया कि आंध्र प्रदेश में पूर्व सीएम चंद्रबाबू नायडू की सरकार ने मुस्लिम समुदाय के केवल सबसे पिछड़े वर्गों को आरक्षण दिया था - पूरे समुदाय को नहीं - और उसे भी उच्च न्यायालय ने खारिज कर दिया था| उन्होंने कहा कि मामला अभी भी सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है| उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि हिंदुओं को हमेशा जाति-संबंधी सामाजिक और शैक्षणिक पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण दिया जाता रहा है, धर्म के आधार पर नहीं| यही मानक मुसलमानों के मामले में लागू क्यों नहीं होता? यही असली सवाल है| विजयेंद्र ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री मोदी पिछड़े मुस्लिम समूहों की सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक स्थितियों से गहराई से वाकिफ हैं| उन्होंने कहा यही सरकार थी जिसने तीन तलाक को खत्म किया, वक्फ अधिनियम में संशोधन किया और पिछड़े मुसलमानों और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से सुधार लाए - वोट के लिए नहीं, बल्कि सशक्तिकरण के लिए|
कर्नाटक सरकार की जाति जनगणना की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा आप विभाजन को बढ़ावा दे रहे हैं, प्रधानमंत्री नहीं| विजयेंद्र ने यह याद दिलाते हुए समापन किया कि यह भाजपा सरकार ही थी जिसने अनुसूचित जातियों के लिए आरक्षण को १५ प्रतिशत से बढ़ाकर १७ प्रतिशत और अनुसूचित जनजातियों के लिए ३ प्रतिशत से बढ़ाकर ७ प्रतिशत किया, जिससे संवैधानिक सीमाओं के भीतर सामाजिक न्याय के प्रति उसकी प्रतिबद्धता प्रदर्शित हुई|