राज्यपाल द्वारा मुस्लिम कोटा विधेयक राष्ट्रपति को भेजे जाने के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाने के दिए संकेत

राज्यपाल द्वारा मुस्लिम कोटा विधेयक राष्ट्रपति को भेजे जाने के बाद सरकार ने सुप्रीम कोर्ट जाने के दिए संकेत

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| कर्नाटक में कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का संकेत दिया, जब राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने मुस्लिम कोटा विधेयक को राष्ट्रपति के पास भेजकर उनकी मंजूरी मांगी|

राज्यपाल ने कर्नाटक सार्वजनिक खरीद में पारदर्शिता (संशोधन) विधेयक, २०२५ को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए सुरक्षित रख लिया है, जिसमें सरकारी नागरिक अनुबंधों में मुसलमानों के लिए ४ प्रतिशत आरक्षण का प्रस्ताव है| उन्होंने संभावित संवैधानिक बाधाओं का हवाला देते हुए इसे राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए सुरक्षित रख लिया है| इस घटनाक्रम पर टिप्पणी करते हुए, मुख्यमंत्री सिद्धरामैया के कानूनी सलाहकार और विधायक ए एस पोन्नन्ना ने कहा यह एक विधेयक के संबंध में नहीं है, कर्नाटक के राज्यपाल तमिलनाडु के राज्यपाल और केरल और पश्चिम बंगाल के राज्यपालों की तरह ही काम कर रहे हैं| पोन्नन्ना ने आगे कहा जहां भी गैर-भाजपा सरकार है, वहां भाजपा राज्यपाल के कार्यालय के माध्यम से काम कर रही है|

यह बहुत खराब मिसाल है और तमिलनाडु राज्य के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी हमारे राज्यपाल का इस तरह का व्यवहार अस्वीकार्य है| पोन्नन्ना ने कहा हमें सुप्रीम कोर्ट जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है| चिकित्सा शिक्षा मंत्री शरण प्रकाश पाटिल ने कहा सुप्रीम कोर्ट ने समय सीमा तय की है| यहां तक कि भारत के राष्ट्रपति को भी तीन महीने में फैसला करना चाहिए| हम इंतजार करेंगे और देखेंगे|

कांग्रेस विधायक रिजवान अरशद ने कहा यह एक राजनीतिक साजिश है| राज्यपाल भाजपा के एजेंट की तरह काम करते हैं| संविधान के तहत पिछड़े वर्गों को दिया जाने वाला ४ प्रतिशत आरक्षण धर्म के आधार पर नहीं दिया जाता है| पिछड़ा वर्ग आयोग ने श्रेणी २ए बनाई है और मुसलमानों को इस श्रेणी में शामिल किया है| इससे पहले राज्यपाल ने राज्य सरकार को लिखा था कि भारत का संविधान धर्म के आधार पर आरक्षण की अनुमति नहीं देता है, क्योंकि यह अनुच्छेद १४ के तहत समानता, अनुच्छेद १५ के तहत गैर-भेदभाव और अनुच्छेद १६ के तहत सार्वजनिक रोजगार में समान अवसर के सिद्धांतों का उल्लंघन करता है| राज्यपाल ने अपने पत्र में यह भी कहा है कि इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का भी यही रुख है|

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