येदियुरप्पा ने पॉक्सो मामले में यात्रा प्रतिबंध से राहत मांगी
-न्यायिक फटकार का सामना करना पड़ा
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदियुरप्पा ने पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) मामले में उन पर लगाए गए यात्रा प्रतिबंधों में ढील देने की मांग करते हुए कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है|
न्यायमूर्ति प्रदीप सिंह येरुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा वरिष्ठ नेता के प्रति अत्यंत सम्मान के साथ, ऐसे निंदनीय कृत्यों में शामिल होने पर परिणामों के प्रति सचेत रहना चाहिए| न्यायालय ने मामले की सुनवाई गर्मी की छुट्टियों के बाद करने पर सहमति जताई और अभियोजकों को आपत्तियां दर्ज करने का निर्देश दिया| येदियुरप्पा के वकील सी वी नागेश ने तर्क दिया कि उनके मुवक्किल, जो एक राष्ट्रीय स्तर के राजनीतिक व्यक्ति हैं, को काम के लिए अप्रतिबंधित यात्रा की आवश्यकता है और वे बार-बार अदालतों का दरवाजा नहीं खटखटा सकते| हालांकि, पीठ ने अपना रुख दोहराते हुए कहा कि कम से कम एक और महीने तक, वे कहीं नहीं जा रहे हैं|
विशेष लोक अभियोजक रविवर्मा कुमार और अशोक नायक ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि वे औपचारिक आपत्तियां दर्ज करेंगे| मामले में येदियुरप्पा की अग्रिम जमानत के लिए यात्रा प्रतिबंध एक शर्त के रूप में लगाया गया था| हाई कोर्ट ने पहले फास्ट ट्रैक कोर्ट के समन पर रोक लगा दी थी, जिसमें येदियुरप्पा की उपस्थिति की आवश्यकता थी, और गहन जांच की आवश्यकता को देखते हुए| हालांकि, ७ फरवरी को, इसने अग्रिम जमानत देते हुए उनके खिलाफ आरोपों को खारिज करने से इनकार कर दिया| सीआईडी की जून २०२४ की चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि २ फरवरी, २०२४ को, येदियुरप्पा ने अपने घर पर एक नाबालिग लड़की का यौन उत्पीड़न किया, जब उसकी माँ ने पिछले हमले के बारे में उनसे मदद मांगी थी| उन पर पॉक्सो और आईपीसी की धारा ३५४ए (यौन उत्पीड़न), २०४ (साक्ष्यों से छेड़छाड़) और २१४ (अपराध छिपाने के लिए रिश्वत) के तहत आरोप हैं| येदियुरप्पा ने आरोपों से इनकार करते हुए उन्हें राजनीति से प्रेरित बताया| अगली सुनवाई अभियोजन पक्ष की प्रतिक्रिया का इंतजार कर रही है|