10 अफ्रीकी देशों के साथ होगा विशाल युद्धाभ्यास
मोदी के महासागर-विजन के तहत नौसेना की बड़ी पहल
देश की सुरक्षा में पूरे देश का योगदान जरूरी : सीडीएस
नई दिल्ली, 25 मार्च (एजेंसियां)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महासागर विजन के तहत बड़ी पहल करते हुए भारतीय नौसेना 10 अफ्रीकी देशों के साथ साझा नौसैनिक युद्धाभ्यास करने जा रही है। भारतीय नौसेना अप्रैल महीने में तंजानिया में 10 अफ्रीकी देशों के साथ विशाल समुद्री युद्धाभ्यास करेगी। इस अभ्यास का उद्देश्य आपसी रक्षा सहयोग बढ़ाना है। इसमें समुद्री डकैती रोधी अभ्यास, खोज-बचाव और हेलीकॉप्टर संचालन पर फोकस होगा।
नौसेना के उपप्रमुख वाइस एडमिरल तरुण सोबती ने बताया कि भारतीय नौसेना और तंजानिया पीपुल्स डिफेंस फोर्स संयुक्त रूप से इस अभ्यास को आयोजित करेंगे, जिसका नाम अफ्रीका-इंडिया मैरीटाइम एंगेजमेंट (एआईकेईवाईएमई) है। यह अभ्यास तंजानिया के दार-एस-सलाम के तट पर होगा। इसका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे। अभ्यास छह दिनों तक चलेगा। इसमें कोमोरोस, जिबूती, इरिट्रिया, के
गौरतलब है कि यह कवायद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक दक्षिण के साथ जुड़ाव के विजन महासागर (म्यूचुअल एंड होलिस्टिक एडवांसमेंट फॉर सिक्योरिटी एंड ग्रोथ एक्रॉस रीजन) के अनुरूप है। पीएम ने हाल ही में मॉरिशस यात्रा के दौरान इस विजन की घोषणा की थी। वाइस एडमिरल सोबती ने कहा, बंदरगाह चरण में समुद्री डकैती और सूचना साझा करने पर टेबल-टॉप और कमांड-पोस्ट अभ्यास होंगे, साथ ही नाविक प्रशिक्षण भी होगा। समुद्री चरण में खोज और बचाव, जहाज पर सर्च और जब्ती, छोटे हथियारों से गोलीबारी और हेलीकॉप्टर संचालन शामिल होंगे।
दूसरी तरफ, भारतीय सेना के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने कहा कि आज की लड़ाई में जीत उन्हें मिलेगी जो बदलते हालात के अनुरूप खुद को ढालकर नए अवसरों का लाभ उठा सकें। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा, रक्षा सुधार और तकनीकी नवाचार के महत्व पर जोर दिया। जनरल चौहान ने यह बात सिकंदराबाद स्थित रक्षा प्रबंधन कॉलेज (सीडीएम) में उच्च रक्षा रक्षा प्रबंधन पाठ्यक्रम (एचडीएमसी-20) के अधिकारियों को संबोधित करते हुए कही।
जनरल चौहान ने 21वीं सदी में सुरक्षा से जुड़े जटिल मुद्दों पर बात की। उन्होंने तेजी से बदलती वैश्विक परिस्थितियों, गैर-पारंपरिक खतरों और तकनीकी प्रगति, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और अन्य सुरक्षा चुनौतियों के बीच दूरदर्शी नेतृत्व के महत्व पर प्रकाश डाला। जनरल चौहान ने कहा, आज के युद्धक्षेत्र में जीत सबसे फिट रहने वालों के लिए ही नहीं है, बल्कि उन लोगों के लिए है जो समय के अनुसार खुद को ढालते हैं और नए अवसरों का लाभ उठाते हैं। उन्होंने बताया कि अब युद्ध सिर्फ हथियारों से नहीं लड़े जाते, बल्कि इसमें नवाचार, तकनीकी ज्ञान और दूरदर्शी सोच भी जरूरी है। सीडीएस ने इस बात पर जोर दिया कि देश की सुरक्षा के लिए पूरे देश के योगदान के दृष्टिकोण की जरूरत है। उन्होंने भारत के सशस्त्र बलों की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कैसे वे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा नीति को मजबूत बनाने में योगदान दे रहे हैं।
रक्षा सुधार वर्ष में राष्ट्रीय सुरक्षा ढांचा और परिवर्तन प्रबंधन पर अपने व्याख्यान में जनरल चौहान ने बताया कि रक्षा मंत्रालय का सैन्य मामलों का विभाग (डीएमए) सशस्त्र बलों के एकीकरण और तालमेल को बढ़ावा देने की दिशा में काम कर रहा है। इसके साथ ही उन्होंने विजन-2047 के बारे में भी जानकारी दी, जो भविष्य की रक्षा और सैन्य नीतियों, सैन्य सिद्धांतों और समग्र रणनीति को तय करेगा। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत रक्षा उत्पादन और सैन्य क्षमता बढ़ाने की दिशा में उठाए जा रहे कदमों पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में नवाचार, प्रयोग और सहयोग को बढ़ावा देना जरूरी है, ताकि भारत बदलते रणनीतिक माहौल में हमेशा आगे बना रहे। अपने दौरे के दौरान सीडीएस ने संकाय सदस्यों और पाठ्यक्रम के प्रतिभागियों से बातचीत की। इन प्रतिभागियों में मित्र देशों के अधिकारी भी शामिल थे।
भारत के रिमोटली पायलेटेड एयरक्राफ्ट (आरपीए) के चीन द्वारा हैक किए जाने की मीडिया पर चलने वाली खबरों पर भारतीय सेना तीखी प्रतिक्रिया जाहिर की है। सेना ने मीडिया संस्थानों और सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं से बिना पुष्टि किए और भ्रामक जानकारी प्रसारित और प्रकाशित करने से बचने की अपील की है। हाल ही में मीडिया में दावा किया गया था कि भारतीय सेना का एक आरपीए चीनी क्षेत्र में भटक गया था और इसे चीनी हैकर्स ने हैक कर लिया था। इस पर सेना ने स्पष्ट किया कि यह दावा पूरी तरह आधारहीन है। सेना ने कहा, ऐसी कोई घटना ही नहीं हुई है। सेना ने यह भी कहा कि भारतीय सेना अपनी सभी संपत्तियों की सुरक्षा और परिचालन अखंडता को लेकर पूरी तरह प्रतिबद्ध है।