सुपर संसद न बने सुप्रीम कोर्ट : धनखड़

सुप्रीम कोर्ट के गैर-संवैधानिक आचरण पर उपराष्ट्रपति नाराज

 सुपर संसद न बने सुप्रीम कोर्ट : धनखड़

जज के घर कैश पर कोई कार्रवाई नहीं, राष्ट्रपति को देने चले आदेश

संसद से पारित हुए वक्फ कानून पर कर रहे गैर-संवैधानिक सुनवाई

नई दिल्ली, 17 अप्रैल (एजेंसियां)। देश को अराजकता की दिशा में धकेलने के एजेंडे में सुप्रीम कोर्ट भी शामिल हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई के बहाने गैर-संवैधानिक आचरण की शुरुआत की और राज्यपाल से लेकर राष्ट्रपति तक के आसन पर उंगली उठाने की अवमानना करने से परहेज नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट से सृजित अराजकता का नतीजा यह निकला कि तमिलनाडु सरकार ने राज्यपाल का अनुमोदन लिए बगैर ही 10 विधेयक अपनी मर्जी से पास कर दिए। सुप्रीम कोर्ट ने इसके बाद शीर्ष विधायी पीठ संसद से पारित वक्फ कानून को लेकर भी सुनवाई शुरू कर दी है।

यह कानून लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों से पारित है, इसके बावजूद सुप्रीम कोर्ट इसमें कूद पड़ी है। मंशा स्पष्ट है, देश में न्यायिक अराजकता पैदा करना और देश को अस्थिरता में झोंक देना। सुप्रीम कोर्ट के ऐसे गैर-संवैधानिक और अमर्यादित आचरण के खिलाफ देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कड़ी निंदा की है और सुप्रीम कोर्ट को हिदायत दी है कि वह सुपर संसद बनने की कोशिश न करे। उन्होंने कहा, दिल्ली हाईकोर्ट के जज के घर पर बड़ी तादाद में नकद रुपए पाए जाने के मामले में तो सुप्रीम कोर्ट ने कोई कार्रवाई नहीं की और राष्ट्रपति के आसन पर उंगली उठाने लगे! उपराष्ट्रपति ने कहा, सुप्रीम कोर्ट के इस आचरण से देश के लोगों के दिल पर गहरी चोट पहुंची है।

सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों द्वारा पारित किए गए अधिनियमों पर हस्ताक्षर को लेकर राज्यपालों और यहां तक कि देश के राष्ट्रपति तक के लिए भी समयसीमा तय कर दी। दूसरी तरफ वक्फ संशोधन कानून पर भी सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई शुरू कर दी। सुप्रीम कोर्ट के हर मामले की न्यायिक समीक्षा वाले खतरनाक गैर लोकतांत्रिक और गैर संवैधानिक चलन के बीच उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट को अपने अधिकारों की याद दिलाई है। उन्होंने न्यायपालिका की कमजोर होती साख को लेकर भी कड़ी टिप्पणी की है। जगदीप धनखड़ खुद कानूनविद हैं और लंबे समय तक अधिवक्ता रहे हैं।

उप-राष्ट्रपति ने 14-15 मार्च की रात को नई दिल्ली में एक जज के यहां आग लगने के बाद बड़ी मात्रा में कैश बरामद होने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि एक सप्ताह तक इसके बारे में किसी को कुछ पता ही नहीं चला। उन्होंने पूछा कि क्या इस देरी का कारण समझा जा सकता हैक्या ये माफी योग्य हैक्या इससे कुछ बुनियादी सवाल नहीं उठतेउन्होंने कहा कि किसी भी समय परिस्थिति में या फिर कानून के नियमों के हिसाब से स्थिति कुछ और होती। उन्होंने याद दिलाया कि 21 मार्च को अखबार के माध्यम से जनता को इस घटना का पता चला। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि जब इस घटना का पता चला तब लोग अनिश्चितता के भाव में थेइस खुलासे से चिंतित और परेशान थे। कुछ दिनों बाद हमें एक आधिकारिक स्रोत (सुप्रीम कोर्ट) की तरफ से इनपुट आया। उन्होंने कटाक्ष किया कि इस इनपुट से जज के दोषी होने का संकेत मिलालेकिन यह संदेह नहीं हुआ कि कुछ गड़बड़ है या फिर जांच की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अब लोग बेसब्री से इंतजार कर रहे हैंक्योंकि एक ऐसी संस्था कटघरे में है जिसे वो सर्वोच्च सम्मान व आदर के साथ देखते आ रहे हैं।

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जगदीप धनखड़ ने कहा कि अबतक एक महीने का समय हो चुका हैलेकिन कोई सूचना नहीं है। उन्होंने कहा कि भले ही ये कीड़ों से भरा डब्बा हो या फिर अलमारी में कंकाल भरे हुए होंइसे उड़ाने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि डब्बे का ढक्कन हटाने का समय आ गया हैअलमारी को ध्वस्त करने का समय आ गया है ताकि ये कीड़े और कंकाल कम से कम सार्वजनिक परिदृश्य में तो आएं और इनकी सफाई हो सके। जगदीप धनखड़ के इस बयान को न्यायपालिका की गिरती शुचिता को लेकर चिंता जताने का माध्यम बताया जा रहा है।

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उपराष्ट्रपति ने कहा, ऐसे न्यायिक आचरण से लोगों के दिल पर गहरी चोट लगी हैलोगों का विश्वास डगमगा गया है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक सर्वे की भी चर्चा कीजिसमें पता चला था कि न्यायपालिका में लोगों का विश्वास कम हो रहा है। धनखड़ ने कहा कि कार्यपालिकाविधायिका और न्यायपालिका पारदर्शी हों और कानून के सामने सबके बराबर होने के सिद्धांत का पालन करें। यह हमारे लोकतंत्र का आधार है।

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गुरुवार 17 अप्रैल को राज्यसभा इंटर्न्स के छठे बैच को संबोधित करते हुए सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि इस देश में किसी के खिलाफ एफआईआर हो सकती हैउनके खिलाफ भी। लेकिन कैश बरामदगी मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई है। जिस जज की बात जगदीप धनखड़ कर रहे थेवे यशवंत वर्मा हैं। कैश बरामदगी पर उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज किए जाने की मांग करने वाले जनहित याचिका को भी दिल्ली हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस घटना और राष्ट्रपति के लिए डेडलाइन तय करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट सुपर संसद बन जाएगा और विधायी जिम्मेदारियां भी निभाने लगेगाइसकी उन्होंने कल्पना नहीं की थी। लोकतंत्र में भी इसकी कल्पना नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि कानून बनाना संसद का अधिकार है और सरकार जनता के प्रति जिम्मेदार है।

जगदीप धनखड़ ने संविधान के अनुच्छेद 142 का जिक्र करते हुए कहा कि इसके तहत मिले कोर्ट को विशेष अधिकार लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ न्यूक्लियर मिसाइल की तरह इस्तेमाल हो रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती है। उपराष्ट्रपति ने कहा, अब जज विधायी चीजों पर फैसला करेंगे। वे ही कार्यकारी जिम्मेदारी निभाएंगे और सुपर संसद के रूप में काम करेंगे। उनकी कोई जवाबदेही भी नहीं होगी क्योंकि इस देश का कानून उन पर लागू ही नहीं होता। उन्होंने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि भारत में ऐसे लोकतंत्र की कल्पना नहीं की थीजहां न्यायाधीश कानून बनाएंगे और कार्यकारी जिम्मेदारी निभाएंगे और सुपर संसद के रूप में काम करेंगे। उपराष्ट्रपति ने कहा, सुप्रीम कोर्ट को सिर्फ संविधान के अनुच्छेद 145 (3) के तहत संविधान की व्याख्या का अधिकार है और वह भी पांच या उससे ज्यादा जजों की संविधान पीठ ही कर सकती है। जबकि राष्ट्रपति पर सुप्रीम कोर्ट के दो जजों ने खुदमुख्तार बन कर आदेश जारी कर दिया!

 

वक्फ कानून पर फिलहाल रोक नहीं5 मई को फिर होगी सुनवाई

नई दिल्ली, 17 अप्रैल (एजेंसियां)। वक्फ (संशोधन) कानून 2025 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने आज भी सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्नाजस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच ने अंतरिम आदेश पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए सात दिन का समय दिया।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरानकेंद्र सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिया कि अगली सुनवाई तक वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में गैर-मुस्लिम सदस्य नियुक्त नहीं किए जाएंगे। इसके साथ ही नोटिफिकेशन या रजिस्ट्रेशन के जरिए घोषित वक्फ सम्पत्तियांजिनमें वक्फ बाई यूजर भी शामिल हैंडी-नोटिफाई नहीं होंगीयानी मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के इस बयान को रिकॉर्ड पर लिया और अगली सुनवाई 5 मई 2025 को दोपहर 2 बजे तय कर दी।

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