महिला अफसर की हत्या के दोषी इंस्पेक्टर को राष्ट्रपति पदक
मुंबई, 06 अप्रैल (एजेंसियां)। नवी मुंबई में एक पुलिस इंस्पेक्टर को अपनी सहकर्मी महिला की हत्या के मामले में 9 साल बाद दोषी करार दिया गया। पुलिस अधिकारी अश्विनी बिदरे-गोर के लापता होने के नौ साल बाद पनवेल सेशन कोर्ट ने शनिवार को उनके सहकर्मी इंस्पेक्टर अभय कुरुंदकर को हत्या का दोषी ठहराया। शव को ठिकाने लगाने में कुरुंदकर की मदद करने वाले दो अन्य लोगों को भी सबूतों को गायब करने का दोषी ठहराया गया।
कुरुंदकर, जो सहायक पुलिस निरीक्षक बिदरे के साथ रिश्ते में था। उसने अप्रैल 2016 में विवाद के बाद उसकी हत्या कर दी, उसके शरीर को टुकड़ों में काट दिया, उसे एक ट्रंक और बोरी में भर दिया और वसई क्रीक में फेंक दिया। जिसके अवशेष कभी नहीं मिले। जज केजी पालदेवर 11 अप्रैल को बिदरे के पिता और बेटी से मुआवजे पर सुनवाई के बाद सजा सुनाएंगे। जज ने इस बात पर हैरानी जताई कि कुरुंदकर को 2017 में वीरता के लिए राष्ट्रपति पदक दिया गया था।
महिला पुलिसकर्मी अश्विनी बिदरे-गोर की हत्या के लिए तीन लोगों को दोषी ठहराते हुए जज केजी पालदेवर ने कहा कि यह हैरान करने वाला है कि अभय कुरुंदकर, जिसने अप्रैल 2016 में अश्विनी बिदरे-गोर का कथित रूप से अपहरण कर हत्या कर दी थी। उसको गणतंत्र दिवस पर वीरता के लिए राष्ट्रपति पदक दिया गया। इसलिए, यह सवाल उठता है कि पुलिस विभाग की समिति ने इस बात की जानकारी होने के बावजूद कि वह एक हत्या के मामले में आरोपी था, पुरस्कार के लिए उसके नाम की सिफारिश कैसे की। कोर्ट ने कहा कि ऐसी स्थिति में दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच जरूरी है। बिदरे के अलग हुए पति राजू गोरे ने बताया कि जब जज ने फैसला सुनाया तो कुरुंदकर को कोई पछतावा नहीं था। अन्य दोषी कुंदन भंडारी, कुरुंदकर के ड्राइवर और पुणे के बैंक कर्मचारी और कुरुंदकर के करीबी दोस्त महेश फलनीकर हैं। दोषी ठहराए जाने के बाद फलनीकर कोर्ट में बेहोश हो गया।
विशेष सरकारी वकील प्रदीप घरात ने कहा कि मैंने आईपीसी की धारा 218 (किसी व्यक्ति को सजा से बचाने के इरादे से गलत रिकॉर्ड तैयार करना) के तहत अतिरिक्त आरोप तय करने की मांग की थी, यह तर्क देकर कि कुरुंदकर ने ठाणे ग्रामीण अपराध विभाग में पुलिस गश्ती वाहन के समय की गलत प्रविष्टि करके एक फर्जी लॉग बुक तैयार की थी, जहां वह वरिष्ठ निरीक्षक थे, यह दावा करने के लिए कि कथित हत्या के समय वह गश्त ड्यूटी पर थे। उन्होंने कहा कि जांच अधिकारी एसीपी संगीता शिंदे अल्फांसो द्वारा गूगल मैप ट्रैकिंग का उपयोग करके एकत्रित किए गए तकनीकी साक्ष्य ने कुरुंदकर के खिलाफ परिस्थितिजन्य साक्ष्य साबित करने में मदद की, क्योंकि जिस दिन उसने कथित तौर पर एपीआई बिदरे की हत्या की और दो आरोपियों की मदद से उसके शरीर के अंगों को खाड़ी में फेंक दिया, उस दिन उसकी मौजूदगी वसई खाड़ी में पाई गई। साथ ही, चूंकि अदालत ने कथित तौर पर राजनीतिक दबाव में हत्या के मामले की जांच में देरी के लिए दोषी पुलिस अधिकारियों को फटकार लगाई है, इसलिए हम सुनिश्चित करेंगे कि उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाए।
जज पालदेवर ने कहा कि हत्या दुर्लभतम श्रेणी में आती है। कोर्ट ने कहा कि बिदरे के पिता और बेटी, जो कोर्ट में मौजूद नहीं थे, वास्तविक पीड़ित हैं, क्योंकि उन्होंने एक बेटी और मां को खो दिया है, और वे अपने मुआवजे पर फैसला करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि लापता होने के एक साल बाद हत्या का मामला दर्ज करने में देरी के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों के सुस्त रवैये के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ा है। अभय कुरुंदकर, भंडारी और फलनीकर का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता विशाल भानुशाली ने कहा कि बचाव पक्ष के वकील के रूप में मेरे पास कानूनी अधिकारों की रक्षा करने और यह सुनिश्चित करने की गंभीर जिम्मेदारी थी कि मुकदमा निष्पक्षता और उचित प्रक्रिया के उच्चतम मानकों के अनुरूप हो। यह एक गहन रूप से जांचा-परखा और भावनात्मक रूप से प्रभावित मामला था, जिसमें तमाम सबूत शामिल थे।