विधायिका कर रही गैर संवैधानिक कृत्य
वक्फ कानून को लेकर दूसरे दिन भी कश्मीर विधानसभा में हंगामा
जम्मू, 08 अप्रैल (ब्यूरो)। लगातार दूसरे दिन भी कश्मीर विधानसभा में मंगलवार को वक्फ बिल को लेकर नेशनल कॉन्फ्रेंस और कश्मीर आधारित विपक्षी दलों के बीच झड़प के साथ हंगामा हुआ। विधायिका खुलेआम गैर संवैधानिक कृत्य कर रही है। नेकां के विधायक वक्फ बिल पर उनके द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की मांग कर रहे थे, वहीं कश्मीर आधारित विपक्षी दल बिल के खिलाफ प्रस्ताव की मांग कर रहे थे।
आज सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेकां के विधायक खड़े हो गए और मांग की कि उनके द्वारा लाए गए स्थगन प्रस्ताव को अनुमति दी जाए। पीडीपी विधायक वहीद-उर रहमान पारा सदन के वेल में आ गए और मांग की कि उनके द्वारा लाए गए प्रस्ताव को पारित किया जाए। जब पारा प्रस्ताव पारित करने के लिए दबाव बना रहे थे, तो नेकां के अबुल मजीद लारमी ने उन पर आरएसएस एजेंट होने का आरोप लगाया, जिससे नेकां और कश्मीर स्थित विपक्षी विधायकों के बीच मौखिक द्वंद्व शुरू हो गया। जब पारा ने पोडियम की ओर बढ़ने की कोशिश की, तो स्पीकर ने मार्शलों को उन्हें बाहर निकालने का आदेश दिया।
जब उन्हें मार्शलों द्वारा बाहर निकाला जा रहा था, तो पीसी अध्यक्ष सज्जाद लोन ने उन्हें बचाने की कोशिश की, लेकिन उन्हें बाहर निकाल लिया गया। सदन में हंगामे के बीच नेकां विधायकों और सज्जाद लोन के बीच मौखिक द्वंद्व शुरू हो गया। लोन ने कहा कि आप नाटक कर रहे हैं। यह विडंबना है कि नेकां विधायक लोगों को बेवकूफ बनाने के लिए नेकां के स्पीकर के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। लगातार विरोध के बीच स्पीकर ने कहा कि जम्मू कश्मीर विधानसभा संसद द्वारा किए गए कार्यों को पूर्ववत नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि आप संसद द्वारा किए गए कार्यों को पूर्ववत नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि सदन पर चर्चा का कोई सवाल ही नहीं है।
इस बीच विपक्षी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस ने वक्फ (संशोधन) विधेयक-2025 पर चर्चा को खारिज करने के लिए स्पीकर अब्दुल रहीम राथर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है, जिसमें कहा गया है कि उनके फैसले से व्यापक आक्रोश पैदा हुआ है। पीसी अध्यक्ष सज्जाद गनी लोन और पीडीपी विधायक वहीद-उर-रहमान पारा, मीर मुहम्मद फैयाज और रफीक अहमद नाइक द्वारा प्रस्तुत नोटिस में विपक्ष ने स्पीकर को हटाने की मांग की है। याचिका में लिखा है कि यह निर्णय स्पीकर की कार्रवाइयों पर सदन के भीतर व्यापक आक्रोश से उपजा है, जिसमें स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा को खारिज करना और विपक्षी दलों द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव पर विचार करने से इनकार करना शामिल है। इसमें आगे लिखा है कि इस तरह का आचरण इस प्रतिष्ठित संस्थान को संचालित करने वाले लोकतांत्रिक सिद्धांतों और प्रक्रियाओं को कमजोर करता है, जिससे इस मामले को संबोधित करने के लिए यह प्रस्ताव लाया गया है।