आतंकी तहव्वुर राणा को भारत आना ही होगा

अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्यर्पण रोकने से इन्कार किया

आतंकी तहव्वुर राणा को भारत आना ही होगा

26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने पूरे मुंबई शहर को दहला दिया था। उस रात शुरू हुआ हमला चार दिन तक चला था। आतंकियों ने लियोपोल्ड कैफेछत्रपति शिवाजी टर्मिनसताज होटलओबेरॉय ट्राइडेंटकामा हॉस्पिटलनरीमन हाउसमेट्रो सिनेमा और सेंट जेवियर कॉलेज को निशाना बनाया था। हमले में 166 लोग मारे गए थेजिनमें कुछ विदेशी नागरिक भी थे। करीब 300 लोग घायल हुए। एनएसजीमरीन कमांडोमुंबई पुलिसआरएएफ, सीआरपीएफ और फायर ब्रिगेड ने मिलकर ऑपरेशन चलाया था। इस दौरान एक आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया थाजिसे 2012 में फांसी दी गई। तहव्वुर राणा इस हमले का बड़ा किरदार था।

 नई दिल्ली, 08 अप्रैल (एजेंसियां)। मुंबई के 26/11 हमले के आरोपी आतंकवादी तहव्वुर राणा की भारत आने से बचने की आखिरी कोशिश नाकाम हो गई। अमेरिका की सुप्रीम कोर्ट ने उसकी वह याचिका ठुकरा दीजिसमें उसने अपने प्रत्यर्पण पर रोक लगाने की गुहार लगाई थी। अब राणा को भारत लाने का रास्ता साफ हो गया है।

64 साल का तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक हैइस वक्त लॉस एंजिल्स के मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में बंद है। उसने अपने बचपन के दोस्त डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थीजिसने मुंबई में हमले की जगहों की रेकी की थी। भारत लंबे वक्त से उसे अपने यहां लाने की मांग कर रहा थाऔर अब ये मांग पूरी होने वाली है। राणा ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट में 27 फरवरी 2025 को इमरजेंसी एप्लीकेशन फॉर स्टे दाखिल की थी। ये याचिका जस्टिस एलेना कागन के पास भेजी गई थीजो सुप्रीम कोर्ट की एसोसिएट जस्टिस और नाइंथ सर्किट की जस्टिस हैं। उसने दावा किया था कि भारत आने पर उसकी जान को खतरा है और उसे टॉर्चर का शिकार होना पड़ सकता है। लेकिन पिछले महीने जस्टिस कागन ने उसकी अर्जी खारिज कर दी थी।

इसके बाद उसने फिर कोशिश कीपर इस बार भी सुप्रीम कोर्ट ने कोई राहत नहीं दी। राणा की दलील थी कि उसका पाकिस्तानी मूल और मुस्लिम होना उसे भारत में खतरे में डाल सकता है। मगर कोर्ट ने इसे नहीं माना और भारत प्रत्यर्पण को हरी झंडी दे दी। इससे पहलेफरवरी में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी राणा के प्रत्यर्पण का ऐलान किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वाशिंगटन में हुई एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने कहा थाराणा को भारत भेजा जाएगाजहां उसे इंसाफ मिलेगा। राणा का नाम डेविड हेडली के साथ जुड़ा हैजो 26/11 हमले का मुख्य साजिशकर्ता था। हेडली ने मुंबई में कई जगहों की रेकी की थीऔर राणा ने उसे फर्जी पहचान और पैसे देकर सपोर्ट किया था। अब राणा को भारत में कोर्ट के सामने पेश होना होगाजहां उस पर सख्त कार्रवाई तय मानी जा रही है।

26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकियों ने पूरे मुंबई शहर को दहला दिया था। उस रात शुरू हुआ हमला चार दिन तक चला था। आतंकियों ने लियोपोल्ड कैफेछत्रपति शिवाजी टर्मिनसताज होटलओबेरॉय ट्राइडेंटकामा हॉस्पिटलनरीमन हाउसमेट्रो सिनेमा और सेंट जेवियर कॉलेज को निशाना बनाया था। हमले में 166 लोग मारे गए थेजिनमें कुछ विदेशी नागरिक भी थे। करीब 300 लोग घायल हुए। एनएसजीमरीन कमांडोमुंबई पुलिसआरएएफ, सीआरपीएफ और फायर ब्रिगेड ने मिलकर ऑपरेशन चलाया था। इस दौरान एक आतंकी अजमल कसाब जिंदा पकड़ा गया थाजिसे 2012 में फांसी दी गई।

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तहव्वुर राणा इस हमले का बड़ा किरदार था। वो पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है और शिकागो में फर्स्ट वर्ल्ड इमिग्रेशन सर्विसेज नाम की फर्म चलाता था। इस फर्म की एक ब्रांच मुंबई में भी थीजिसके जरिए उसका दोस्त हेडली भारत आया और हमले की जगहों की रेकी की। राणा और हेडली बचपन के दोस्त थे। दोनों ने पाकिस्तान के हसन अब्दाल कैडेट स्कूल में पढ़ाई की थी। हेडली बाद में अमेरिका चला गयाजहां उसकी मां अमेरिकी और पिता पाकिस्तानी थे। राणा ने पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर की नौकरी कीफिर कनाडा जाकर वहां की नागरिकता ले ली।

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भारत की जांच एजेंसी एनआईए ने 405 पन्नों की चार्जशीट में राणा को मुख्य आरोपियों में शामिल किया था। चार्जशीट कहती है कि राणा ने लश्कर-ए-तैयबा और आईएसआई के साथ मिलकर हमले की साजिश रची। उसने हेडली को फर्जी कागजात और पैसा दियाताकि वो मुंबई में टारगेट ढूंढ़ सके। राणा को पता था कि हेडली किससे मिल रहा है और क्या प्लान कर रहा है। उसने हमले की पूरी योजना में साथ दिया। अमेरिकी कोर्ट में राणा ने माना था कि उसे हेडली के लश्कर से रिश्तों की जानकारी थी। एफबीआई ने उसे 2009 में शिकागो से पकड़ा था। हेडली को भी अमेरिका में 2009 में गिरफ्तार किया गया था। 2013 में उसे 35 साल की सजा सुनाई गई। वो अमेरिकी नागरिक हैऔर भारत उसका भी प्रत्यर्पण चाहता है। हेडली ने मुंबई में कई जगहों की रेकी की थी-ताज होटल, छत्रपति शिवाजी टर्मिनल, नरीमन हाउस वगैरह। राणा ने अपनी फर्म के जरिए हेडली को कवर दिया। चार्जशीट में साफ है कि राणा ने आतंकियों को ठहरने की जगह और टारगेट चुनने में मदद की। वो हमले का ब्लूप्रिंट बनाने में शामिल था।

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