शहादत देने में सबसे आगे है जम्मू कश्मीर पुलिस
36 साल में 1709 अफसर और जवान की आहुति
सुरेश एस डुग्गर
जम्मू, 29 मार्च। देश में जब शहादत देने की बात आती है तो जम्मू कश्मीर पुलिस को भूला नहीं जा सकता। वर्ष 1989 से लेकर अभी तक प्रदेश में 1709 पुलिसकर्मी मारे भी जा चुके हैं। गैर सरकारी तौर पर मरने वाले पुलिसकर्मियों की संख्या 1850 से ज्यादा है।
आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि कश्मीर में आतंकी हिंसा में शहीद पुलिसकर्मियों में सबसे अधिक कांस्टेबल हैं, जिनकी संख्या 593 है। उसके बाद दूसरा स्थान एसपीओ अर्थात विशेष पुलिस अधिकारियों का आता है। आंकड़ों के मुताबिक, 566 एसपीओ इस अवधि में जान गंवा चुके हैं। कश्मीर में 37 साल से फैले आतंकवाद के दौर में जम्मू कश्मीर पुलिस एक डीआईजी, एक एसपी, 22 डीएसपी, 28 इंस्पेक्टर, 39 सब इंस्पेक्टर और 70 एएसआई रैंक के अधिकारियों को भी खो चुकी है। यही नहीं 153 हेड कांस्टेबल, 191 सीनियर ग्रेड कांस्टेबल तथा 26 फॉलोअर्स भी आतंकी हिंसा में शहादत पा चुके हैं।
जम्मू कश्मीर पुलिस की शहादत की शौर्यगाथाएं भी अपना एक मुकाम रखती हैं। तभी तो इन शहादतों के लिए वे कई बार कई पदकों से नवाजे जा चुके हैं। इन शहादतों के लिए उसे अभी तक एक अशोक चक्र, दो कीर्ति चक्र, 18 शौर्य चक्र, 1672 प्रेसिडेंट पुलिस गैलेंट्री अवार्ड तथा 1822 जम्मू कश्मीर पुलिस मेडल फॉर गैलेंट्री भी प्राप्त हुए हैं। कश्मीर में फैले आतंकवाद की तस्वीर का एक पहलू यह है कि जम्मू कश्मीर पुलिस कभी सिर्फ लाशें गिनने वाली फोर्स बन रह गई थी पर अब वह सबसे आगे रहकर आतंकवाद का खात्मा करने की ओर अग्रसर है। आतंकी हमलों, चेतावनियों और धमकियों के बावजूद कश्मीर में मारे जाने वाले हजारों आतंकियों में से आधे की मौत में जम्मू कश्मीर पुलिस की प्रमुख भूमिका रही है।