2014 के बाद 10 हजार भारतीय विदेशी जेलों से मुक्त हुए
अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में प्रभावशाली साबित हो रहा भारत
विदेश मंत्रालय ने सदन में पेश किए आधिकारिक आंकड़े
नई दिल्ली, 29 मार्च (एजेंसियां)। अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में भारत प्रभावशाली देश के रूप में स्थापित हुआ है। इसका नतीजा है कि वर्ष 2014 के बाद अब तक 10 हजार भारतीय नागरिक विदेशी जेलों से मुक्त कराए गए हैं। इस मामले में विदेश मंत्रालय ने सदन में आधिकारिक आंकड़े पेश किए हैं।
मोदी सरकार की तरफ से विभिन्न देशों की जेलों में बंद भारतीयों की रिहाई और क्षमा के लिए किए गए सक्रिय और निरंतर कूटनीतिक प्रयासों के कारण 2014 से अब तक विदेशों में कैद 10,000 से अधिक भारतीय स्वदेश लौट आए हैं। यूएई की तरफ से रमजान के इस्लामी पवित्र महीने में लगभग 500 भारतीय कैदियों को क्षमा किए जाने से भारत और खाड़ी देश के बीच मजबूत द्विपक्षीय संबंधों का पता चलता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व ने वर्ष 2014 से विदेश में भारतीय नागरिकों के कल्याण को प्राथमिकता दी। कूटनीतिक वार्ता और उच्च स्तरीय हस्तक्षेप के माध्यम से विदेशों में कैद लगभग 10,000 भारतीयों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित हुई है। कूटनीतिक प्रयासों के कारण भारतीय नागरिकों की रिहाई के प्रमुख उदाहरणों में 2022 से यूएई से 2,783 भारतीय कैदियों की रिहाई और सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की तरफ से 2019 में भारत की अपनी यात्रा के दौरान 850 भारतीय कैदियों की रिहाई का आदेश देना शामिल है।
कतर की तरफ से साल 2023 में मौत की सजा पाए भारतीय नौसेना के पूर्व अधिकारियों को रिहा करना सबसे अहम कूटनीतिक प्रयास था। उनमें से आठ को मृत्युदंड दिया गया था और भारत के कूटनीतिक हस्तक्षेप के कारण उनकी सजा कम कर दी गई और फिर उनमें से अधिकांश को रिहा कर दिया गया। एक अन्य इस्लामिक देश ईरान ने 2024 में 77 भारतीय नागरिकों को और 2023 में 12 मछुआरों सहित 43 को रिहा किया है, जबकि बहरीन सरकार ने 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा के दौरान 250 भारतीय कैदियों को माफ किया था।
कुवैत के अमीर ने 2017 में कूटनीतिक वार्ता के बाद 22 भारतीयों को रिहा किया और 97 अन्य की सजा कम की। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि भारत के नियमित हस्तक्षेप के कारण श्रीलंका द्वारा भारतीय मछुआरों को नियमित रूप से रिहा किया गया है और 2014 से 3,697 को रिहा किया गया है। उन्होंने कहा कि 2014 से, अथक कूटनीतिक प्रयासों से पाकिस्तान से 2,639 मछुआरों और 71 नागरिक कैदियों की रिहाई सुनिश्चित हुई है।
रूस की सेना में अब भी फंसे हैं 18 भारतीय
नई दिल्ली, 29 मार्च (एजेंसियां)। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने शुक्रवार को संसद में बताया कि रूसी सेना में अभी भी 18 भारतीय नागरिक हैं, जिनमें से 16 नागरिकों के लापता होने की रूसी पक्ष द्वारा जानकारी दी गई है। हालांकि, रूसी अधिकारियों से अपील की गई है कि वह नागरिकों की सुरक्षा और उनकी जल्द रिहाई सुनिश्चित की जाए। विदेश राज्य मंत्री ने कहा, रूसी सशस्त्र बलों में 127 भारतीय नागरिक थे, जिनमें से 97 की सेवाएं समाप्त कर दी गईं। इस मामले पर भारत और रूसी सरकारों के बीच उच्चतम स्तर पर निरंतर बातचीत की गई, जिसके परिणामस्वरूप यह संभव हो सका। रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की सेवा समाप्त होने के बाद, रूस में भारतीय मिशन ने उनकी भारत वापसी में सहायता की, जिसमें यात्रा दस्तावेजों की सुविधा और हवाई टिकटों की व्यवस्था करना शामिल है। फिलहाल, 18 भारतीय नागरिक रूसी सेना में हैं, जिनमें से 16 के लापता होने की रूसी पक्ष द्वारा जानकारी दी गई है।
सरकार ने संसद को बताया कि रूसी अधिकारियों से सेना में फंसे नागरिकों की सुरक्षा और उनकी जल्द रिहाई सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है। साथ ही लापता व्यक्तियों के बारे में भी जानकारी देने की अपील की गई है। रूसी पक्ष ने अगस्त 2024 में घोषणा की थी कि रक्षा मंत्रालय ने अप्रैल 2024 से अपने सशस्त्र बलों में भारतीय नागरिकों की भर्ती बंद कर दी है।