पांच दोषियों को मौत की सजा पर हाईकोर्ट की मुहर
हैदराबाद का सनसनीखेज दिलसुखनगर बम धमाका केस
हाईकोर्ट ने एनआईए कोर्ट के फैसले को उचित ठहराया
दो धमाकों में 18 लोग मारे गए थे, 131 घायल हुए थे
हैदराबाद, 08 अप्रैल (एजेंसियां)। हैदराबाद के दिलसुखनगर बम धमाका केस में तेलंगाना हाईकोर्ट ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के पांच आतंकवादियों की मौत की सजा बरकरार रखने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के सजा-ए-मौत के फैसले को कायम रखा। वर्ष 2013 में हैदराबाद के दिलसुखनगर हुए दो बम धमाकों में 18 लोग मारे गए थे और 131 लोग घायल हुए थे।
तेलंगाना हाईकोर्ट के न्यायाधीश के लक्ष्मण और जस्टिस पी श्रीसुधा की पीठ ने एनआईए अदालत के फैसले को बरकरार रखते हुए आईएम आतंकवादियों की ओर से दाखिल आपराधिक पुनरीक्षण अपील को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा, ट्रायल कोर्ट द्वारा लगाई गई सजा की पुष्टि की जाती है। एनआईए कोर्ट ने 13 दिसंबर 2016 को आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के सह-संस्थापक मोहम्मद अहमद सिदीबापा उर्फ यासीन भटकल, पाकिस्तानी नागरिक जिया-उर-रहमान उर्फ वकास, असदुल्ला अख्तर उर्फ हड्डी, तहसीन अख्तर उर्फ मोनू और एजाज शेख सहित पांच सदस्यों को बम कांड का दोषी ठहराया था। शहर के भीड़भाड़ वाले शॉपिंग क्षेत्र दिलसुखनगर में 21 फरवरी 2013 को दो घातक विस्फोट हुए थे।
तेलंगाना हाईकोर्ट ने इस मामले के आरोपियों को मौत की सजा देने के एनआईए कोर्ट के फैसले को सही ठहराया है। मंगलवार को हाईकोर्ट ने हैदराबाद ब्लास्ट मामले में अपना अंतिम फैसला सुनाया। हाईकोर्ट ने अख्तर, जिया-उर-रहमान, यासीन भटकल, तहसीन अख्तर और एजाज शेख को मौत की सजा सुनाई है। इन सभी पर बम धमाके करने का आरोप है। हाईकोर्ट ने कहा कि इन लोगों को इनके किए की सजा मिलनी चाहिए।
21 फरवरी 2013 को दिलसुखनगर बस स्टैंड के पास कुछ मिनटों के अंतराल में एक के बाद एक दो बम धमाके हुए थे। पहला बम धमाका बस स्टैंड के ठीक सामने हुआ था और दूसरा धमाका लगभग 150 मीटर की दूरी पर हुआ था। बम धमाका करने वाले हमलावरों ने बमों को टिफिन बॉक्स में छिपाकर रखा था। इन धमाकों में 18 लोगों की जान चली गई थी और 130 लोग घायल हो गए थे। एनआईए ने इस मामले की जांच की। जांच में पता चला कि इंडियन मुजाहिदीन नामक आतंकी संगठन का यासीन भटकल मुख्य आरोपी है। एनआईए ने यह भी बताया कि पांच और आतंकवादी भी इस हमले में शामिल थे। एनआईए ने उन सभी को कोर्ट में पेश किया। लंबी सुनवाई के बाद, एनआईए स्पेशल कोर्ट ने सभी पांच आरोपियों को मौत की सजा सुनाई थी। इसके बाद दोषियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी। इस मामले का मुख्य दोषी रियाज भटकल अभी भी फरार है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है। कोर्ट ने कहा कि उसे भी जल्द से जल्द पकड़कर सजा मिलनी चाहिए। यासीन भटकल जर्मन बेकरी सहित 10 आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड था। वह हैदराबाद के दिलसुखनगर में सीरियल ब्लास्ट के अलावा मुंबई लोकल, बैंगलोर, जयपुर, वाराणसी,
दिलसुखनगर बम धमाकों के पीड़ितों ने हाईकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। पीड़ितों ने हाईकोर्ट के फैसले पर खुशी जाहिर की और एक-दूसरे को मिठाई खिलाई। दिलसुखनगर में मिर्ची सेंटर के मालिक के पांडू रेड्डी ने कहा कि हालांकि बहुत देर हो चुकी है, लेकिन कोर्ट के फैसले से पीड़ितों को न्याय मिलने का एहसास हुआ है। दिलसुख नगर में ही दो धमाके हुए थे। रेड्डी ने बताया कि मिर्ची सेंटर में 14 लोगों की मौत हुई थी। उनके रिश्तेदारों को भी इस धमाके में गंभीर चोटें आई थीं और उनमें से कुछ अभी भी उस सदमे से बाहर नहीं आ पाए हैं। रेड्डी परिवार के आधा दर्जन सदस्य घायल हो गए थे। इनमें से रेड्डी के साले बक्का रेड्डी को सुनने में अब भी दिक्कत आ रही है। हाईकोर्ट के फैसले के बाद रेड्डी ने कहा कि 2013 में तत्कालीन राज्य सरकार और बीआरएस सरकार उन्हें न्याय दिलाने में विफल रही। सरकार ने घायलों के इलाज के बाद का खर्च उठाने का वादा किया था, लेकिन कुछ भी नहीं हुआ, जिससे उन्हें खुद ही इलाज का खर्च उठाना पड़ रहा है।
रेड्डी ने कहा, हम बिना किसी गलती के पीड़ित हैं। अदालत के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि फैसला निश्चित रूप से उन्हें न्याय दिलाएगा, हालांकि बहुत देर हो चुकी है। फैसले के बाद राज्य सरकार और केंद्र को जल्द से जल्द अदालत के फैसले को लागू करने की औपचारिकताएं पूरी करने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। उन्होंने सरकार से आतंकवादियों को तत्काल मौत की सजा देने का अनुरोध करते हुए कहा, हमें कितने साल इंतजार करना होगा। आतंकवादी अभी भी जेल में बंद हैं और सुविधाओं का आनंद ले रहे हैं और उन्हें विस्फोटों में निर्दोष लोगों की हत्या करने के अपने बर्बर कृत्य का कोई पछतावा नहीं है। आतंकवाद विरोधी मंच (एटीएफ) ने अदालत के फैसले का स्वागत करते हुए मांग की कि राज्य सरकार उन लोगों को सहायता प्रदान करे, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है या विस्फोटों में प्रभावित हुए हैं। मंच के अध्यक्ष डॉ. रविनुथला शशिधर ने कहा कि आतंकवादियों को दी गई सजा जल्द से जल्द दी जानी चाहिए। साथ ही, कानून प्रवर्तन एजेंसियों को घातक विस्फोटों के पीछे के षड्यंत्रकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।
जयपुर बम ब्लास्ट केस में चार दोषियों को उम्रकैद की सजा
जयपुर, 08 अप्रैल (एजेंसियां)। जयपुर में 17 साल पहले हुए सीरियल बम धमाकों में चारों आतंकियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। विशेष न्यायाधीश रमेश कुमार जोशी ने चार आतंकियों को दोषी करार देते हुए उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। दोषियों में सरवर आजमी, सैफुर रहमान, मोहम्मद सैफ और शाहबाज अहमद शामिल हैं। इन सभी को कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता की धारा 120बी, 121-ए, 124-ए, 153-ए, 307, यूएपीए एक्ट 1967 की धारा 18, और विस्फोटक अधिनियम 1908 की धारा 4 और 5 के तहत दोषी माना है। इनमें शाहबाज को छोड़कर अन्य को सीरियल ब्लास्ट के मामले में फांसी की सजा सुनाई गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इन्हें बरी कर दिया था। फांसी की सजा के मामले में राज्य सरकार की अपील सुप्रीम कोर्ट में पेंडिंग है।