भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ न लगाने की अपील

जनजातीय मुखिया बोले, दो देशों में बंटा है मेरा घर

भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ न लगाने की अपील

लोंगवा, 06 अप्रैल (एजेंसियां)। भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने के केंद्र सरकार के फैसले को नगालैंड के मोन जिले के जनजातीय मुखिया ने रद्द करने की मांग की है। इसके साथ ही उन्होंने फ्री मूवमेंट रीजीम क्षेत्र को कम करने के फैसले को तुरंत रद्द करने की अपील की है। अंग (राजा) के 10वीं पीढ़ी के मुखिया टोन्येई फावांग ने कहा कि मोन जिले के दोनों ओर रहने वाले लोग कोन्याक नगा जनजाति से हैं और वे आपस में बहुत गहराई से जुड़े हुए हैं। उनके परिवार और रिश्तेदार दोनों देशों में बसे हुए हैंऔर उनका रोजमर्रा का जीवन एक-दूसरे पर निर्भर करता है। 

अंग टोन्येई फावांग ने कहाहम भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ नहीं चाहते। हमारे बीच खून का रिश्ता हैन कि सीमाएं। उन्होंने बताया कि उनके अधीन कुल 35 गांव हैंजिनमें से 30 गांव म्यांमार में और 5 भारत में स्थित हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि उनका खुद का घर भी भारत और म्यांमार के बीच बंटा हुआ है। उन्होंने बतायामेरा पारंपरिक घर जो सैकड़ों साल पहले बना था2016 में दोबारा पक्का बनाया गयालेकिन वो घर अब आधा भारत में है और आधा म्यांमार में। मतलबघर के एक कमरे से दूसरे कमरे में जाने पर देश बदल जाता है।

अंग फावांग ने सवाल उठाया कि अगर सीमा पर बाड़ लगा दी गई और एफएमआर को कम कर दिया गयातो क्या उनके परिवार को अपने ही घर में आने-जाने के लिए पास बनवाना पड़ेगाउन्होंने कहाये बहुत ही अन्यायपूर्ण होगा। कोन्याक नगा जनजाति के लोग सीमा पार एक-दूसरे के यहां आना-जाना करते हैं। म्यांमार की ओर के गांवों के लोग रोजमर्रा की जरूरतों के लिए भारत की ओर आते हैं। उनके बच्चों की पढ़ाई भी भारत के मोन जिले के स्कूलों में होती हैक्योंकि म्यांमार की तरफ ज़्यादा सुविधाएं नहीं हैं। 

केंद्र सरकार ने हाल ही में फ्री मूवमेंट रीजीम (एफएमआर) क्षेत्र को 16 किलोमीटर से घटाकर 10 किलोमीटर करने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन अंग फावांग का कहना है कि यह निर्णय ज़मीनी सच्चाई को नजरअंदाज करता है। उन्होंने सुझाव दिया कि एफएमआर को कम करने के बजाय बढ़ाया जाना चाहिए ताकि कोन्याक नगा लोग सीमा के दोनों ओर आसानी से आ-जा सकें। अंग फावांग ने सीमा पर तैनात असम राइफल्स के जवानों की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि वे न सिर्फ सुरक्षा का काम करते हैंबल्कि गांव वालों की मदद भी करते हैं – जैसे मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं और दवाइयां देना। उन्होंने यह भी कहा कि अब तक सीमा पर दोनों तरफ के लोगों के बीच कोई विवाद या हिंसा नहीं हुई है। सभी शांतिपूर्वक रहते हैं और सदियों पुराने रिश्तों को कायम रखे हुए हैं। 

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नगालैंड सरकार भी भारत-म्यांमार सीमा पर बाड़ लगाने और एफएमआर को सीमित करने के फैसले के खिलाफ है। राज्य सरकार का भी मानना है कि यह फैसला स्थानीय लोगों की भावनाओं और जीवनशैली को ठेस पहुंचाएगा। अंग टोन्येई फावांग ने दो टूक कहाहम किसी भी हालत में सीमा पर बाड़ नहीं चाहते। उन्होंने केंद्र सरकार से अपील की कि वो जमीनी हकीकत को समझे और ऐसा कोई भी निर्णय न ले जो लोगों को उनके अपनों से अलग कर दे।

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