भारत छोड़ना चाहते हैं 22 प्रतिशत अरबपति
कोटक प्राइवेट और ईवाई के सर्वे से हुआ खुलासा
पलायन की वजहों की चिंता नहीं कर रही सरकार
नई दिल्ली, 26 मार्च (एजेंसियां)। देश-प्रथम के नारे वाले देश के 22 प्रतिशत अरबपति भारत छोड़कर विदेश में बसना चाहते हैं। एक पूंजी घराने द्वारा कराए गए सर्वेक्षण से यह आकलन उभर कर सामने आया है। देश की अग्रणी संपत्ति प्रबंधक कंपनी कोटक प्राइवेट ने सलाहकार कंपनी ईवाई के साथ मिलकर एक सर्वेक्षण किया है। इस सर्वे में चौंकाने वाली बात सामने आई कि देश के सुपर-रिच लोगों में से अधिकांश लोग भारत छोड़ना चाहते हैं। देश के 100 में से 22 पूंजीपति देश छोड़कर दूसरे देशों में बसने की चाहत रखते हैं।
सर्वे के अनुसार, 22 प्रतिशत धनी भारतीय (सुपर-रिच) यहां रहने की स्थिति, विदेशों में बेहतर जीवन स्तर और अन्य देशों में आसान कारोबारी माहौल जैसे कारणों से देश छोड़ना चाहते हैं। यह सर्वे 150 अति धनाढ्य व्यक्तियों (यूएचएनआई) के बीच किया गया। सर्वे के अनुसार अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया,
देश की अग्रणी संपत्ति प्रबंधक कंपनी कोटक प्राइवेट ने सलाहकार कंपनी ईवाई के साथ मिलकर यह सर्वेक्षण किया है। विदेश मंत्रालय के अनुसार, हर साल 25 लाख भारतीय दूसरे देशों में प्रवास करते हैं। सर्वेक्षण के निष्कर्षों में कहा गया है, सर्वेक्षण में शामिल हर पांच में से एक अति धनाढ्य व्यक्ति वर्तमान में प्रवास की प्रक्रिया में हैं या प्रवास की योजना बना रहे हैं। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि उनमें से अधिकांश अपनी भारतीय नागरिकता बरकरार रखते हुए अपनी पसंद के मेजबान देश में स्थायी रूप से निवास करना चाहते हैं।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि वे जीवन स्तर में सुधार, स्वास्थ्य देखभाल समाधान, शिक्षा या जीवनशैली चाहते हैं। दो तिहाई से अधिक लोगों ने कहा कि व्यवसाय संचालन को सुचारू बनाना उनके लिए सबसे बड़ी प्राथमिकता है। प्रवास के निर्णय को भविष्य में निवेश बताते हुए सर्वेक्षण में यह भी कहा गया कि अपने बच्चों के लिए अच्छी उच्च शिक्षा की चाहत उन्हें यह विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करती है। हालांकि, कोटक महिंद्रा बैंक की अध्यक्ष गौतमी गावणकर ने कहा कि स्थानांतरण के निर्णय को देश से पूंजी के बाहर जाने के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऐसी गतिविधियों पर सीमा लगाने से यह सुनिश्चित होता है कि यदि कोई व्यक्ति अपना निवास स्थान बदलता है तो भी धन बाहर नहीं जाएगा।
उन्होंने कहा कि भारत में रहने वाला एक भारतीय नागरिक प्रति वर्ष केवल 250,000 अमेरिकी डॉलर ही देश से बाहर ले जा सकता है। जबकि एक अनिवासी भारतीय (एनआरआई) को 10 लाख डॉलर बाहर ले जाने की अनुमति है। इससे यह सुनिश्चित होता है कि पूंजी का कोई बड़ा पलायन नहीं हो रहा। सर्वेक्षण में कहा गया है कि उद्यमियों या उनके उत्तराधिकारियों की तुलना में पेशेवरों में देश छोड़ने की प्रवृत्ति अधिक है। आयु समूह के नजरिए से देखें तो 36-40 वर्ष और 61 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोग प्रवास के लिए अधिक इच्छुक हैं।
2023 में 2.83 लाख भारतीय ऐसे थे जिन्हें यूएचएनआई की संज्ञा दी गई है। इनमें से प्रत्येक की कुल संपत्ति 25 करोड़ रुपए से अधिक है और उनकी कुल संपत्ति 2.83 लाख करोड़ रुपए आंकी गई है। सर्वेक्षण के अनुसार, 2028 तक यह संख्या बढ़कर 4.3 लाख हो जाएगी, जिनके पास 359 लाख करोड़ रुपए की संपत्ति होगी।
भारत छोड़ देंगे पांच हजार करोड़पति!
नई दिल्ली, 26 मार्च (एजेंसियां)। हेनली एंड पार्टनर्स की रिपोर्ट के अनुसार करीब पांच हजार भारतीय करोड़पति देश छोड़ सकते हैं। इंटरनेशनल इन्वेस्टमेंट माइग्रेशन एडवाइजरी फर्म हेनली एंड पार्टनर्स ने अपनी रिपोर्ट में यह आशंका जताई है। रिपोर्ट में बताया गया है कि भारतीय करोड़पति सबसे ज्यादा अमेरिका या संयुक्त अरब अमीरात में जाकर बसते हैं। एक दशक में भारत की संपत्ति में 85 फीसदी की वृद्धि हुई है, यानि जितने करोड़पति यहां से पलायन करते हैं, उससे ज्यादा भारत में पैदा हो रहे हैं।
चीन छोड़ने वाले चीनी अमीरों की संख्या भारत छोड़ने वाले अमीरों से 30 फीसदी ज्यादा है। करोड़पतियों के देश से पलायन करने वालों के मामले में भारत तीसरे नंबर पर है। उसके आगे चीन और ब्रिटेन है। रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर से 1,28,000 करोड़पति अपना देश छोड़कर दूसरी जगह बसने की तैयारी में हैं। इनमें से ज्यादातर लोगों के यूएई और संयुक्त राज्य अमेरिका में बसने की संभावना है। भारत से करोड़पतियों के विदेश पलायन के पीछे सुरक्षा, वित्तीय कारण, टैक्स लाभ और रिटायरमेंट पर मिलने वाली सुविधाओं की गारंटी मुख्य वजह है। बिजनेस के लिए नए अवसर, अनुकूल जीवनशैली, बच्चों के लिए बेहतर शैक्षिक अवसर, हेल्थकेयर सिस्टम भी मुख्य वजहों में शामिल है।