राष्ट्र-प्रथम बनाम धन-प्रथम
सोनिया-राहुल ने हड़पी 2000 करोड़ की सम्पत्ति, 414 करोड़ का टैक्स चुराया
नेशनल हेराल्ड अखबार में गांधी-घोटाले के कई पन्ने हैं
मनी लॉन्ड्रिंग में सोरोस से लिया धन भी शामिल होगा
नई दिल्ली, 16 अप्रैल (एजेंसियां)। सोनिया गांधी और राहुल गांधी पर चल रहे मनी लॉन्ड्रिंग केस में भारत के खिलाफ षडयंत्र में लगे अमेरिकी धनपशु जॉर्ज सोरोस से लिए गए धन का मामला भी जुड़ेगा। भारत विरोधी गतिविधियों के लिए अमेरिकी फंडिंग एजेंसी यूएसएड ने राजीव गांधी फाउंडेशन और अमेरिका में रह रहे ओवरसीज कांग्रेस के अध्यक्ष एवं राहुल गांधी के सिपहसालार सैम पित्रोदा को भारी फंडिंग की थी। बांग्लादेश की तरह भारत को तोड़ने के लिए जॉर्ज सोरोस को 5000 करोड़ डॉलर मिले थे। जिसे सोरोस ने राहुल गांधी और कांग्रेस पार्टी को दिया था। नेशनल हेराल्ड केस से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले के साथ ही यह विदेशी फंडिंग का मामला भी सोनिया गांधी और राहुल गांधी को कानून के शिकंजे में कसेगा।
राजीव गांधी फाउंडेशन सहित कई एनजीओ ने यूएसएड से पैसे लेकर देश विरोधी तत्वों को फायदा पहुंचाया। राजीव गांधी फाउंडेशन के विजय महाजन के जरिए यूएसएड से पैसे का लेनदेन हुआ। देश में जातीय जनगणना की हवा फैलाने में लगा ग्रामीण विकास ट्रस्ट भी यूएसएड से धन ले रहा था। कांग्रेस समर्थित जकात फाउंडेशन को भी यूएसएड से लगाता धन मिल रहा था। कांग्रेस के समर्थन से देशभर में धर्मांतरण विरोधी कानून के खिलाफ प्रदर्शन करने वाले वर्ल्ड काउंसिल ऑफ चर्चेज, वर्ल्ड इवैंजेलिकल अलायंस और वर्ल्ड विजन को भारत विरोधी गतिविधियां चलाने के लिए यूएसएड से लगातार अकूत धन मिल रहा था। इन गतिविधियों के कारण ही वर्ष 2024 में मोदी सरकार ने वर्ल्ड विजन का एफसीआरए लाइसेंस निलंबित कर दिया था। इसके अलावा जॉर्ज सोरोस के धन से चलने वाले एटलांटिक काउंसिल ने कांग्रेस के इशारे पर भारत के कुछ पत्रकारों और फैक्ट चेकर्स को पीएम मोदी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए भारी धन दिया गया था। वर्ल्ड विजन संस्था आतंकी संगठन हमास को पैसे देने के कारण भी काफी बदनाम रही है। साल 2021 में इज़राइलियों ने इसकी एक ब्रांच बंद करने के लिए आवाज उठाई थी। उस समय वर्ल्ड विजन का गाजा में मैनेजर मोहम्मद अल हबीबी था, जिसने हमास को 50 मिलियन डॉलर की मदद दी थी। विदेशों से धन लेकर सुनियोजित तरीके से भारत को खोखला करने के सारे मामले अब क्रमशः कानूनी कार्रवाई की परिधि में लाए जा रहे हैं।
कांग्रेस के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पार्टी के पूर्व अध्यक्षों सोनिया गांधी और राहुल गांधी के विरुद्ध प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जो चार्जशीट दाखिल की है, उसकी सुनवाई गुरुवार 25 अप्रैल को होगी। यंग इंडिया लिमिटेड नामक कंपनी नेशनल हेराल्ड को संचालित करती है। इस कंपनी में 76 प्रतिशत शेयर सोनिया गांधी और राहुल गांधी के हैं। दोनों मां-बेटे के इसमें 38-38 प्रतिशत शेयर हैं। पहले नेशनल हेराल्ड का स्वामित्व एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड के पास था, लेकिन यंग इंडिया लिमिटेड ने इसका अधिग्रहण कर लिया। 11 फरवरी को ईडी ने इस मामले से जुड़ी 661 करोड़ रुपए की सम्पत्ति जब्त करने की कार्रवाई शुरू की थी। ये सम्पत्तियां दिल्ली, मुंबई और लखनऊ जैसे बड़े शहरों में थी। इसमें दिल्ली में बहादुरशाह जफर मार्ग स्थित हेराल्ड हाउस भी शामिल है। यंग इंडिया लिमिटेड के बचे हुए 24 प्रतिशत शेयर कांग्रेस नेताओं मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस के नाम था। दोनों अब मरहूम हो चुके हैं। उनके निधन के बाद उनके शेयरों पर किसी ने दावा नहीं ठोका। ईडी का कहना है कि ये शेयर भी सोनिया और राहुल के पास ही चले गए, यानी दोनों मां-बेटे 100 प्रतिशत शेयरों के मालिक बन गए। यंग इंडिया लिमिटेड का गठन 23 नवंबर, 2010 को हुआ था। कांग्रेस ने एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को 90 करोड़ रुपए का ऋण दे रखा था, जिसे मात्र 50 लाख रुपए में सेटल करते हुए यंग इंडिया लिमिटेड ने संस्था के 2000 करोड़ रुपए की सम्पत्तियों पर नियंत्रण स्थापित कर लिया।
मनी लॉन्ड्रिंग के लिए फर्जी डोनेशन और फर्जी रेंट एग्रीमेंट्स का जुगाड़ किया गया। करोड़ों रुपए की हेराफेरी हुई। 2012 में सुब्रमण्यन स्वामी द्वारा दी गई शिकायत के आधार पर इस मामले की जांच शुरू की गई थी। 2022 में राहुल गांधी इस मामले में पूछताछ के लिए 5 बार ईडी के समक्ष हाजिर हुए थे। सीबीआई भी इस मामले की जांच कर रही है, इसका मनी लॉन्ड्रिंग वाला हिस्सा ईडी के पास है। पूरा मामला आपराधिक साजिश का भी बताया गया है। भोपाल के प्रेस कॉम्प्लेक्स में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड को 1981 में 1.14 एकड़ जमीन महज 1 लाख रुपए में 30 साल के लिए लीज पर आवंटित की गई थी। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड ने उस समय अंग्रेजी दैनिक नेशनल हेराल्ड, हिंदी दैनिक नवजीवन और उर्दू दैनिक कौमी आवाज प्रकाशित की थी। 2011 में लीज समाप्त होने के बाद भोपाल विकास प्राधिकरण यहां मालिकाना हक लेने पहुंचा तो पाया कि इसका इस्तेमाल समाचार पत्रों के प्रकाशन के बजाय व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जा रहा था।
समाचार पत्रों का प्रकाशन तो 1992 में ही बंद हो चुका था और उसके बाद से इसका कॉमर्शियल इस्तेमाल हो रहा था। प्रेस को दिए गए प्लॉट पर व्यवसायिक कॉम्प्लेक्स बनने का पता चलने के बाद भोपाल विकास प्राधिकरण ने इसे अपने कब्जे में लेने की कार्रवाई शुरू की लेकिन इसी बीच कई खरीददार सामने आ गए और मामला अदालत पहुंच गया। इस वजह से कार्रवाई बीच में ही अटक गई। हालांकि, 2012 में भोपाल विकास प्राधिकरण ने इस प्लॉट की लीज को रद्द कर दिया था लेकिन तब से लेकर अब तक इस प्लॉट के अलग-अलग खरीददार और भोपाल विकास प्राधिकरण के बीच मालिकाना हक को लेकर मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
हरियाणा के गुरुग्राम के एक जमीन घोटाले के मामले में सोनिया गांधी के दामाद और राहुल गांधी के बहनोई रॉबर्ट वाड्रा से भी प्रवर्तन निदेशालय ने पूछताछ की है। रॉबर्ट वाड्रा की पत्नी प्रियंका गांधी केरल के वायनाड से सांसद हैं, ये सीट उनके भाई राहुल गांधी ने उनके लिए छोड़ दी थी। उनसे 6 घंटे पूछताछ हुई है। इससे पहले 8 अप्रैल को उन्हें समन भेजा गया था लेकिन वो पेश नहीं हुए थे। दूसरे समन के बाद वो पेश हुए। उन्हें बुधवार को फिर से पूछताछ के लिए बुलाया गया था। वर्ष 2008 में गुरुग्राम के शिकोहपुर रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी ने जमीन ख़रीदी थी। 7.5 करोड़ में क़रीब 3 एकड़ की जमीन ली गई। हरियाणा की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कॉलोनी बनाने की अनुमति दी। इसके बाद ये जमीन रॉबर्ड वाड्रा की कंपनी ने डीएलएलएफ को 58 करोड़ रुपए में बेच दी।
नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ईडी की जांच, पटियाला हाउेस कोर्ट में 26.06.2014 के आदेश के आधार पर शुरू की गई। 2013 में सुब्रमण्यम स्वामी ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी, मोतीलाल वोरा, ऑस्कर फर्नांडिस, सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और मेसर्स यंग इंडियन के खिलाफ धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडिस का निधन हो चुका है इसलिए उनका नाम चार्जशीट में शामिल नहीं है। ईडी की जांच को आरोपियों ने दिल्ली उच्च न्यायालय और फिर सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। हालांकि दोनों अदालतों ने मुकदमे की प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से इन्कार कर दिया।
वर्ष 2010 में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल), यंग इंडियन (वाईआई) के प्रमुख अधिकारियों और कांग्रेस के पदाधिकारियों ने मिल कर एजेएल की 2,000 करोड़ रुपए की सम्पत्तियां हड़पने के लिए 99 प्रतिशत शेयर यंग इंडियन नामक एक निजी कंपनी को सिर्फ 50 लाख रुपए में स्थानांतरित कर दिए। यंग इंडिया में सोनिया गांधी और राहुल गांधी के पास कुल मिलाकर 76 प्रतिशत शेयर थे। ईडी का कहना है कि आरोपियों ने एआईसीसी द्वारा एजेएल को दिए गए 90.21 करोड़ रुपए के बकाया कर्ज को 9.02 करोड़ इक्विटी शेयरों में बदल दिया और इन सभी शेयरों को यंग इंडियन के पक्ष में सिर्फ 50 लाख रुपए में ट्रांसफर कर दिया। इस तरह से एजेएल की हजारों करोड़ रुपए की सम्पत्तियों को सोनिया गांधी और राहुल गांधी को ट्रांसफर कर दिया गया। यंग इंडिया पर राहुल गांधी और सोनिया गांधी का नियंत्रण था क्योंकि इनके पास 76 प्रतिशत शेयर थे। बाकी 24 प्रतिशत शेयर दिवंगत मोतीलाल वोरा और दिवंगत ऑस्कर फर्नांडीस के पास थे, जो सोनिया गांधी और राहुल गांधी के करीबी माने जाते थे। चार्जशीट में कहा गया है कि प्रवर्तन निदेशालय ने 20.11.2023 को अंतरिम कुर्की आदेश जारी करके एजेएल की 752 करोड़ रुपए की सम्पत्तियां कुर्क की। एजेंसी का कहना है कि पीएमएलए के तहत ईडी ने जो जांच में पाया है वो 27.12.2017 के आयकर विभाग के मूल्यांकन की तरह ही है। आयकर विभाग ने इस मामले में 414 करोड़ रुपए टैक्स में धोखाधड़ी पाया था।
ईडी ने इस मामले में कमाई के रूप में 988 करोड़ रुपए और सम्पत्तियों की मौजूदा कीमत 5000 रुपए बताया है। ईडी के मुताबिक यंग इंडिया को 23.11.2010 को एसपीवी के रूप में शामिल किया गया था। एजेएल ने 2008 में अपनी प्रकाशन गतिविधि बंद कर दी। ईडी का कहना है कि आरोपियों ने यंग इंडिया के मालिकों सोनिया गांधी और राहुल गांधी को एजेएल की सैकड़ों करोड़ रुपए की सम्पत्तियों का नियंत्रण देने के लिए एक आपराधिक साजिश रची थी। वाईआई यानी यंग इंडिया ने एजेएल से एआईसीसी द्वारा उसे सौंपे गए 90.21 करोड़ रुपए के ऋण को चुकाने या इस ऋण को इक्विटी में बदलने के लिए कहा। एजेएल, वाईआई और एआईसीसी में एक ही लोगों की नियुक्ति हुई। जांच एजेंसी का कहना है कि इन तीनों संस्थाओं में पदों पर बैठे लोगों के एक ही समूह द्वारा प्रस्ताव पारित करके वाईआई को 50 लाख रुपए की मामूली राशि के लिए 90.21 करोड़ रुपए का ऋण सौंपा गया था। ईडी का आरोप है कि यंग इंडियन को एजेएल के 9.021 करोड़ शेयर आवंटित किए गए।
यंग इंडिया कथित तौर पर एजेएल की होल्डिंग कंपनी बन गई, जिसके पास 99 प्रतिशत शेयर थे और अन्य शेयरधारकों की इक्विटी घटकर 1 प्रतिशत रह गई। जांच में मिले कई दस्तावेज, अभियुक्तों और गवाहों के बयान की रिकॉर्डिंग के आधार पर ईडी ने 5,000 करोड़ रुपए से अधिक के मौजूदा बाजार मूल्य के आधार पर आरोप पत्र तय किया गया।
नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन उसे सरकारी सम्पत्तियों का दुरुपयोग करने और इसे नेशनल हेराल्ड को देने का अधिकार नहीं है। रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सभी को यह बात ध्यान में रखनी चाहिए कि सोनिया गांधी और राहुल गांधी जमानत पर बाहर हैं। कांग्रेस को सरकारी सम्पत्तियों का दुरुपयोग करने का कोई अधिकार नहीं है।
नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राहुल गांधी, सोनिया गांधी और अन्य के खिलाफ ईडी की शिकायत पर भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन उसे सरकारी सम्पत्तियों का दुरुपयोग करने और इसे नेशनल हेराल्ड को देने का अधिकार नहीं है। इस पूरी सम्पत्ति को परिवार के हाथों में पहुंचाने के लिए बहुत ही दिलचस्प तरीके से साजिश रची गई। ये सम्पत्तियां दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर एक सम्पत्ति, मुंबई, लखनऊ, भोपाल और पटना में सम्पत्तियां हैं। उन्होंने कहा कि यंग इंडिया लिमिटेड को एक धर्मार्थ संगठन माना जाता था, लेकिन अब तक यह पता नहीं चला है कि इसने क्या दान किया? 50 लाख रुपए में 90 करोड़ रुपए लिखकर हजारों करोड़ रुपए की सम्पत्ति हासिल कर ली। एक बात ध्यान में रखनी चाहिए कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी जमानत पर बाहर हैं। उन्होंने मामले को खत्म करने के लिए हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया, लेकिन उन्हें कोई राहत नहीं मिली।
भाजपा सांसद ने कहा कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी को जवाब देना चाहिए कि कानून को अपना काम करने देना चाहिए या नहीं? नरेंद्र मोदी की सरकार कानून को अपना काम करने देगी। सरदार पटेल ने कहा था कि नेशनल हेराल्ड को पैसे देने वाले लोग अच्छे लोग नहीं हैं। फिर भी एक अखबार जिसे कांग्रेस पार्टी का पूरा संरक्षण प्राप्त था, वह क्यों नहीं पनप सका? क्योंकि यह अखबार केवल विज्ञापन इकट्ठा करने और सरकारी सहयोग से सम्पत्ति बनाने का साधन था। जिस अखबार से आजादी के लिए लड़ रहे लोगों की आवाज को मजबूत करने की उम्मीद थी, उन्होंने उस अखबार को निजी व्यवसाय, एटीएम बना दिया।