ईडी ने जब्त की सहारा की 1400 करोड़ की सम्पत्ति
खूबसूरत एंबी वैली सिटी भी जब्त हुई
मुंबई/कोलकाता, 16 अप्रैल (एजेंसियां)। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की कोलकाता और मुंबई शाखा ने सहारा समूह के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की है। ईडी ने महाराष्ट्र के लोनावला में मौजूद एंबी वैली की 707 एकड़ जमीन जब्त कर ली है, जिसकी अनुमानित कीमत 1460 करोड़ बताई जा रही है। यह कार्रवाई सहारा समूह के निवेशकों को उनकी धनराशि वापस करने में विफल रहने के चलते की गई है।
ईडी की छानबीन में पता चला है कि सहारा ग्रुप ने लोगों को पैसे इन्वेस्ट करने के लिए मजबूर किया था, इस काम में लोगों की सहमति नहीं ली गई थी। जब लोगों ने अपनी जमा पूंजी मांगी, तो पैसे वापस नहीं किए गए। सहारा समूह पोंजी स्कीम चला रहा था, इसमें सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, सहारा इंडिया कमर्शियल कारपोरेशन लिमिटेड, सहारा क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड, सहारा समूह, सहारयन यूनिवर्सल मल्टीपर्पज कोऑपरेटिव सोसाइटी आदि कम्पनियां शामिल थीं।
ईडी का कहना है कि सहारा ग्रुप ने पैसा वापस तो नहीं किया बल्कि जमाकर्ताओं की अपना पैसा फिर से जमा करने के लिए मजबूर किया और एक योजना से दूसरी योजना में लगाया। खातों की कॉपी को छुपाने में हेराफेरी भी की। कई ऐसे ऑफर देकर निवेश का नाम देकर लोगों के पैसों की ठगी की। सहारा समूह ने 2007-2008 में ऑप्शनली फुली कन्वर्टिबल डिबेंचर्स (ओएफसीडी) के माध्यम से लगभग 3 करोड़ निवेशकों से 17400 करोड़ की राशि जुटाई थी। हालांकि, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने इन योजनाओं को अवैध घोषित किया और निवेशकों को पैसा वापस करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने 2012 में सहारा को 24000 करोड़ निवेशकों को लौटाने का निर्देश दिया था, जिसमें से अब तक केवल 11000 करोड़ ही वापस किए गए हैं।
बिहार में मामला दर्ज हुआ था। ईडी की जांच चार एफआईआर के आधार पर हुई थी, जिसमें ओड़ीशा, बिहार और राजस्थान की पुलिस ने सहारा इंडिया क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड और अन्य के खिलाफ दर्ज की थी। 500 से ज्यादा मामले इस केस में दर्ज किए जा चुके है, जिसमें 300 से ज्यादा मामले मनी लॉन्ड्रिंग को लेकर है। सुप्रीम कोर्ट ने सहारा समूह को निवेशकों की बकाया राशि चुकाने के लिए एंबी वैली की सम्पत्तियों को अटैच करने का आदेश दिया था। बॉम्बे हाईकोर्ट के ऑफिशियल लिक्विडेटर ने एंबी वैली की नीलामी प्रक्रिया शुरू की, जिसका रिजर्व प्राइस 37392 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया। ईडी को पता चला है कि ये भूखंड बेनामी नामों से खरीदने के लिए सहारा समूह की कंपनियों से पैसे निकाले गए थे। यह फैसला निवेशकों को उनकी धनराशि वापस दिलाने के प्रयासों का हिस्सा है।