दलित या ओबीसी को यूपी भाजपा का अध्यक्ष बनाने पर मंथन

दलित या ओबीसी को यूपी भाजपा का अध्यक्ष बनाने पर मंथन

लखनऊ, 16 अप्रैल (एजेंसियां)। उत्तर प्रदेश में भाजपा का अगला अध्यक्ष कौन होगाइसे लेकर पार्टी के भीतर मंथनविचार और बैठकों का दौर चल रहा है। उत्तर प्रदेश में भाजपा 98 जिला और शहरों के अध्यक्षों में से 70 की नियुक्ति कर चुकी है और पार्टी के संविधान के मुताबिकअब वह प्रदेश अध्यक्ष का चयन कर सकती है। लेकिन प्रदेश अध्यक्ष को चुनने के लिए पार्टी को क्षेत्रीय और जातीय समीकरणों का भी ध्यान रखना जरूरी है। ऐसे में भाजपा के रणनीतिकार इन दिनों उत्तर प्रदेश के नए अध्यक्ष को चुनने के लिए दिमागी कसरत कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश में फरवरी 2027 में विधानसभा के चुनाव होने हैं और पार्टी इसे ध्यान में रखकर ही किसी योग्य नेता को इस पद पर बैठाना चाहती है। भाजपा को उत्तर प्रदेश में मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी के पिछड़ादलित और अल्पसंख्यक यानि पीडीए के सियासी समीकरण से चुनौती मिल रही है। लोकसभा चुनाव 2024 में इसका असर साफ दिखाई दिया था। भाजपा के एक नेता ने बताया कि इस बात की बहुत संभावना है कि पार्टी ओबीसी वर्ग से आने वाले किसी नेता को ही अध्यक्ष बनाएगी क्योंकि उसके पास प्रदेश में कोई बड़ा दलित चेहरा नहीं है। ओबीसी प्रदेश में सबसे बड़ी आबादी वाला समूह है।

भाजपा के पास उत्तर प्रदेश में ओबीसी समुदाय की राजनीति करने वाली पार्टियों का समर्थन हासिल है। ऐसे दलों में अपना दल (सोनेलाल)सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा)निषाद पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) हैं। रालोद के पास जाटअपना दल (एस) के पास कुर्मीसुभासपा के पास राजभरमौर्य और कुशवाहा और निषाद पार्टी के पास निषाद समुदाय के मतदाताओं का समर्थन माना जाता है। संघ से जुड़े एक नेता ने बताया कि अध्यक्ष चुनने के लिए पार्टी का फोकस पूर्वी उत्तर प्रदेश पर है क्योंकि लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को यहां नुकसान हुआ था। पूर्वांचल में लोकसभा की 24 सीटें आती हैं। इसमें से 14 सीटें सपा ने जीती थी जबकि 10 सीटों पर भाजपा और इसके सहयोगी अपना दल (सोनेलाल) को जीत मिली थी।

भाजपा इससे पहले पूर्वांचल में सूर्य प्रताप शाही और रमापति राम त्रिपाठी को अध्यक्ष बना चुकी है लेकिन यह दोनों ही नेता सवर्ण जातियों से थे। भाजपा के मौजूदा प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी जाट बिरादरी से आते हैं। उन्हें स्वतंत्रदेव सिंह की जगह पर अध्यक्ष बनाया गया था। स्वतंत्र देव सिंह कुर्मी समुदाय से आते हैं। प्रदेश अध्यक्ष के लिए स्वतंत्र देव सिंह के अलावा योगी सरकार में राज्य मंत्री धर्मपाल सिंहकेंद्रीय राज्य मंत्री बीएल वर्माराज्यसभा सांसद बाबूराम निषाद के नाम चर्चा में हैं। धर्मपाल सिंह और बीएल वर्मा दोनों ही लोध ओबीसी समुदाय से आते हैं और इस समुदाय का बुंदेलखंड और रुहेलखंड में अच्छा असर है। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की वजह से लोध समुदाय को भाजपा के करीब माना जाता है।

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इसके अलावा पार्टी कुछ दलित चेहरों जैसे पूर्व सांसद एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर, रामशंकर कठेरियाविनोद सोनकरनीलम सोनकर और पूर्व एमएलसी विद्यासागर सोनकर के नाम पर भी विचार कर रही है। भाजपा के एक नेता ने कहा कि प्रदेश अध्यक्ष के पद के लिए राज्यसभा सांसद दिनेश शर्मा और पूर्व सांसद हरीश द्विवेदी के नाम भी चर्चा में थे लेकिन यह दोनों नेता ब्राह्मण समुदाय से आते हैं। लेकिन पार्टी ब्राह्मण नेताओं के नाम पर दांव नहीं लगाएगी।

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