हनीट्रैप मामले ने कैबिनेट मंत्रियों की नैतिकता पर सवाल खड़े कर दिए
बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| हनीट्रैप मामले ने कैबिनेट मंत्रियों की नैतिकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे राज्य सरकार की छवि लगातार खराब हो रही है| के.एन. राजन्ना का यह बयान कि ४८ लोग हनीट्रैप में फंसे हैं, राष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा रहा है| मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया है| मामला इतना गंभीर हो गया है कि एआईसीसी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी मामले पर चर्चा करने के लिए मुख्यमंत्री सिद्धरामैया के घर पहुंचे| सूत्रों के अनुसार, सत्ता-साझेदारी फार्मूला नवंबर तक लागू होने की उम्मीद है| यदि ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है कि दिल्ली में हुए समझौते का पालन करना पड़े तो सिद्धरामैया को सत्ता छोड़नी पड़ेगी| इस पृष्ठभूमि में, मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल डी.के. शिवकुमार को सार्वजनिक रूप से नकारात्मक रूप में चित्रित करने के प्रयासों पर आक्रोश है| हनीट्रैप मामले ने कांग्रेस के भीतर स्पष्ट रूप से दो गुट पैदा कर दिए हैं| आरोप लगाया जा रहा है कि अपनी ही पार्टी के सदस्यों को हनीट्रैप में फंसाने और ब्लैकमेल करने का प्रयास किया गया है|
मुनिरत्ना के खिलाफ पहले भी भाजपा में इसी तरह के आरोप लगाए गए थे| आरोप हैं कि भाजपा नेताओं के खिलाफ हनीट्रैप के प्रयास और एचआईवी संक्रमित लोगों का उपयोग करके जैविक युद्ध-शैली की कार्रवाई की गई| इस पृष्ठभूमि में, सत्ताधारी और विपक्षी दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है| कांग्रेस में संदेह, आक्रोश और गुस्सा चरम स्तर पर पहुंच गया है| सिद्धरामैया गुट के मंत्रियों ने अलग बैठक की और उपमुख्यमंत्री पदों के लिए अलग अभियान चलाया| इसके जवाब में, कांग्रेस में सत्ता-साझेदारी के फार्मूले पर चर्चा हुई| जब आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए तो आलाकमान ने हस्तक्षेप कर स्थिति स्पष्ट की| वर्तमान घटनाक्रम में, के.एन. राजन्ना ने के.पी.सी.सी. अध्यक्ष के रूप में डी.के. शिवकुमार को हटाने की पैरवी की थी|
सतीश जारकीहोली समेत कई लोगों ने इसका समर्थन किया| लेकिन आलाकमान ने उनकी बात नहीं सुनी| अब कुछ समय बाद हनीट्रैप मामले ने डीके शिवकुमार को दुविधा में डाल दिया है| सूत्रों के अनुसार, आरोप हैं कि हनीट्रैप मामले का इस्तेमाल सत्ता-साझेदारी के फार्मूले के प्रस्ताव के संबंध में नैतिक प्रश्न उठाने के लिए किया जा रहा है| बताया जा रहा है कि लोक निर्माण मंत्री सतीश जारकीहोली ने दिल्ली जाकर एआईसीसी महासचिव को हनीट्रैप मामले के बारे में विस्तार से जानकारी दी| ऐसी स्थिति पैदा हो गई है कि एक पक्ष दूसरे की टांग खिंचाई कर रहा है और यहां तक कि आलाकमान के नेता भी असहाय स्थिति में पहुंच गए हैं| वे अपने पूरे अस्तित्व में संघर्षों का सहारा लेते रहे हैं, और उनकी कोई नहीं सुनता| १३५ सीटें जीतने और लोगों को स्पष्ट बहुमत के साथ शासन करने देने के बावजूद, अंदरूनी कलह ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी है कि पार्टी को जनता संदेह की दृष्टि से देखती है|