एचएन नागमोहन दास आयोग अगले सप्ताह अंतरिम रिपोर्ट करेगा प्रस्तुत

एचएन नागमोहन दास आयोग अगले सप्ताह अंतरिम रिपोर्ट करेगा प्रस्तुत

कर्नाटक में विवादित आंतरिक आरक्षण मुद्दा

बेंगलूरु/शुभ लाभ ब्यूरो| कर्नाटक में अनुसूचित जातियों के बीच दो दशक से अधिक समय से चल रहा आंतरिक आरक्षण मुद्दा, जो दलित वामपंथी समुदायों की मांग रही है, ने गति पकड़ ली है, क्योंकि न्यायमूर्ति एच.एन. नागमोहन दास आयोग अगले सप्ताह अपनी अंतरिम अनुशंसा प्रस्तुत करने वाला है| पिछले साल सुप्रीम कोर्ट द्वारा राज्यों को आंतरिक आरक्षण प्रदान करने की अनुमति दिए जाने और राज्य मंत्रिमंडल द्वारा आंतरिक आरक्षण लागू करने पर सहमति जताए जाने के बाद आयोग का गठन किया गया था| इसके पहले, कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरामैया ने सोमवार को अनुसूचित जाति समुदायों से आने वाले कैबिनेट मंत्रियों की एक बैठक की अध्यक्षता की, जिसमें सेवानिवृत्त न्यायाधीश ने भी भाग लिया|

आंतरिक आरक्षण १०१ अनुसूचित जातियों को दिए गए १७ प्रतिशत आरक्षण मैट्रिक्स को कम करेगा| कांग्रेस ने २०२३ के विधानसभा चुनावों से पहले जारी अपने चुनावी घोषणापत्र में कर्नाटक में आंतरिक आरक्षण लागू करने का वादा किया था| आयोग का गठन उच्चतम न्यायालय के दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए तथा अनुभवजन्य आंकड़ों के आधार पर आंतरिक आरक्षण लागू करने के तरीकों और साधनों की सिफारिश करने के लिए किया गया है| आयोग को अपनी सिफारिश करने के लिए २०११ की जनगणना के आंकड़ों पर भरोसा करने के लिए कहा गया है| रिपोर्ट पर चर्चा और कार्यान्वयन होने तक, सरकारी विभागों में भर्ती, बैकलॉग पदों को भरने और पदोन्नति के लिए नई अधिसूचना जारी करने पर रोक लगा दी गई है|

बैठक के बाद समाज कल्याण मंत्री एच.सी. महदेवप्पा ने संवाददाताओं को बताया कांग्रेस सरकार आंतरिक आरक्षण लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस बारे में उसका रुख बहुत स्पष्ट है| समिति का गठन उच्चतम न्यायालय के निर्देश और अनुभवजन्य आंकड़ों के आधार पर आंतरिक आरक्षण की सिफारिश करने के लिए किया गया था| अगले सप्ताह अंतरिम रिपोर्ट आने की उम्मीद है, जिसके मद्देनजर हमने इस पर चर्चा की| बैठक में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री के.एच. मुनियप्पा, कन्नड़ और संस्कृति मंत्री शिवराज तंगदागी, गृह मंत्री जी. परमेश्वर और आबकारी मंत्री टी.बी. थिम्मापुर मौजूद थे| डॉ. महादेवप्पा ने कहा जब तक आंतरिक आरक्षण को अंतिम रूप नहीं दिया जाता, तब तक सामान्य भर्ती, बैकलॉग भर्ती और पदोन्नति रोक दी गई है|

कर्नाटक में आंतरिक आरक्षण पिछले दो दशकों से एक विवादित मुद्दा रहा है, जिसमें दलित वामपंथी समुदाय (मडिगा) यह दावा करते हुए आंतरिक आरक्षण की मांग कर रहे हैं कि दलित दक्षिणपंथी समुदायों (होलेयास) ने अब तक आरक्षण के अधिकांश लाभों को हथिया लिया है| इससे पहले, ए.जे. सदाशिव आयोग ने २०१२ में अपनी रिपोर्ट में आंतरिक आरक्षण की सिफारिश की थी, जिसका दलित दक्षिणपंथी समुदायों ने जनसंख्या के आंकड़ों में विसंगतियों की ओर इशारा करते हुए विरोध किया था| मई २०२३ में विधानसभा चुनाव से कुछ ही महीने पहले, पिछली भाजपा सरकार ने आंतरिक आरक्षण मैट्रिक्स की घोषणा करके ए.जे. सदाशिव आयोग की रिपोर्ट को समाप्त कर दिया, जिसका विभिन्न दलित समूहों ने विरोध किया था| गृह मंत्री जी. परमेश्वर, जो कांग्रेस की घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष भी थे, ने कहा हमने इस मुद्दे पर कैबिनेट में कई बार चर्चा की है|

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आंतरिक आरक्षण का कोई विरोध नहीं
आयोग द्वारा अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने के बाद, हम भविष्य की कार्रवाई पर निर्णय लेने से पहले मुख्यमंत्री सिद्धरामैया की अध्यक्षता में एक बैठक करेंगे| उन्होंने कहा कि दास ने कहा है कि वे अंतरिम रिपोर्ट में अनुभवजन्य डेटा, अपनी राय और सिफारिशें प्रदान करेंगे| आंतरिक आरक्षण का कोई विरोध नहीं होने की बात कहते हुए, आंतरिक आरक्षण के पक्ष में मुखर आवाजों में से एक मुनियप्पा ने कहा कि बैठक के दौरान मंत्रियों ने सर्वसम्मति से सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के आधार पर अंतरिम रिपोर्ट मांगी थी| हम जल्द से जल्द आंतरिक आरक्षण लागू करेंगे| एक अन्य मंत्री आर.बी. थिम्मापुर ने बताया कि आंतरिक आरक्षण को लागू करने के लिए भर्ती को रोक दिया गया है, यह तथ्य सरकार की गंभीरता को दर्शाता है|

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