अग्निवीरों के जख्म पर नमक रगड़ने वाला फैसला
सांसदों का वेतन और पेंशन बढ़ा, पूर्व सांसद भी पाएंगे बढ़ी पेंशन
लाखों सैनिकों का सम्मानजनक वेतन-पेंशन छीनने में उन्हें शर्म नहीं आई
आउटसोर्सिंग से लाखों कर्मचारियों का शोषण करने में उन्हें शर्म नहीं आई
अग्निवीर के आवरण में देश की फौज को और आउटसोर्सिंग के नाम पर कर्मचारियों को सम्मानजनक वेतन और पेंशन से वंचित करने वाली भारत सरकार ने सांसदों का वेतन और पेंशन बढ़ाने का नायाब फैसला लिया है। सरकार ने वर्तमान ही नहीं पूर्व के सांसदों के पेंशन में भी बढ़ोत्तरी का पूरा ख्याल रखा। संसद में एक दूसरे से पशुवत विरोध करने वाले राजनीतिक दलों के तमाम सांसद वेतन और पेंशन बढ़ोत्तरी पर एक हो जाते हैं और जश्न मनाते हैं। भारत के ऐसे नायाब लोकतंत्र का दृश्य जनता देख रही है और सही समय की प्रतीक्षा कर रही है। भारत के लाखों आयकरदाताओं के लिए यह दुखद तथ्य की एक बार से याद दिलाना जरूरी है कि सांसदों की सैलरी पर कोई टैक्स नहीं लगता है। सांसदों की सैलरी से मुफ्त का अनाज और रेबड़ियां नहीं बांटी जातीं। देश के आम नागरिकों के कर से नेता अपनी मौज करते हैं और वोट खरीदने के लिए टैक्स राशि का अपव्यय करते हैं।
केंद्र सरकार ने संसद सदस्यों और पूर्व सदस्यों के वेतन, दैनिक भत्ते और पेंशन में आधिकारिक तौर पर बढ़ोतरी की अधिसूचना जारी की है। संसदीय कार्य मंत्रालय की तरफ से जारी अधिसूचना के मुताबिक 1 अप्रैल 2023 से यह संशोधित वेतनमान लागू होगा। मोदी सरकार ने महंगाई को ध्यान में रखते हुए संसद सदस्य वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम-1954 के तहत वेतन और पेंशन में संशोधन किया है।
पहले संसद सदस्यों को एक लाख रुपए मिलता था और अब यह बढ़कर 1,24,000 (करीब सवा लाख) रुपए कर दिया गया है। इसी तरह दैनिक भत्ते में भी इजाफा हुआ है। यह 2,000 रुपए से बढ़ाकर 2,500 रुपए कर दिया गया है। संसद के सदस्यों और पूर्व सदस्यों के लिए मासिक पेंशन 25,000 रुपए से बढ़ाकर 31,000 रुपए कर दी गई है। इतना ही नहीं एडिशनल पेंशन पहले 2,000 प्रति माह थी, जिसे 2,500 प्रति महीने कर दिया गया है।
यह संशोधन संसद के चालू बजट सत्र के दौरान किया गया है। सांसदों के वेतन, भत्ते और पेंशन में आखिरी बार अप्रैल 2018 में बदलाव किया गया था। इस बढ़ोतरी से राजकोष पर वित्तीय असर पड़ने के आसार हैं, क्योंकि 543 लोकसभा सांसद, 245 राज्यसभा सांसद और कई पूर्व सांसद हैं जिन्हें बढ़ी हुई पेंशन का फायदा होगा। वेतन और भत्तों के अलावा, सेवारत सांसदों को कई और भी सुविधाओं का फायदा मिलता है। सांसदों को अपने निर्वाचन क्षेत्र में काम करने के लिए 70,000 रुपए हर महीने निर्वाचन क्षेत्र भत्ता मिलता है और ऑफिस खर्च के लिए 60,000 रुपए प्रति माह मिलते हैं। इसमें कर्मचारियों का वेतन, फोन और स्टेशनरी शामिल है।
सांसदों को अपने और अपने परिवार के लिए हर साल 34 मुफ्त हवाई यात्राएं करने का भी फायदा मिलता है। साथ ही उन्हें कुछ जगहों पर बिना किराए के आवास की भी सुविधा मिलती है। जो लोग आधिकारिक आवास नहीं लेना चाहते, वे 2 लाख रुपए मासिक आवास भत्ते का दावा कर सकते हैं। इन सभी के अलावा और भी कई फायदे सांसदों को मिलते हैं। इसमें 50 हजार यूनिट फ्री बिजली, परिवार के सदस्यों के लिए केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना के तहत स्वास्थ्य देखभाल कवरेज शामिल है।
विडंबना यह है कि देश की सुरक्षा में जान न्यौछावर करने के लिए हर वक्त तैयार रहने वाली फौज की सम्मानजनक सैलरी और पेंशन छीन ली गई है। अग्निवीर के नाम पर सरकार ने देश की सेना के साथ छल किया और वह पैसा बचा कर सांसदों में बांट दिया। धोखाधड़ी से भरी अग्निवीर योजना के विरोध के कारण सेना के तत्कालीन सीडीएस जनरल बिपिन रावत की दुर्दशा हुई। दूसरी तरफ आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की स्थिति और भी दुखद है। भारत में सरकारों ने लाखों लोगों से आउटसोर्सिंग के माध्यम से काम कराने का चलन शुरू किया, ताकि उन्हें सम्मानजनक वेतन और पेंशन देने से बचा जा सके। ठेकेदारों से मानव संसाधन लेकर सरकारें अपना काम चला रही हैं। आउटसोर्सिंग के कर्मचारियों के वेतन का कुछ हिस्सा नौकरशाह मार लेते हैं तो कुछ हिस्सा सप्लायर ठेकेदार हड़प लेते हैं। इस तरह आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की हालत निरीह बंधुआ मजदूर जैसी होकर रह गई है। अब तो भारत में आउटसोर्सिंग एक सामान्य प्रथा बन गई है, जिसमें विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संस्थानों में अस्थायी कर्मचारी काम कर रहे हैं।
दूसरी तरफ जन सरोकारों की लफ्फाजियां करने वाली केंद्र सरकार सांसदों की सैलरी और पेंशन बढ़ाने का अमानवीय फैसला लेती है। केंद्र सरकार ने सांसदों के वेतन में 24 प्रतिशत की वृद्धि की है। सरकार ने यह बढ़ोतरी सांसद वेतन, भत्ता और पेंशन अधिनियम के तहत आयकर अधिनियम, 1961 में निर्दिष्ट मूल्य वृद्धि सूचकांक के आधार पर अधिसूचित की है। अहम बात यह है कि सांसदों की सैलरी पर कोई टैक्स नहीं लगता है। सांसदों को वेतन के अलावा कई तरह की अन्य सुख-सुविधाएं भी मिलती हैं। जिनमें कई सुविधाएं उनके परिवार के लोगों के लिए भी होती हैं। इसमें पत्नी के लिए कई फ्री हवाई सफर, अनलिमिटेड ट्रेन का सफर और संसद सत्र के दौरान घर से दिल्ली तक सालाना आठ हवाई सफर भी शामिल होते हैं। एक सांसद को 50 हजार यूनिट फ्री बिजली, 1 लाख 70 हजार फ्री कॉल्स, 40 लाख लीटर पानी, रहने के लिए सरकारी बंगला शामिल होता है।