मैं हूं योगी... हमेशा के लिए राजनीति में नहीं हूं

 प्रधानमंत्री पद की दावेदारी पर सीएम योगी का बड़ा बयान

 मैं हूं योगी... हमेशा के लिए राजनीति में नहीं हूं

लखनऊ, 01 अप्रैल (एजेंसियां)। प्रधानमंत्री पद पर दावेदारी को लेकर चल रही चर्चाओं और योगी आदित्यनाथ का नाम लिए जाने पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ साफ कहा, मैं योगी हूं। मैं हमेशा के लिए राजनीति में नहीं हूं। योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राजनीति में धर्म का मिलन गलत नहीं है। ये हमारी गलती है कि हम धर्म को कुछ स्थानों के लिए सीमित कर देते हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को लेकर कहा, मैं दिल से, कर्म से और धर्म से योगी हूं। राजनीति मेरा पूर्णकालिक व्यवसाय नहीं है। मैं मुख्यमंत्री पद पर उत्तर प्रदेश की जनता की सेवा करने के लिए हूं और मैं हमेशा के लिए राजनीति में नहीं आया हूं। मेरी पार्टी भाजपा ने मुझे जो जिम्मेदारी दी है उसे मैं निभा रहा हूं। प्रधानमंत्री पद की दावेदारी को लेकर योगी ने इसका खंडन किया। उन्होंने कहा, मैं कब तक राजनीति में रहूंगा इसकी समय सीमा है। मैं हमेशा के लिए राजनीति में नहीं हूं। उल्लेखनीय है कि इन दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाएं काफी तेज हैं और योगी को उनके समर्थकों के द्वारा प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है। ये चर्चाएं प्रधानमंत्री मोदी के 30 मार्च को संघ मुख्यालय जाने के बाद और तेज हो गई हैं। सोशल मीडिया पर हो रही चर्चाओं में सीएम योगी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को प्रधानमंत्री पद के दावेदार के तौर पर देखा जा रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि राजनीति में धर्म का मिलन गलत नहीं है। ये हमारी गलती है कि हम धर्म को कुछ स्थानों के लिए सीमित कर देते हैं और राजनीति को कुछ लोगों के लिए छोड़ देते हैं। इससे समस्याएं उत्पन्न होती हैं। राजनीति का उद्देश्य स्वार्थों की पूर्ति करना नहीं है बल्कि समाज की भलाई करना है। इसी तरह धर्म का उद्देश्य भी परमार्थ होता है। जब धर्म का प्रयोग स्वार्थ की पूर्ति के लिए होता है तो मुश्किल आती है लेकिन परमार्थ का उद्देश्य होने पर धर्म प्रगति के मार्ग खोलता है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भाषा को लेकर हो रही सस्ती राजनीति की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में नेता भाषा विवाद को बढ़ावा दे रहे हैंवहां धीरे-धीरे गिरावट आ रही है। भाषा विवाद से निजी राजनीतिक लाभ तो लिया जा सकता हैलेकिन यह युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों पर बाधा बन सकता है। मुख्यमंत्री योगी से पूछा गया कि क्या उनका इशारा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की ओर हैइस पर सीएम योगी ने कहा, वे जो भी हैंवे ऐसा कर रहे हैं। उनके पास कोई अन्य मुद्दा नहीं है। वे अपने राजनीतिक हितों को पूरा करने के लिए भावनाओं को भड़का रहे हैं। यही कारण है कि उन राज्यों में धीरे-धीरे गिरावट आ रही है। संकीर्ण राजनीति युवाओं के करियर को प्रभावित कर सकती है।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि तमिलतेलुगुमलयालमकन्नड़बंगाली या मराठी जैसी भाषाएं राष्ट्रीय एकता की आधारशिला बन सकती हैं। उत्तर प्रदेश सरकार अपने छात्रों को तमिलतेलुगुमलयालमकन्नड़बंगाली और मराठी जैसी भाषाएं सिखा रही है। क्या इससे उत्तर प्रदेश किसी भी तरह से छोटा लगता हैसभी का मानना है कि हिंदी का सम्मान किया जाना चाहिएलेकिन भारत ने त्रिभाषा फार्मूला अपनाया है। यह त्रिभाषा फार्मूला सुनिश्चित करता है कि क्षेत्रीय भाषाओं को भी बराबर सम्मान मिले।

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मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि हर भाषा की अपनी विशेषता होती हैजो राष्ट्रीय एकता की आधारशिला बनती है। हर क्षेत्रीय भाषा की अपनी लोक परंपराएं और कहानियां होती हैंजो राष्ट्र की विविधता को सामने लाती हैं। इसे मजबूत बनाती हैं। काशी तमिल संगमम पहल इसका सबसे अच्छा उदाहरण है। क्योंकियह भारत की सबसे पुरानी भाषाओं तमिल और संस्कृत को एक साथ लाती है।

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