मुस्लिम लीग के साथ बिहार चुनाव में उतरेगी कांग्रेस!

मुस्लिम वोट के लिए खतरनाक नीति पर काम कर रही कांग्रेस

मुस्लिम लीग के साथ बिहार चुनाव में उतरेगी कांग्रेस!

बिहार के मुस्लिमों को कट्टरवाद में धकेल कर लेंगे वोट

नई दिल्ली, 25 मार्च (एजेंसियां)। कांग्रेस पार्टी मुस्लिम मतों को अपने पाले में करने के लिए जी-तोड़ मशक्कत कर रही है। कर्नाटक में कांग्रेस पार्टी की सरकार ने मुस्लिमों को आरक्षण देकर पूरे देश में मुसलमानों के बीच संदेश देने का प्रायोजन किया। कांग्रेस पार्टी द्वारा शासित दो बड़े राज्यों तेलंगाना और कर्नाटक में मुस्लिम तुष्टिकरण के ऐसे कई और फैसले लेने वाली है। कांग्रेस पार्टी इन सरकारी निर्णयों के साथ ही कुछ राजनीतिक निर्णय लेने पर भी विचार कर रही है। कांग्रेस पार्टी केरल और दक्षिण के राज्यों के अपने सहयोगी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के साथ दक्षिण के बाहर के राज्यों में भी तालमेल करने जा रही है।

कांग्रेस पार्टी बिहार की राजनीति में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का पहला प्रयोग कर सकती हैजहां इस साल के अंत में चुनाव होने वाले हैं। बिहार में 40 से अधिक विधानसभा की सीटें मुस्लिम बहुल हैं। ये सीटें मुख्यतः सीमांचल के इलाके में हैं। इस इलाके से बाहर भी कुछ मुस्लिम बहुल सीटें हैं। बिहार में इसी मुस्लिम बहुलता के कारण लालू यादव ने माय समीकरण बनाया था। इस समीकरण के आधार पर लालू यादव लंबे समय तक बिहार की राजनीति में सबसे मजबूत स्तंभ रहे। कांग्रेस पार्टी और लालू यादव की पार्टी का आपस में गठबंधन मुस्लिम मतों के लिए ही मुख्यतः होता रहा है। हाल के दिनों में ओवैसी की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन ने बिहार की राजनीति में अपनी पैठ बनाना शुरू किया। ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन मुख्यतः अपने क्षेत्र बिहार के मुस्लिम बहुल सीमांचल इलाके में प्रभाव जमाने का प्रयास कर रही है। इस इलाके की किशनगंज सीट पर ओवैसी की पार्टी विगत दो लोकसभा चुनावों में मजबूत चुनौती देने के साथ ही 2020 के विधानसभा चुनाव में पांच सीटें जीतने में सफल रही। यद्यपि उनकी पार्टी के चार विधायक बाद में राजद में शामिल हो गए। कांग्रेस पार्टी का बिहार के मुस्लिम मतदाताओं और मुस्लिम बहुल इलाकों में गहरा असर रहा है। 1989 के लोकसभा चुनाव में किशनगंज लोकसभा सीट से गांधी परिवार के तत्कालीन करीबी एमजे अकबर ने जीत दर्ज की थीमगर 90 के दशक में लालू यादव के बिहार की राजनीति में उभार के बाद बिहार की राजनीति में मुस्लिमों का रुख लालू यादव की ओर हो गया। कांग्रेस पार्टी और अन्य दल इसका काट खोज रहे हैं। कांग्रेस पार्टी का मुस्लिम मतों के लिए लालू यादव की पार्टी राजद से गठबंधन करना उनकी मजबूरी के समान है।

विगत एक महीने में कांग्रेस पार्टी ने बिहार में कई बड़े और कड़े कदम उठाए हैं। मगर ये कदम भाजपा या जेडीयू के लिए नहीं बल्कि अपने सहयोगियोंखासकर राजद के लिए ज्यादा परेशान करने वाले हैं। कांग्रेस पार्टी के दो निर्णयों प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को हटाकर राजेश राम को नियुक्त करने और कन्हैया कुमार को बिहार की राजनीति में प्रवेश दिलाने से राजद असहज है। अखिलेश प्रसाद सिंह लालू यादव परिवार से अपनी करीबी के लिए जाने जाते हैं। अखिलेश प्रसाद सिंह कांग्रेस पार्टी से अधिक लालू यादव की पार्टी के राजनीतिक हितैषी के तौर पर जाने जाते थे।

कांग्रेस पार्टी ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन की काट और लालू यादव की पार्टी को उनकी औकात में रखने के वास्ते केरल की पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को बिहार की राजनीति में लाने की रणनीति बना रही है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग केरल में कांग्रेस पार्टी के यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट का हिस्सा है। इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के साथ कांग्रेस पार्टी का 70 के दशक से संबंध है। कांग्रेस पार्टी राजद के साथ गठबंधन टूटने की स्थिति में मुस्लिम मतों को अपनी ओर खींचने के लिए इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को सीमांचल इलाके में कुछ सीटें देने के साथ ही इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के अध्यक्ष के. एम. कादर मोहिदीन और अन्य नेताओं जैसे पी. के. कुन्हालीकुट्टी को चुनाव प्रचार के लिए इस्तेमाल कर सकती है।

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कांग्रेस पार्टी ने इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को तमिलनाडु में अपने इंडी गठबंधन के तहत रामनाथपुरम लोकसभा सीट 2019 और 2024 के लोकसभा चुनाव में लड़ने के लिए आवंटित करवाया है। कांग्रेस पार्टी का यह कदम इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को वायनाड लोकसभा सीट पर गांधी परिवार को समर्थन के एवज में दिलवाया गया था। 2019 से पूर्व रामनाथपुरम लोकसभा से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के चुनाव लड़ने का कोई इतिहास नहीं मिलता है। कांग्रेस पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को बिहार के बाद पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के गठबंधन में नहीं होने की स्थिति में इस्तेमाल कर सकती है। साथ ही असम के विधानसभा चुनावों में बदरुद्दीन अजमल की पार्टी ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट से गठबंधन नहीं होने पर इसका उपयोग कर सकती है। इसके एवज में इन राज्यों और अन्य जगहों पर इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग को कुछ सीटें कांग्रेस पार्टी आवंटित करेगी। कांग्रेस पार्टी का अंतिम निशाना 2027 में उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव होगा। वहां अगर अखिलेश यादव से गठबंधन नहीं होता है तो कांग्रेस पार्टी इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग का भरपूर इस्तेमाल करेगी।

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ईद पर 32 लाख परिवारों को भाजपा देगी सौगात-ए-मोदी

नई दिल्ली, 25 मार्च (एजेंसियां)। भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा ने सौगात ए मोदी अभियान की शुरुआत की। इसके तहत 32 लाख परिवारों को ईद के मौके पर विशेष किट वितरित की जाएगी। इस किट में खाद्य पदार्थ और कपड़े होंगे। मोर्चा के 32 हजार कार्यकर्ता 32 हजार मस्जिदों के जरिए जरूरतमंद परिवारों तक पहुंचेंगे। भारतीय जनता पार्टी ने मुस्लिमों का राजनीतिक समर्थन जुटाने की पहल की है।

download (51)भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने बताया कि दिल्ली के निजामुद्दीन से राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने सौगात ए मोदी अभियान की शुरुआत की। इस अभियान का उद्देश्य गरीब मुस्लिम परिवारों को लाभान्वित करना हैताकि वे बिना किसी परेशानी के ईद का त्यौहार मना सकें।

जमाल सिद्दीकी ने कहा कि रमजान के पाक महीने से शुरू हो रहा यह अभियान ईदगुड फ्राइडेईस्टर और भारतीय नववर्ष के मौके पर भी अल्पसंख्यकों तक पहुंचेगा। इसके अलावा जिला स्तर पर ईद मिलन समारोह आयोजित किए जाएंगे। अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता यासिर जिलानी ने सौगात ए मोदी अभियान की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि इस अभियान का उद्देश्य मुस्लिम समुदाय तक कल्याणकारी योजनाओं को पहुंचाना है। साथ ही भाजपा और एनडीए के लिए मुस्लिमों का राजनीतिक सहयोग जुटाना है। इस अभियान के जरिए भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा 32 लाख मुस्लिम परिवारों तक पहुंचेगा। सौगात ए मोदी अभियान के तहत दी जाने वाली किट में विभिन्न सामान दिए गए हैं। किट में कपड़ेसेवईमेवामिठाई शामिल है। महिला किट में सूट और पुरुष किट में कुर्ता-पजामा शामिल किया गया।

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