खूबसूरत मेघना के जरिए साधा सऊदी अरब पर निशाना
पाकिस्तान की शह पर बांग्लादेश कर रहा हनी-ट्रैप का साजिशी इस्तेमाल
सऊदी अरब के विरोधियों के साथ खेल रहा खतरनाक खेल
सऊदी अरब को पाकिस्तान पसंद नहीं कर रहा तो पाकिस्तान का नया-नया पिट्ठू बना बांग्लादेश भी सऊदी अरब के प्रति घृणा पाल रहा है। पाकिस्तान के इशारे पर बांग्लादेश सऊदी अरब के खिलाफ नई-नई साजिशें करने में लगा है। बांग्लादेश के विभाजन काल से ही बांग्लादेश की कट्टरपंथी पाकिस्तान परस्त जमातें सऊदी अरब को नापसंद करती रही हैं और सऊदी अरब के कूटनीतिकों के खिलाफ साजिशें करती रही हैं। ताजा मामले में बांग्लादेश सरकार ने सऊदी अरब के बांग्लादेश में राजदूत इस्सा बिन यूसुफ अल-दुहैलन को बांग्लादेश की अभिनेत्री मेघना आलम के जरिए हनी-ट्रैप में फंसाया और उसे बांग्लादेश के हित के लिए काम करने के लिए दबाव डाला। इसके लिए हनी-ट्रैप की तस्वीरों और वीडियो के जरिए राजदूत को ब्लैकमेल करने की कोशिश की गई, यहां तक कि राजदूत को बांग्लादेशी अभिनेत्री मेघना आलम से विवाह रचाने को कहा गया। आखिरकार सऊदी अरब की सरकार ने राजदूत इस्सा बिन यूसुफ अल दुहैलन को वापस बुला लिया। फिल्म अभिनेत्री मेघना आलम ने सऊदी अरब के राजदूत से मना कर दिया, इसलिए बांग्लादेश सरकार के अंतरिम मुखिया मुहम्मद यूनुस के निर्देश पर मेघना को गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया गया। बांग्लादेश के लोगों को अब यह उम्मीद नहीं कि वे मेघना आलम को कभी दोबारा देख पाएंगे।
अभिनेत्री मेघन आलम से गलती यह हो गई कि उसने मुहम्मद यूनुस की पोल खोल देने की धमकी दी थी। इस वजह से यूनुस मेघना के पीछे पड़ गए। मेघना का बांग्लादेश के स्पेशल पावर एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया है, यानि अब वह अनिश्चित काल के लिए जेल में ही रहेगी। मेघना आलम वर्ष 2020 में मिस अर्थ बांग्लादेश बनी थी। पुलिस के प्रवक्ता मोहम्मद तालेबुर रहमान ने कहा कि मेघना ने बांग्लादेश और विदेश की मानिंद हस्तियों पर गंभीर आरोप लगाए, इसलिए उसे गिरफ्तार किया गया है। मेघना ने क्या आरोप लगाए? इसका खुलासा नहीं किया गया। 30 वर्षीय अभिनेत्री एवं मॉडल मेघना आलम के पिता ने कहा कि उनकी बेटी पर सऊदी अरब के राजदूत के साथ निकाह करने का दबाव दिया जा रहा था। उससे इन्कार करने और सार्वजनिक मंच पर पोल खोलने की धमकी देने के कारण उनकी बेटी को गिरफ्तार किया गया है। मानवाधिकार संगठनों ने मेघना की गिरफ्तारी की निंदा की है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इस गिरफ़्तारी को कठोर बताते हुए कहा कि मेघना आलम तत्काल रिहा करने की मांग की है। यहां तक कि बांग्लादेश की नई सरकार के कानूनी सलाहकार आसिफ नजरुल ने भी कहा है कि यह गिरफ्तारी उचित नहीं है। पुलिस ने कहानी बनाई है कि मेघना आलम सऊदी अरब के राजदूत से पांच मिलियन डॉलर की रकम वसूलना चाहती थी। जबकि सच्चाई बांग्लादेश की खुफिया एजेंसियां और जानकार लोगों को पता है।
इस सच्चाई की थोड़ी सी झलक मेघना आलम के एक फेसबुक पोस्ट से मिलती है जिसमें मेघना आलम ने आरोप लगाया था कि मुहम्मद युसूफ उन्हें डरा रहे हैं और धमकी दे रहे हैं कि वे सच्चाई पोस्ट न करें। बाद में रहस्यमय तरीके से वह फेसबुक पोस्ट डिलीट कर दिया गया।
हाल के वर्षों में, बांग्लादेश की भू-राजनीतिक स्थिति बहुत संवेदनशील हो गई है, खासकर जब क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता और वैश्विक शक्ति गतिशीलता इसकी धरती पर एक दूसरे से टकराती है। ऐसी जटिलताओं के बीच, बांग्लादेश अब सऊदी अरब को निशाना बनाने वाली शत्रुतापूर्ण ताकतों द्वारा बिछाई गई बिसात का एक खतरनाक मोहरा बन गया है। बांग्लादेश ऐसे कदम उठा रहा है जो बांग्लादेश के राजनयिक संबंधों और उसके लाखों नागरिकों के लिए गंभीर परिणाम ला सकता है। बांग्लादेश में पूर्व सऊदी राजदूत इस्सा बिन यूसुफ अल दुहैलन को ब्लैकमेल करने के आरोप में एक अल्पज्ञात अभिनेत्री और मॉडल मेघना आलम की गिरफ्तारी एक आपराधिक मामला नहीं है, बल्कि यह सऊदी राजघराने की छवि को धूमिल करने और दोनों देशों के बीच संबंधों को अस्थिर करने के एक गहरे और अत्यधिक समन्वित साजिश का मामला है।
हाल ही में ढाका में हुई गिरफ्तारी के बाद एक अल्पज्ञात और विवादास्पद मॉडल मेघना आलम स्थानीय मीडिया और कुछ अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूहों के बीच सुर्खियों में आ गई हैं। दिलचस्प और हास्यास्पद तथ्य यह है कि मेघना की गिरफ्तारी सऊदी अरब के राजदूत रहे इस्सा बिन यूसुफ अल-दुहैलन की मौखिक अनौपचारिक शिकायत पर की गई। यह आधिकारिक तौर पर बताया गया। मेघना को ढाका पुलिस की जासूसी शाखा ने गिरफ्तार किया। पुलिस ने मीडिया को बताया कि खूबसूरत मेघना आलम ने अल-दुहैलन को फंसा कर उससे 5 मिलियन अमेरिकी डॉलर की वसूली करने का प्रयास किया था। ढाका शहर के वतारा पुलिस स्टेशन में दर्ज मामले में, 58 वर्षीय समीर के नाम का भी उल्लेख है। लेकिन समीर रहस्यमय तरीके से गायब है। समीर महिलाओं को हनी-ट्रैप के तौर पर इस्तेमाल करने का पारंगत बताया जाता है, जिसका इस्तेमाल सत्ता से लेकर बड़े व्यापारिक अलमबरदार तक करते रहे हैं। लेकिन मेघना की गिरप्तारी के बाद से समीर गायब है या उसे गायब कर दिया गया है।
यह पहली बार नहीं है जब ढाका में सऊदी राजनयिक को निशाना बनाया गया है। 2012 में, बेहद परेशान करने वाली घटना हुई थी जब बांग्लादेश में सऊदी अरब के शाही दूतावास में नागरिक मामलों के प्रमुख के रूप में दो साल तक काम करने वाले वरिष्ठ राजनयिक खलफ अल अली की हत्या कर दी गई थी। खलफ अल अली को ढाका के राजनयिक सुरक्षा वाले खास इलाके गुलशन में गोली मार दी गई थी। इस हत्या ने दोनों देशों को झकझोर दिया था और द्विपक्षीय संबंधों पर काले बादल छा गए थे। विडंबना यह है कि राजनयिक की हत्या के मामले में एक मामूली अनपढ़ अपराधी सैफुल इस्लाम को गिरफ्तार किया गया और आनन-फानन उसे फांसी पर लटका दिया गया। कई विश्लेषकों, पत्रकारों, कानून विशेषज्ञों और कूटनयिकों ने उस सनसनीखेज हत्याकांड की जांच और कानूनी कार्रवाई पर गंभीर सवाल उठाए। उस समय भी यह बात निकली थी कि पाकिस्तान के इशारे पर काम करने वाले बांग्लादेश सरकार के कुछ खास अफसरों ने यह हत्या कराई थी।
उस हत्या के बाद ढाका और रियाद के बीच रिश्ते ठंडे पड़ गए थे। पाकिस्तान यही तो चाहता था। उस समय सऊदी अरब में रहने वाले बांग्लादेशी प्रवासियों में काफी चिंता थी उस समय उनकी संख्या 20 लाख से अधिक थी। वह बिगड़े रिश्ते काफी प्रयास के बाद सुधरे, लेकिन ताजा घटना ने उसे फिर से वहीं पहुंचाने का काम किया है।
मेघना आलम से जुड़ा ताजा मामला उन तनावों को फिर से भड़काने की साजिश की ओर इशारा कर रहा है। हालांकि बांग्लादेश सरकार इस मामले को वर्तमान में विदेशी राजनयिक से जबरन वसूली की कोशिश करने वाले एक अपराध के रूप में पेश करने की पूरी कोशिश कर रही है। लेकिन इस घटना के व्यापक और गहरे संदर्भ अधिक परेशान करने वाली तस्वीर पेश कर रहे हैं। मेघना की गिरफ्तारी ऐसे समय में हुई है जब अल-कायदा, आईएसआईएस और अन्य आतंकवादी संगठनों के सदस्यों सहित धार्मिक चरमपंथी सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को सार्वजनिक रूप से बदनाम कर रहे हैं। उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका और इजराइल की कठपुतली बता रहे हैं। बांग्लादेश में, इन चरमपंथियों ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस की छवि को सार्वजनिक रूप से अपवित्र करने का सहारा लिया है, जिसमें उनकी तस्वीर पर जूते मारना और इन कृत्यों के वीडियो ऑनलाइन अपलोड करना शामिल है। चौंकाने वाली बात यह है कि यूनुस शासन ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की है, जिससे सरकार के यूनुस सरकार प्रति गंभीर संदेह पैदा हुए हैं।
खुफिया एजेंसियों का कहना है कि ढाका में ईरानी और कतर मिशन के सदस्य गाजा संघर्ष पर स्थानीय भावनाओं का फायदा उठाते हुए इन सऊदी विरोधी अभियानों को वित्तपोषित और प्रोत्साहित कर रहे हैं। क्राउन प्रिंस की इजरायली सैन्य अभियानों की कड़ी निंदा करने में उनकी कथित अनिच्छा के लिए कड़ी आलोचना की जा रही है। इसके अलावा मुहम्मद यूनुस की सलाहकार परिषद के कई सदस्य भी इस आलोचना में शामिल हो गए हैं, जिसमें सऊदी नेतृत्व को फिलिस्तीनी मुद्दे को त्यागने वाला बताया गया है।
ढाका में पाकिस्तानी मिशन की कथित भूमिका पर विचार करने पर स्थिति और भी भयावह हो जाती है। पाकिस्तान बांग्लादेश में डोनाल्ड ट्रम्प विरोधी और मोहम्मद बिन सलमान विरोधी गतिविधियों का गुप्त रूप से समर्थन कर रहा है, जिसका उद्देश्य रियाद-ढाका संबंधों को इस हद तक नुकसान पहुंचाना है कि सऊदी अरब वर्तमान में राज्य में 4.3 मिलियन बांग्लादेशी श्रमिकों के रोजगार को कम करने या समाप्त करने पर विचार कर सकता है।