संभल दंगा : शारिक साठा ने दिए थे हथियार
मुल्ला अफरोज वारिस की गोलियों से मरे थे चार
संभल, 24 मार्च (एजेंसियां)। संभल में विवादित जामा मस्जिद के सदर जफर अली को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। जफर अली पर आरोप है कि उसने जामा मस्जिद हिंसा के बाद पुलिस पर फर्जी आरोप लगाए और कोई सबूत पेश करने में विफल रहा। उस पर हिंसा भड़काने का भी आरोप है। गिरफ्तारी के बाद जफर अली ने विक्टिम कार्ड खेलना चालू कर दिया है। जफर अली ने दावा किया है कि हिंसा में मारे गए लड़कों की हत्या पुलिसकर्मियों ने की है। हालाँकि, पुलिस पहले ही इन हत्याओं के आरोपित पकड़ चुकी है।
संभल में 24 नवंबर 2024 को हिंदू पक्ष की एक टीम कोर्ट के आदेश के बाद विवादित जामा मस्जिद का सर्वे करने के लिए पहुंची थी। इस टीम में वकील विष्णु शंकर जैन भी शामिल थे। यह टीम इससे पहले 19 नवम्बर, 2024 को गई थी लेकिन तब मुस्लिमों के हंगामे के चलते सर्वे पूरा नहीं हो पाया था। यह सर्वे हिंदू पक्ष की याचिका के बाद हो रहा था, जिसमें कहा गया था कि जामा मस्जिद को हिंदू हरिहर मंदिर तोड़ कर बनाया गया था। 24 नवम्बर को जब यह टीम संभल पहुंची तो यहां हिंसा भड़क गई। मुस्लिम दंगाइयों ने मस्जिद के आसपास के इलाकों में पुलिस को निशाने पर लिया।
मुस्लिमों ने खूब पत्थर बरसाए और पुलिस पर गोलियाँ भी चलाई। इस पथराव के दौरान मुस्लिम दंगाइयों ने पुलिसवालों को गालियां भी दीं। उनके हथियार छीनने का भी प्रयास किया गया। यह भीड़ मस्जिद का सर्वे करने आई टीम को भी निशाना बनाना चाहती थी। इस हिंसा के दौरान हुई फायरिंग में चार मुस्लिम लड़कों की मौत हो गई थी। हिंसा में संभल के सीओ अनुज चौधरी को भी गोली लगी थी। वह भी घायल हो गए थे। उनके साथ ही कई और कई पुलिसवाले गंभीर रूप से घायल हुए। इस दंगे के बाद पुलिस ने जांच में सच बाहर निकाला।
संभल में हुई हिंसा के बाद पुलिस को पता चला था कि इसकी प्लानिंग पहले ही हो गई थी। पुलिस पर हमला करने और गोलियां चलाने का प्लान दुबई में रहने वाले शारिक साठा ने रचा था। साठा संभल का ही रहने वाला है और भारत में गाड़ियाँ चुराता था। उसको दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था लेकिन वह बाद में दुबई भाग गया था। साठा आईएसआई के लिए काम करता है। वह जाली नोट और हवाला का भी धंधा करता है। संभल में सर्वे की बात सामने आने के बाद शारिक साठा ने अपने गुर्गे मुल्ला अफरोज को हथियार दिए थे, जो उसने बाकी लड़कों में बांटे थे। शारिक साठा ने पाकिस्तानी गोलियां भी संभल भेजी थीं। पुलिस को यह गोलियां हिंसा वाली जगह से बरामद हुई थीं।
शारिक साठा ने 10-20 नेताओं को संभल में मारने का प्लान तैयार किया था। उसी के दिए हथियारों से संभल में फायरिंग हुई। इस फायरिंग में 4 लड़कों की मौत हुई। पुलिस ने जांच करके हत्या करने वाले मुल्ला अफरोज और वारिस को पकड़ा था। सामने आया था कि हिंसा के दौरान मुल्ला अफरोज ने पुलिस को निशाना बनाया लेकिन भगदड़ मचने के कारण यह गोली बिलाल और अयान को लग गई और वह मौके पर ही मारे गए। इस हत्या के लिए उसने 32 बोर का एक हथियार उपयोग किया था। इसके बाद वह छिप गया था। वहीं एक और दंगाई वारिस की गोली से नईम और कैफ की मौत हो गई थी। इन हत्याओं के मामले में अब इन आरोपितों पर मुकदमा चल रहा है। यह पुलिस स्पष्ट कर चुकी है। हालाँकि जफर अली अपना प्रोपेगेंडा चलाने और गिरफ्तारी से बचने के लिए पुलिस को दोषी ठहरा रहा है। संभल हिंसा भड़काने का आरोपी जफर अली पहले भी पुलिस पर फर्जी आरोप जड़ चुका है। उसने हिंसा के एक दिन बाद (25 नवंबर 2024) को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दावा किया था कि हिंसा में मारे गए लड़कों पर पुलिस ने गोली चलाई थी। पुलिस ने अब इस मामले में जफर अली पर फर्जी आरोप लगाने का मामला दर्ज किया है, जिसके बाद उसे गिरफ्तार किया गया है। यह भी आरोप लगा है कि वह जामा मस्जिद के नाम पर पैसा इकट्ठा कर रहा है। इसके लिए एक QR कोड भी फैलाया जा रहा है। हालाँकि, इस पर अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं सामने आई है। पुलिस अब आगे जफर अली पर कार्रवाई कर रही है।