महाकुंभ आयोजन भगीरथ प्रयास, दुनिया ने देखी विविधता में एकताः प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री ने की महाकुम्भ की भव्यता की सराहना

महाकुंभ आयोजन भगीरथ प्रयास, दुनिया ने देखी विविधता में एकताः प्रधानमंत्री


नई दिल्ली, 18 मार्च (एजेंसी)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लोकसभा में महाकुंभ के भव्य आयोजन की तुलना भगीरथ के धरती पर गंगा लाने से की। उन्होंने कहा कि पूरे विश्व ने महाकुंभ के रूप में भारत के विराट और विविध स्वरूप के दर्शन किए। सबका प्रयास का यही साक्षात स्वरूप है। 
मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में कहा कि महाकुंभ का आयोजन हमें जल संरक्षण के महत्व का ध्यान कराता है और प्रेरणा देता है की कुंभ की भांति ही हम ‘नदी उत्सव’ मनाए। उन्होंने कहा कि महाकुंभ से बहुत से अमृत निकले हैं। इसमें एकता का अमृत बहुत ही पवित्र प्रसाद है। अनेकता में एकता भारत की विशेषता है। प्रयागराज में हमने इसका प्रत्यक्ष अनुभव किया है। हमारा दायित्व है कि इस विशेषता का निमंत्रण समृद्ध होती रहे। मोदी ने कहा कि हमने करीब डेढ़ महीने तक भारत में महाकुंभ का उत्साह देखा, उमंग को अनुभव किया। कैसे सुविधा, असुविधा की चिंता से ऊपर उठते हुए कोटि-कोटि श्रद्धालु श्रद्धा भाव से जुटे, ये हमारी बहुत बड़ी ताकत है। प्रधानमंत्री मोदी ने लोकसभा में अपने संबोधन में महाकुंभ के आयोजन की प्रशंसा की और कहा कि पिछले वर्ष राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा ने हमें यह आभास कराया कि देश अगले हजार वर्षों के लिए तैयार है। इस वर्ष महाकुंभ के आयोजन ने हमारी सोच को मजबूत किया कि देश की सामूहिक चेतना हमें हमारी क्षमताओं का एहसास कराती है।

प्रधानमंत्री मोदी ने सदन के माध्यम से देशवासियों, उत्तर प्रदेश सरकार, उत्तर प्रदेश की जनता, प्रयागराज की जनता और देशभर से आए श्रद्धालुओं का विशेष रूप से धन्यवाद दिया। उन्होंने मॉरीशस की यात्रा के दौरान कुंभ त्रिवेणी संगम के पवित्र जल को वहां गंगा तालाब में मिलाये जाने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि महाकुंभ में देश के हर क्षेत्र, हर कोने के लोग आए और अहं त्याग कर वयं के भाव से के साथ प्रयागराज में जुटे। उन्होंने इसे वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों से जोड़ा और कहा कि महाकुंभ इस दौर में एकजुटता का एक विराट प्रदर्शन था। यह हमारी ताकत है। 

भाजपा अध्यक्ष चुनाव से पहले मोदी-भागवत बैठक पर सबकी नजर 
भाजपा और संघ के रिश्तों में एक बार फिर मधुरता देखने को मिल रही है। पिछले एक महीने में कई बार आरएसएस की तारीफ कर चुके प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अब नागपुर स्थित संघ मुख्यालय जाने वाले हैं। यह किसी भी प्रधानमंत्री की ओर से संघ मुख्यालय का पहला दौरा होगा। प्रधानमंत्री के संघ मुख्यालय के प्रस्तावित दौरे के कई राजनीतिक निहितार्थ भी निकाले जा रहे हैं। प्रधानमंत्री की संघ प्रमुख मोहन भागवत के साथ होने वाली मुलाकात ऐसे समय पर हो रही है जब भाजपा अपना नया अध्यक्ष जल्द ही चुनने वाली है। हम आपको बता दें कि 6 अप्रैल को भाजपा का स्थापना दिवस होता है। माना जा रहा है कि तब तक पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जायेगा। बताया जा रहा है कि 18 अप्रैल को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बेंगलुरु में होगी जिसमें नये अध्यक्ष का स्वागत किया जायेगा।


प्रधानमंत्री के भाषण का विपक्ष ने किया बहिष्कार 
नई दिल्ली, 18 मार्च (एजेंसी)। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को लोकसभा में प्रयागराज महाकुंभ पर बोला। उन्होंने महाकुंभ के आयोजन को ऐतिहासिक बताया। लोकसभा में पीएम मोदी के भाषण के बाद विपक्षी राजनेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने पीएम मोदी पर महाकुंभ को लेकर सिर्फ एकतरफा बात करने का आरोप लगाया।

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महाकुंभ पर पीएम मोदी के भाषण पर समाजवादी पार्टी के लोकसभा सांसद धर्मेंद्र यादव ने कहा, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ को लेकर सिर्फ वही बात की, जिसे वो लगातार पहले से कहते आ रहे हैं। महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन जो दुर्घटना हुई, उस समय से हमारे नेता अखिलेश यादव लगातार सवाल उठाते रहे हैं। लोकसभा में पीएम मोदी के भाषण को हमने बहुत धैर्यता से सुना, भाषण खत्म होने के बाद हमने मांग कि वो कम से कम महाकुंभ में जान गंवाने वालों, घायलों और लापता लोगों की सूची दे दें। लेकिन, वो सिर्फ अपना वक्तव्य देकर चले गए। इस मांग को लेकर समाजवादियों ने सदन से बॉयकॉट किया है।

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सपा सांसद अवधेश प्रसाद ने कहा, प्रधानमंत्री ने सदन में जो बयान दिए हैं, वो एक तरफा था। पीएम मोदी ने सदन में महाकुंभ पर जो बोला है, अच्छा होता अगर उनके बाद विपक्ष को भी अपनी बात रखने को मौका मिलता। पीएम मोदी ने एकतरफा बात करते हुए सिर्फ अपनी तारीफ की। जो घटना हुई, उसपर चर्चा नहीं की। इसलिए हम लोगों ने सदन की कार्यवाही का बहिष्कार किया।

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राज्यसभा सांसद एवं कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने पीएम मोदी के महाकुंभ पर दिए भाषण को लेकर कहा, महाकुंभ में साधु-संतों का प्रभुत्व रहता है, वे ही उन्हें संचालित करते हैं। इसका श्रेय भी उन्हें ही जाता है। लेकिन, इस बार यह देखने को मिला की महाकुंभ का पूरा श्रेय नेताओं को गया। ऐसे में इस बार का महाकुंभ नेताओं से बहुत ज्यादा प्रभावित रहा।

वहीं, महाराष्ट्र के नागपुर में हुई हिंसा को लेकर राजीव शुक्ला ने कहा, नागपुर की घटना बहुत दुखदायी है। महाराष्ट्र में कभी भी ऐसा माहौल नहीं था। जानबूझकर माहौल खराब करने की कोशिश की जा रही है। जब कोई दल सत्ता में आ गई है, तो उन्हें काम करना चाहिए। अच्छा शासन चलाना चाहिए, बगैर इसके कि लोगों के बीच झगड़े कराकर राजनीति करें।

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