दुनिया जानती है वैश्विक आतंकवाद का अड्डा कहां है
संयुक्त राष्ट्र में भारत ने आतंकी पाकिस्तान को धोया
बलोच लिबरेशन आर्मी से मार खाकर पाकिस्तान रोया
युद्धबंदी रिहा नहीं किए तो बीएलए ने 214 पाक फौजियों को मारा
अपनी नाकामियों का दोष भारत पर न मढ़े पाकिस्तान : जायसवाल
न्यूयॉर्क, 15 मार्च (एजेंसियां)। संयुक्त राष्ट्र में भारत ने एक बार फिर पाकिस्तान को धोया। जम्मू कश्मीर का राग अलापने पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पर्वथानेनी हरीश ने कहा, पाकिस्तान अपनी आदत से मजबूर है। पूरा विश्व जानता है कि आतंकवाद को पालने पोसने वाला देश पाकिस्तान ही है, लेकिन वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा और बार बार जम्मू और कश्मीर का अनुचित संदर्भ देता रहता है। बार-बार ऐसी बेतुकी बातें करने से न तो उसके झूठ और पाखंड को सच मान लिया जाएगा और न ही सीमा पार आतंकवाद के उसके कुकृत्य को सही ठहराया जा सकेगा।
भारत के जवाब से एक बार फिर पूरी दुनिया के सामने पाकिस्तान की किरकिरी हुई है। भारत ने कहा कि पाकिस्तान की कट्टरपंथी मानसिकता जगजाहिर है। उसकी कट्टरता का रिकॉर्ड भी पूरी दुनिया के सामने है। भारत की यह कड़ी प्रतिक्रिया पाकिस्तान की पूर्व विदेश सचिव तहमीना जंजुआ की ओर से इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने के लिए आयोजित अनौपचारिक बैठक में जम्मू और कश्मीर का जिक्र करने के बाद आई है।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत पी. हरीश ने इंटरनेशनल डे टू कॉम्बैट इस्लामोफोबिया पर महासभा की एक अनौपचारिक बैठक में कहा, अपनी आदत से मजबूर पाकिस्तान के पूर्व विदेश सचिव ने भारतीय संघ शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर का अनुचित संदर्भ दिया। पाकिस्तान की कट्टरपंथी मानसिकता जगजाहिर है। साथ ही कट्टरता का उसका रिकॉर्ड भी पूरी दुनिया के सामने है। इस तरह के प्रयासों से यह वास्तविकता नहीं बदलेगी कि जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग था, है और हमेशा रहेगा।
हरीश ने ने कहा, हमने हाल ही में पूजा स्थलों और धार्मिक समुदायों को निशाना बनाकर हो रही हिंसा में चिंताजनक वृद्धि देखी है। इसका मुकाबला केवल सभी सदस्य देशों की ओर से सभी धर्मों के लिए समान सम्मान के सिद्धांत के प्रति निरंतर प्रतिबद्धता और ठोस कार्रवाई से ही किया जा सकता है। सभी देशों को अपने सभी नागरिकों के साथ समान व्यवहार करने के लिए प्रतिबद्ध होना चाहिए। उन्हें ऐसी नीतियों का पालन नहीं करना चाहिए, जो धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देती हों। हमें यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि शिक्षा प्रणाली रूढ़िवादिता को कायम न रखे या कट्टरता को बढ़ावा न दे। हमें याद रखना चाहिए कि इस्लामोफोबिया के खिलाफ लड़ाई धार्मिक भेदभाव के सभी रूपों के खिलाफ व्यापक संघर्ष से अविभाज्य है, जैसा कि 1981 की घोषणा में सही ढंग से बताया गया था। आइए हम एक ऐसे भविष्य की दिशा में काम करें, जहां हर व्यक्ति चाहे उसका धर्म कुछ भी हो, गरिमा, सुरक्षा और सम्मान के साथ रह सके।
पी हरीश ने कहा, भारत विविधता और बहुलवाद की धरती रही है, जहां दुनिया के हर बड़े धर्म के मानने वाले लोग रहते हैं। भारत दुनिया के चार बड़े धर्मों की जन्मस्थली रहा है, जिनमें सनातन धर्म, बौद्ध धर्म, जैन धर्म और सिख धर्म शामिल हैं। भारत में करीब 20 करोड़ मुसलमान रहते हैं और यह दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी वाले देशों में से एक है। उन्होंने कहा कि हम मुस्लिमों के खिलाफ धार्मिक भेदभाव की निंदा करते हैं और इस मामले में संयुक्त राष्ट्र के देशों के साथ हैं, लेकिन यह भी मानना जरूरी है कि धार्मिक भेदभाव एक बड़ी चुनौती है और यह दुनिया में सभी धर्म के मानने वाले लोगों को प्रभावित करता है। इसका असर सभी धार्मिक आस्थाओं पर पड़ रहा है। संयुक्त राष्ट्र में इस्लामोफोबिया के खिलाफ एक प्रस्ताव पेश किया गया था। इसी प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान भारत के संयुक्त राष्ट्र में स्थायी प्रतिनिधि पी हरीश ने ये बात कही। भारत ने प्रस्ताव का समर्थन किया, लेकिन कहा कि धार्मिक भेदभाव न सिर्फ इस्लाम के खिलाफ बल्कि किसी भी धर्म के खिलाफ गलत है।
पी हरीश ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि भारत में होली और रमजान एक साथ मनाए जा रहे हैं और उन्होंने दोनों त्यौहारों की शुभकामनाएं भी दीं। पी हरीश ने कहा कि भारत ने पूजा स्थलों पर हमले की घटनाओं पर भी चिंता जाहिर की और कहा कि इनसे तभी बचा जा सकता है जब सभी सदस्य देश सभी धर्मों को समान रूप से सम्मान दें और विभिन्न धर्म के लोगों के बीच भेदभाव न करें। साथ ही शिक्षा व्यवस्था में भी रूढ़िवादिता और कट्टरपंथ को भी जगह न दी जाए। गौरतलब है कि इस्लामिक देशों के समूह ऑर्गेनाइजेशन ऑफ इस्लामिक कोऑपरेशन ने इस्लामोफोबिया के खिलाफ प्रस्ताव पेश किया। जिसमें इस्लामोफोबिया से लड़ने की दिशा में 15 मार्च को इस्लामोफोबिया से लड़ने का अंतरराष्ट्रीय दिवस मनाने की मांग की गई है। प्रस्ताव में कहा गया है कि आतंकवाद और कट्टरपंथ को किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता या जातीय समूह के साथ नहीं जोड़ा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, पाकिस्तान अपने गिरेबान में झांके तो उसे पता चले कि वह वैश्विक आतंकवाद का केंद्र है। अपनी आंतरिक समस्याओं और असफलताओं के लिए दूसरों पर उंगली उठाने के बजाय पाकिस्तान को अपने गिरेबान में झांकना चाहिए।
इधर, बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) द्वारा पाकिस्तानी सेना को लेकर जा रही ट्रेन अगवा किए जाने के मामले में भारत का नाम घसीटने पर भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, हम पाकिस्तान द्वारा लगाए गए निराधार आरोपों को दृढ़ता से खारिज करते हैं। पूरी दुनिया जानती है कि वैश्विक आतंकवाद का केंद्र कहां है। पाकिस्तान को अपनी आंतरिक समस्याओं और असफलताओं के लिए दूसरों पर उंगली उठाने और दोष मढ़ने के बजाय अपने अंदर झांकना चाहिए। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने हाल ही में वहां ट्रेन हाईजैक की घटना पर कहा था कि आतंकी अफगानिस्तान में बैठे अपने आकाओं के संपर्क में थे। वहीं यह पूछे जाने पर कि क्या पाकिस्तान ने बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) की गतिविधि के लिए अतीत में भारत को दोषी ठहराने की अपनी नीति बदल दी है तो उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ आरोप आज भी कायम हैं। भारत पाकिस्तान के खिलाफ आतंकवाद को प्रायोजित करने में शामिल है।
बीएलए ने 214 पाकिस्तानी फौजियों को मार डाला
पाकिस्तानी सेना को लेकर जा रही जाफर एक्सप्रेस को बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) द्वारा अगवा किए जाने का मामला खतरनाक नतीजे पर पहुंच गया। बीएलए ने कहा है पाकिस्तान ने बलोच युद्धबंदियों को रिहा करने की शर्त नहीं मानी, इसलिए 214 से अधिक पाकिस्तानी फौजियों को मार डाला गया। वहीं पाकिस्तानी सेना ने दावा किया है कि मात्र 23 फौजी इस ऑपरेशन के दौरान मारे गए।
जाफर एक्सप्रेस को हाइजैक करने वाली बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने शुक्रवार 14 मार्च को एक बयान जारी किया। उस बयान में बीएलए ने कहा कि उसने ट्रेन हाइजैक करने के बाद 48 घंटे का समय पाकिस्तान सरकार को दिए थे। लेकिन पाकिस्तान ने बलोच बंदियों को रिहा करने की शर्त नहीं मानी। बीएलए के अनुसार, 48 घंटे के बाद भी यह मांग पूरी होने के चलते उन्होंने जाफर एक्सप्रेस से बंधक बनाए गए सभी 214 पाकिस्तानी फौजियों को मौत के घाट उतार दिया। बीएलए ने कहा है कि यह पाकिस्तान सरकार और पाकिस्तानी फौज की जिद का नतीजा है।
बीएलए ने यह स्वीकार किया है कि ट्रेन हाइजैक और इसके बाद हुई पाक फौज से लड़ाई में बीएलए के 12 विद्रोही मारे गए हैं। बीएलए ने कहा कि उन्होंने पकड़े गए फौजियों को एक बोगी में बंद कर रखा था और जब पाक फौज के दूसरे कमांडो उन्हें छुड़ाने के लिए आए तो बीएलए के फिदायीन लड़ाकों ने उनकी हत्या कर दी। पाकिस्तान की फौज और सरकार के दावे इससे उलट हैं। पाकिस्तानी सेना ने दावा किया है कि पूरी घटना के दौरान 31 लोगों की मौत हुई जिनमें 23 फौजी थे। पाकिस्तानी सेना की इंटर सर्विसेज पब्लिक रिलेशंस के महानिदेशक ने दावा किया है कि ऑपरेशन के दौरान 33 बलोच विद्रोही मारे गए। पाकिस्तान फौज ने दावा किया है कि उसने 350 से अधिक बंधक हाइजैक की गई ट्रेन से मुक्त करवाए थे। हालांकि, बलोच विद्रोहियों ने स्पष्ट किया है कि फौजियों को छोड़ कर उन्होंने बाकी सभी यात्रियों को रिहा कर दिया था। पाक फौज ने अपनी इस नाकामी को छुपाने के लिए एक बार फिर भारत पर आरोप भी जड़े हैं।
वहीं इस बीच बलूचिस्तान के और भी शहरों में हमले हुए हैं। बलूचिस्तान के क्वेटा, पंजगूर और खुजदार में हमले गुरुवार रात को हुए हैं। क्वेटा में हमलावरों ने एक पुलिस स्टेशन को निशाना बनाया जबकि खुजदार में एक निर्माण कंपनी पर हमला किया गया और उसके साजोसामान में आग लगा दी गई। पंजगूर में एक चेकपोस्ट पर हमला हुआ और यहां से हथियार लूटे गए। बलूचिस्तान में बीते कुछ दिनों से हालात लगातार गंभीर बने हुए हैं। बलोच विद्रोही लगातार फौज पर हमले कर रहे हैं और उन्होंने बड़े इलाके पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया है। वहीं फौज उनके दावे नकार कर प्रोपेगेंडा करने और इल्जाम भारत तथा अफगानिस्तान पर डालने में जुटी है।