बदल रहा जम्मू-कश्मीर, खत्म हो रहा अलगाववाद

हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और अलगाववाद से अलग हुए दो संगठन

 बदल रहा जम्मू-कश्मीर, खत्म हो रहा अलगाववाद

यह पीएम मोदी के राष्ट्रीय एकता के सपने की जीत है शाह

देश की एकता, संप्रभुता एवं अखंडता में मेरी आस्था है : रेशी

 

श्रीनगर, 25 मार्च (एजेंसियां)। जम्मू कश्मीर के कुख्यात अलगाववादी संगठन ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़े दो प्रमुख संगठनों ने अलगाववाद की धारा से अलग होने की घोषणा की है। जम्मू कश्मीर के दो प्रमुख संगठनों का हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से अलग होना प्रदेश के बदलते हुए राजनीतिक-सामाजिक-प्रशासनिक माहौल का नतीजा माना जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इसका श्रेय मोदी सरकार को देते हैं, जिन्होंने प्रदेश से अनुच्छेद 370 का कोढ़ हटा कर प्रदेश को राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ने का काम किया। अमित शाह ने कहा, कश्मीर में अलगाववाद इतिहास बन चुका है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने की जीत है। जम्मू-कश्मीर के डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट और जेएंडके पीपुल्स मूवमेंट के अलगाववाद से संबंध तोड़ने के ऐलान पर अमित शाह ने कहा, मैं भारत की एकता को मजबूत करने की दिशा में इस कदम का स्वागत करता हूं और ऐसे सभी समूहों से आग्रह करता हूं कि वे आगे आएं और अलगाववाद को हमेशा के लिए खत्म कर दें।

कश्मीर में तेजी से हो रहे बदलाव के बीच एक और कट्टरपंथी अलगाववादी एडवोकेट मोहम्मद शफी रेशी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट (डीपीएम) से नाता तोड़ने का ऐलान किया। उन्होंने भारत की संप्रभुता और अखंडता में आस्था जताते हुए कहा, मेरा किसी भी राजनीतिक दल विशेषकर किसी अलगाववादी संगठन से जो प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से कश्मीर की आजादी या कश्मीर को भारत से अलग करने के समर्थक हैंउनसे कोई सरोकार नहीं है। एडवोकेट रेशी कट्टरपंथी सैयद अली शाह गिलानी के नेतृत्व वाली हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के प्रमुख नेताओं में एक गिने जाते रहे हैं। वह डीपीएम के अध्यक्ष भी रह चुके हैं। रेशी ने सोमवार को ऐलान किया, मेरा हुर्रियत कॉन्फ्रेंस या डीपीएम या किसी अन्य अलगाववादी संगठन से कोई नाता नहीं है। मैं डीपीएम से पहले इस्तीफा दे चुका हूं। मैं सात वर्ष से अलगाववादी गतिविधियों से दूर हूं, क्योंकि मैं हुर्रियत और इस जैसे अन्य दलों की असलियत समझ चुका हूं।

download (5)यह घटनाक्रम केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा मीरवाइज उमर फारूक की अध्यक्षता वाली अवामी एक्शन कमेटी (एसीसी) और मसरूर अब्बास अंसारी की अध्यक्षता वाले जम्मू-कश्मीर इत्तेहादुल मुस्लिमीन (जेकेआईएम) पर गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम-1967 के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंधित संगठन घोषित करने के कुछ दिनों बाद हुआ है। दो प्रमुख संगठनों और एक प्रमुख अलगाववादी नेता के हुर्रियत एवं अलगाववाद से अलग होने की घोषणा से जम्मू-कश्मीर के अलगाववादी संगठन ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस को बड़ा झटका लगा है। जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट और डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से सारे रिश्ते तोड़ने का ऐलान कर भारत से लेकर पाकिस्तान तक एक महत्वपूर्ण संदेश दिया है। जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने के बाद से ही यह संगठन घाटी में निष्क्रिय हो गया था।

डेमोक्रेटिक पॉलिटिकल मूवमेंट के नेता मोहम्मद शफी रेशी ने ऐलान किया कि उनकी पार्टी ने हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के कट्टरपंथी गिलानी ग्रुप से पूरी तरह नाता तोड़ लिया है। इसके अलावा जम्मू -कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट ने भी अलगाववाद से संबंध करने की घोषणा की है। दो अलगाववादी संगठनों के हृ्दय परिवर्तन को राजनीतिक तौर से मील का पत्थर माना जा रहा है। धारा-370 हटने के बाद से घाटी में आतंकवाद पर नकेल कसने के लिए केंद्र सरकार ने अलगाववादी ग्रुपों के खिलाफ सख्ती की। आतंकवादियों के खिलाफ सेना का एक्शन भी जारी रहा। घाटी के दो ग्रुपों का बयान ऐसे समय में आया हैजब गृह मंत्रालय ने मीरवाइज उमर फारूक के नेतृत्व वाले अवामी एक्शन कमेटी और मौलवी मसरूर अब्बास अंसारी के नेतृत्व वाले जेएंडके इत्तेहादुल मुस्लिमीन को पांच साल के लिए बैन कर दिया है।

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आतंकी संगठनों पर बैन के बारे में अमित शाह ने कहा कि ये संगठन लोगों को कानून और व्यवस्था भंग करने के लिए उकसा रहे थेजिससे देश की एकता और अखंडता को खतरा था। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसे तत्वों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेगी। सरकार का मानना है कि इन संगठनों पर बैन लगाने से घाटी में शांति और स्थिरता लाने में मदद मिलेगी। सरकार अलगाववादी ताकतों को कमजोर करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।

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